कठुआ गैंगरेप: एसआईटी के 6 सदस्यों के ख़िलाफ़ होगी एफ़आईआर
जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने चर्चित कठुआ गैंगरेप व मर्डर केस मामले की जाँच करने वाले विशेष जाँच दल (एसआईटी) के छह सदस्यों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कठुआ में साल 2018 में एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।
अदालत ने यह आदेश तीन व्यक्तियों की एक याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मामले के एक अभियुक्त विशाल जंगोत्रा के ख़िलाफ़ झूठे सबूत देने के लिए पूछताछ के दौरान उनका उत्पीड़न किया गया था। बाद में विशाल जंगोत्रा को इस मामले से बरी कर दिया गया था।
अपनी याचिका में कठुआ और सांबा के रहने वाले सचिन शर्मा, नीरज शर्मा और साहिल शर्मा ने इस बात का दावा किया है कि उनके द्वारा 24 सितंबर को जम्मू के पक्का डांगा पुलिस स्टेशन में इस संबंध में दी गई शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
अदालत ने यह आदेश तीन व्यक्तियों की एक याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मामले के एक अभियुक्त विशाल जंगोत्रा के ख़िलाफ़ झूठे सबूत देने के लिए पूछताछ के दौरान उनका उत्पीड़न किया गया था। बाद में विशाल जंगोत्रा को इस मामले से बरी कर दिया गया था।
अपनी याचिका में कठुआ और सांबा के रहने वाले सचिन शर्मा, नीरज शर्मा और साहिल शर्मा ने इस बात का दावा किया है कि उनके द्वारा 24 सितंबर को जम्मू के पक्का डांगा पुलिस स्टेशन में इस संबंध में दी गई शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रेम सागर ने जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को निर्देश देते हुए कहा है कि इन लोगों के ख़िलाफ़ संज्ञेय अपराध का मामला बनता है।
अदालत ने एसएसपी रमेश कुमार जल्ला (सेवानिवृत्त), एएसपी नावीद पीरजादा, पुलिस उपाधीक्षक शतम्बरी शर्मा, डिप्टी एसपी नासिर हुसैन, उर्फ़ान वानी और केवल किशोर के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
एसएसपी, जम्मू तेजिंदर सिंह ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि उन्हें अभी तक अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिली है। कठुआ मामले की जाँच के लिए पीडीपी-बीजेपी की सरकार ने एसआईटी का गठन किया था।
इस साल जून में कठुआ गैंगरेप व मर्डर मामले में पठानकोट की अदालत ने तीन दोषियों को उम्रक़ैद की सजा सुनाई थी जबकि तीन अन्य को 5-5 साल क़ैद की सजा सुनाई गई थी। इनमें सांझी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद जबकि तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरेंद्र कुमार को 5-5 साल क़ैद की सजा सुनाई गई थी।
जम्मू के कठुआ में 10 जनवरी 2018 को 8 साल की बच्ची लापता हो गई थी। सात दिन के बाद उसकी लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली थी।
मामले में दाख़िल की गई 15 पन्नों की चार्जशीट के अनुसार, कठुआ जिले के रसाना गाँव में पिछले साल 10 जनवरी को आठ साल की एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। उसके बाद गाँव के एक मंदिर में कथित तौर पर उसके साथ चार दिन तक रेप किया गया और फिर लाठी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।
बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या ने सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया था। अदालत में अभियोजन पक्ष की दलील थी कि बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गाँव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साज़िश का हिस्सा थी।
मामले में ख़ासा बवाल तब हुआ था जब तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे बीजेपी के दो मंत्रियों, चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने अभियुक्तों के समर्थन में निकाली गई रैली में हिस्सा लिया था। बाद में यह मामला पीडीपी और बीजेपी के बीच विवाद का विषय बन गया था, जिसके बाद दोनों मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ा था।