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जगन रेड्डी की मुश्किलें बढ़ीं? बहन शर्मिला से चुनौती, सांसदों के इस्तीफे भी

जगन रेड्डी की मुश्किलें बढ़ीं? बहन शर्मिला से चुनौती, सांसदों के इस्तीफे भी

आँध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले क्या राजनीति पलटने वाली है? आख़िर जगन मोहन रेड्डी के लोग उनको छोड़कर क्यों जा रहे हैं और क्या चंद्रबाबू नायडू की पार्टी का बीजेपी से गठबंधन होगा?

आंध्र प्रदेश की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख जगन रेड्डी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक उनकी बहन वाईएस शर्मिला तो हैं ही, हाल में उनकी पार्टी से एक के बाद एक सांसद छोड़कर जा रहे हैं। एक और रिपोर्ट आ रही है कि जगन रेड्डी के विरोधी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी बीजेपी से गठबंधन करने की फिराक में है।

बहरहाल, सबसे ताज़ा मामला उनके सांसदों के छोड़ने का है। राज्य के नरसरावपेट से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद लावु श्रीकृष्ण देवरायलू ने सोमवार को लोकसभा सांसद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। हाल के दिनों में सीट आवंटन को लेकर वाईएसआरसीपी छोड़ने वाले देवरायलू तीसरे सांसद हैं। इस महीने की शुरुआत में कुरनूल के सांसद संजीव कुमार और मछलीपट्टनम के सांसद वल्लभनेनी बालाशोवरी ने पार्टी छोड़ दी थी।

लावु श्रीकृष्ण देवरायलू ने कहा कि जब उन्हें बताया गया कि उन्हें गुंटूर लोकसभा क्षेत्र में भेजा जा रहा है तो वह निराश हो गए थे क्योंकि पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए नरसरावपेट में एक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फ़ैसला किया था।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार देवरायलु ने कहा, 'नरसारावपेट लोकसभा सीट के अंतर्गत वाईएसआरसीपी के सभी सात विधायक यहाँ से दोबारा नामांकन के लिए मेरा समर्थन कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के विचार अलग हैं। पार्टी द्वारा मुझे नरसरावपेट से दोबारा नामांकित न करने का निर्णय लेने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली गई और अब मैं इसे जारी नहीं रख सकता।' उन्होंने कहा कि उन्हें गुंटूर सीट से चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

देवरायलू ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं में पूरी तरह भ्रम की स्थिति है क्योंकि 60 से अधिक विधायकों और 10 से अधिक सांसदों को हटाया जा रहा है। मंगलगिरि विधायक ए रामकृष्ण रेड्डी ने भी टिकट नहीं मिलने के बाद हाल ही में पार्टी छोड़ दी थी जो बाद में एक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार के पास चला गया।

मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने कम से कम 65 विधानसभा और 15 लोकसभा क्षेत्रों में नए समन्वयक और प्रभारी नियुक्त किए हैं। ये समन्वयक और प्रभारी आगामी चुनावों में वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार होंगे।

आंध्र प्रदेश की 175 सदस्यीय विधानसभा और राज्य की 25 लोकसभा सीटों के लिए लगभग तीन महीने में चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले जगन के सामने आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में जगन की बहन वाईएस शर्मिला की नियुक्ति को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। 

आंध्र प्रदेश कांग्रेस की नवनियुक्त अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने रविवार को अपने भाई और मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधते हुए उन पर विकास की उपेक्षा करने और राज्य को भारी कर्ज में धकेलने का आरोप लगाया है। 

 - Satya Hindi

यह वही शर्मिला हैं जिन्होंने जी जान लगाकर अपने भाई की जीत दिलाई थी। शर्मिला पहली बार 2012 में सुर्खियों में आई थीं जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग नहीं हुआ था। तब उनके भाई जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस में ही थे। राज्य आंदोलन के जोर पकड़ने के बीच उनके भाई ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और वाईएससीआरपी का गठन किया। उनके साथ 18 विधायक भी शामिल हुए। भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद रेड्डी जेल में थे, उनकी मां वाईएस विजयम्मा और बहन वाईएस शर्मिला ने अभियान का नेतृत्व किया था। वाईएससीआरपी ने चुनावों में जीत हासिल की। उन्होंने 2013 में खुद को 'जगनन्ना (जगन रेड्डी) के धनुष से निकला तीर' बताया था और अपनी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए राज्य में 3,100 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकाली थी।

इधर, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को लेकर भी कुछ ख़बरें आ रही हैं। समझा जाता है कि चंद्रबाबू की पार्टी बीजेपी से भी गठबंधन करने की इच्छुक है। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू सोमवार को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे। 

पिछले साल जून में वे गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल चुके हैं। अगस्त में एन टी रामाराव के स्मृति में सिक्का जारी करने के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में भी उनकी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई थी। हालाँकि, गठबंधन को लेकर स्थिति साफ़ नहीं है, लेकिन गठबंधन होने पर राज्य में राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है।

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