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चुनौतियों के बीच बीजेपी को कैसे चुनाव जिताएँगे जयराम ठाकुर?

चुनौतियों के बीच बीजेपी को कैसे चुनाव जिताएँगे जयराम ठाकुर?

हिमाचल प्रदेश की कुल 4 लोकसभा सीटों को जीतने का सारा दारोमदार जयराम ठाकुर पर ही है क्योंकि दिग्गज नेता शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल चुनावी परिदृश्य से दूर हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए मौजूदा लोकसभा चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं हैं। प्रदेश की कुल 4 लोकसभा सीटों को जीतने का सारा दारोमदार जय राम ठाकुर पर ही है क्योंकि इस बार प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल चुनावी परिदृश्य से दूर हैं। 

पिछले चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद मोदी लहर के चलते बीजेपी ने प्रदेश की चारों सीटों पर कब्जा जमाया था। लेकिन इस बार हालात कुछ ओर हैं। इस बार प्रदेश में न तो मोदी लहर का कोई असर देखा जा रहा है और न ही बीजेपी अपने प्रचार में अपनी राज्य सरकार के एक साल के कार्यकाल पर वोट माँग रही है। 

बीजेपी दो मौजूदा सांसदों शांता कुमार और वीरेंद्र कश्यप का टिकट काट चुकी है जिससे अब सभी चारों सीटों को जिताने की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री के ऊपर ही आ गई है।

पार्टी ने दो मौजूदा विधायकों को लोकसभा का टिकट मुख्यमंत्री की ही सिफ़ारिश पर दिया है। वरिष्ठ नेता शांता कुमार अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं। लिहाज़ा, कुछ बीजेपी विधायकों व नेताओं में अंसतोष व लोगों की नाराज़गी के बीच चुनावों में मुख्यमंत्री की डगर आसान नहीं है। 

बीते दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए, उसके बाद अनिल शर्मा के मंत्रिमंडल से बाहर हो गए और अब पूर्व सांसद सुरेश चंदेल भी बीजेपी को अलविदा कह चुके हैं। इसका असर बीजेपी के चुनावी प्रचार पर साफ़ देखा जा सकता है। मंडी मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है, इसलिए मंडी सीट की जीत सुनिश्चित करने का भी अतिरिक्त दबाव उन पर है। 

चंदेल के जाने से बढ़ा ख़तरा

मंडी व हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों में बीजेपी की चुनावी मुहिम पर बग़ावत की वजह से ख़ासा असर पड़ा है। मंडी में तो बीजेपी प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा के सुखराम परिवार की वजह से पसीने छूट रहे हैं। कुछ ऐसे ही हालात हमीरपुर में बनते नज़र आ रहे हैं। बीजेपी हमीरपुर को सबसे सुरक्षित सीट मानती रही है। लेकिन पूर्व सांसद सुरेश चंदेल के कांग्रेस में जाने से अनुराग ठाकुर की राहों में कांटे बिखरते नज़र आ रहे हैं। चंदेल की वजह से पार्टी में भीतरघात का ख़तरा बढ़ गया है, वहीं घुमारवीं के पूर्व विधायक रिखि राम कौंडल भी नाराज बताये जा रहे हैं। 

ओबीसी नेता एवं विधायक रमेश धवाला भी नाख़ुश बताये जा रहे हैं। नुरपुर के विधायक राकेश पठानिया, भटियात के विधायक विक्रम सिंह जरियाल और पंचायती राज मंत्री वीरेन्दर कंवर भी जयराम ठाकुर से मुँह फुलाये बैठे हैं।

तीन गुटों में बँटती दिख रही बीजेपी

हालात ऐसे बन गए हैं कि प्रदेश बीजेपी इन दिनों तीन गुटों में बँटती नज़र आ रही है। एक गुट का नेतृत्व ख़ुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कर रहे हैं, उन्हें केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का समर्थन हासिल है और पार्टी के संगठन मंत्री पवन राणा भी इन दिनों सीएम के साथ क़दमताल करते नज़र आ रहे हैं। दूसरा गुट सांसद शांता कुमार का है व तीसरे गुट में अधिकतर विधायक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ बताये जा रहे हैं। धूमल भले ही सुजानपुर से विधानसभा चुनाव हार गये हों लेकिन जयराम सरकार में उनके विधायकों का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। 

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