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12 विपक्षी सांसदों पर विशेषाधिकार हनन की जाँच चाहते हैं जगदीप धनखड़?

12 विपक्षी सांसदों पर विशेषाधिकार हनन की जाँच चाहते हैं जगदीप धनखड़?

बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे को लेकर सदन के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने आख़िर 12 सांसदों के आचरण की जाँच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास क्यों मामला क्यों भेजा?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को 12 विपक्षी सांसदों के खिलाफ मामले को जांच और रिपोर्टिंग के लिए सदन की विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया। इन सांसदों पर सदन के वेल में बार-बार हंगामा करने, नारेबाजी करने, कार्यवाही को बाधित करने जैसे आरोप हैं। यानी इन पर विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई हो सकती है।

विशेषाधिकार हनन मामले का सामना कर रहे 12 सांसदों में आप के संजय सिंह, संदीप पाठक, सुशील कुमार गुप्ता और कांग्रेस के कुमार केतकर, फूलो देवी नेताम, इमरान प्रतापगढ़ी और शक्ति सिंह गोहिल, नारानभाई राठवा, एल हनुमंथैया, रंजीत रंजन, नासिर हुसैन व जेबी माथेर हिशाम हैं। राज्यसभा के बुलेटिन के मुताबिक, नौ सांसद कांग्रेस से और तीन आम आदमी पार्टी से हैं।

अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर और कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल के निलंबन को रद्द करने को लेकर इन सांसदों ने सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया था जिससे सदन को स्थगित भी करना पड़ा था।

इसी को लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसदीय समिति से कांग्रेस और आप के 12 विपक्षी सांसदों द्वारा सदन के वेल में बार-बार घुसने, नारेबाजी करने और सदन की कार्यवाही बाधित करने के कथित विशेषाधिकार हनन की जांच करने को कहा है।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार 18 फरवरी के बुलेटिन में राज्यसभा सचिवालय ने कहा, '...सभापति ने घोर अव्यवस्थित आचरण से उत्पन्न होने वाले विशेषाधिकार के कथित उल्लंघन के एक प्रश्न का उल्लेख किया है...।' इसमें यह भी कहा गया है कि बार-बार सदन के वेल में प्रवेश करके, नारे लगाकर और लगातार और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डालकर, सभापति को सदन की बैठकों को बार-बार स्थगित करने के लिए मजबूर करके राज्य सभा के नियम और शिष्टाचार का उल्लंघन किया गया है।

इस महीने की शुरुआत में समाप्त हुए बजट सत्र के पहले चरण के दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण राज्यसभा में बार-बार व्यवधान देखा गया था।

एक ऐसा ही मामला लोकसभा में भी सामने तब आया था जब अडानी-हिंडनबर्ग के मुद्दे पर राहुल गांधी के भाषण पर आपत्ति जताई गई थी। संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के लिए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के मोशन ऑफ़ थैंक्स पर एक बहस में प्रधानमंत्री मोदी पर जबरदस्त हमला बोला था।

निशिकांत दुबे ने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हुए स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा। उसमें उन्होंने राहुल पर पीएम मोदी पर बिना किसी "दस्तावेजी सबूत" के "सदन को गुमराह करने" का आरोप लगाया। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि उनकी टिप्पणियाँ अवमाननापूर्ण, असंसदीय और भ्रामक थीं। पार्टी ने कांग्रेस शासित राजस्थान और अन्य विपक्षी शासित राज्यों में अडानी के व्यापारिक हितों की ओर भी ध्यान दिलाया। 

राहुल ने अरबपति गौतम अडानी के साथ प्रधानमंत्री मोदी के संबंधों पर सवाल उठाए थे और कई सवाल पूछे थे। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद अडानी की जबरदस्त तरक्की का हवाला देते हुए राहुल ने प्रधानमंत्री पर क्रोनी पूंजीवाद का आरोप लगाया था।

राहुल ने कहा था कि देश में एयरपोर्ट से लेकर सेब तक में एक ही शख्स की चर्चा है। राहुल ने कहा था कि आखिर पीएम मोदी का अडानी समूह से क्या लिंक है। राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा, “पहले पीएम मोदी अडानी के विमान में सफर करते थे अब अडानी मोदी जी के विमान में सफर करते हैं। यह मामला पहले गुजरात का था, फिर भारत का हो गया और अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है। अडानी ने पिछले 20 सालों में और इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को कितना पैसा दिया?

उन्होंने पूछा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो अडानी साल 2014 में 609वें लिस्ट पर थे, वो दूसरे नंबर पर पहुंच गए। राहुल ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर वो कौन सा जादू था, जिसने अडानी को दो नंबर पर पहुंचा दिया।

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