जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक का तबादला, मुर्मू बने नये एलजी
जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक का गोवा तबादला कर दिया गया है। गिरीश चंद्र मुर्मु को जम्मू-कश्मीर का नया लेफ़्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया गया है। राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख का लेफ़्टिनेंट गवर्नर और पीएस श्रीधरन पिल्लई को मिज़ोरम का राज्यपाल बनाया गया है।
Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik is transferred and appointed as Governor of Goa. pic.twitter.com/f8FfmVBPCi
— ANI (@ANI) October 25, 2019
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर को दो भागों में बांट दिया है। एक भाग जम्मू और कश्मीर है जबकि दूसरा लद्दाख है। दोनों ही अब केंद्र शासित प्रदेश हैं। दोनों ही राज्यों को नये लेफ़्टिनेंट गवर्नर मिल गए हैं।
मलिक को जून 2018 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन का प्रभारी बनाया गया था। उनका कार्यकाल कई बातों को लेकर विवाद में घिरा रहा था। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा को भंग किये जाने के बाद सरकार गठन के मुद्दे पर जब राज्यपाल कार्यालय की तरफ से कहा गया था कि फ़ैक्स मशीन खराब थी और सरकार बनाने के दावे को लेकर उनके पास किसी तरह का फ़ैक्स नहीं आया था, तब इसे लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं ने तंज कसा था।
मलिक ने कांग्रेस-नैशनल कॉन्फ़्रेंस-पीडीपी के गठबंधन को 'अपवित्र' बताते हुए कहा था कि इस गठबंधन को राज्य में सरकार बनाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती थी। मलिक ने यह भी कहा था कि अगर सरकार गठन को लेकर महबूबा मुफ़्ती का फ़ैक्स उन्हें मिल भी गया होता, तो भी उनका फ़ैसला यही होता यानी वह इस गठबन्धन को सरकार नहीं बनाने देते।
मलिक ने 22 नवंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया था। उस दौरान सज्जाद लोन बीजेपी के समर्थन और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ़्रेन्स-पीडीपी के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने की जुगत में जुटे थे। लेकिन कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ़्रेन्स-पीडीपी के गठबंधन कर सरकार बनाने की ख़बर राजभवन तक पहुँचने से पहले ही मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया था। तब मलिक का एक बयान काफ़ी चर्चा में रहा था। सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘अगर मैं दिल्ली की तरफ़ देखता तो मुझे सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता। मैं जानता था कि उन्होंने बहुमत साबित करने के लिए जो समय माँगा था, उस दौरान वे विधायकों को ख़रीदने का पूरा प्रयास करते। लिहाज़ा मैंने मामले को ही ख़त्म कर दिया।’
कौन हैं गिरीश चंद्र मुर्मू
जम्मू-कश्मीर के पहले लेफ़्टिनेंट गवर्नर गिरीश चंद्र मुर्मू 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव हैं। मुर्मू को काफ़ी तेज-तर्रार अफ़सर माना जाता है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब मुर्मू उनके प्रधान सचिव थे। मूर्म गुजरात में इसके अलावा भी कई अन्य अहम प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ संभाल चुके हैं। बताया जाता है कि मुर्मू नरेंद्र मोदी के क़रीबी और भरोसेमंद अफ़सर हैं।मुर्मू को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाये जाने का मतलब साफ़ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात को जल्द से जल्द बेहतर करना चाहते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने मुर्मू को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है। क्योंकि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से अब तक राज्य में इंटरनेट की सुविधा बहाल नहीं हुई है, दुकानें पूरी तरह नहीं खुली हैं और लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों को ख़ासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर, राज्य के लोगों में केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा है और ख़बरों के मुताबिक़, उन्होंने फ़ैसले के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किये हैं। ऐसे में मुर्मू को राज्य के लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करनी होगी और हालात को जल्द से जल्द पटरी पर लाना होगा।