+
जालौर कांडः भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद हिरासत में 

जालौर कांडः भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद हिरासत में 

राजस्थान के जालौर में दलित छात्र की मौत के सिलसिले में परिवार से मिलने जा रहे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को जोधपुर एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया। जालौर में कांग्रेस-बीजेपी नेताओं के जाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन एक दलित नेता को जाने से रोक दिया गया।

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को जालौर जाने से राजस्थान सरकार ने रोक दिया है। उन्हें जोधपुर एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया है। जालौर में टीचर की कथित पिटाई से एक दलित बच्चे की मौत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इस मामले में पीड़ित परिवार से मिलने के लिए चंद्रशेखर आजाद भी वहां जाना चाहते थे। आजाद के जाने की घोषणा पहले ही हो चुकी थी। 

आरोप है कि दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल को सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में छैल सिंह नाम के एक शिक्षक ने सिर्फ इसलिए पीटा था क्योंकि उस बच्चे ने शिक्षक के मटके से पानी पी लिया था। बच्चे की उम्र सिर्फ 9 साल थी। यह मटका कथित तौर पर शिक्षक के पानी पीने के लिए अलग से रखा गया था। छैल सिंह राजपूत समुदाय से है।  

दलित छात्र का परिवार सुराणा गांव में रहता है। अभी तक वहां कांग्रेस के दर्जनों नेता चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन चंद्रशेखर आजाद को बुधवार को रोक दिया गया। आजाद के आने की घोषणा होने के बाद भीम आर्मी राजस्थान के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी बुधवार को सुराणा गांव पहुंचने का आह्वान किया था। लेकिन किसी भी दलित नेता को वहां जाने से रोका जा रहा है। 

आजाद को हिरासत में लिए जाने के फौरन बाद रिलीज चंद्रशेखर आजाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। तमाम दलित चिन्तक इस बारे में अभियान चला रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद मंगलवार से ही सुराणा गांव जाने की फिराक में थे। लेकिन मंगलवार को उन्हें उदयपुर में रोका गया था। दलित संगठन अब 18 अगस्त को बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं। उन्होंने 18 अगस्त को उदयपुर में जमा होने और आजाद को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।

राजस्थान में कांग्रेस सरकार है। जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चौतरफा मुश्किलों में घिरी अशोक गहलोत सरकार के लिए दलित संगठनों का जमा होना और मुश्किल पैदा कर रहा है। दलित संगठनों का कहना है कि उदयपुर में जिस दर्जी की हत्या की गई थी, राजस्थान सरकार ने उसे 50 लाख रुपये और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी। जबकि इस मामले में बच्चे के परिवार को महज पांच लाख के मुआवजे की बात कही गई है। 

दलित संगठनों और दलित चिन्तकों का आरोप है कि इन सारे मामलों में कांग्रेस-बीजेपी की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि जालौर के मामले में वहां के बीजेपी विधायक योगेन्द्र गर्ग ने जिस तरह सारे तथ्यों पर पर्दा डालकर मामले को रफा-दफा कर दिया है, उसी से साफ है कि बीजेपी इस मामले में दलितों के साथ नहीं खड़ी है। 

जालौर की घटना को लेकर कांग्रेस में भी मतभेद है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को इस बारे में बहुत तीखा ट्वीट कर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि पीड़ित परिवार को पुलिस कैसे पीट सकती है। पायलट मंगलवार को पीड़ित परिवार के घर भी पहुंचे थे। इस मुद्दे कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था। 

अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा था - जब हम लोग अपने समाज के हक की रक्षा करने और उन्हें इंसाफ दिलवाने में नाकाम हैं तो हमें पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। प्रदेश में दलितों और वंचितों को मटके से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने के नाम पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। इस बीच बारां में नगर पालिका के 12 कांग्रेस पार्षदों ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें