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ओरेकल इंडिया ने काम पाने के बदले भारत में रिश्वत दीः यूएस रेगुलेटर

ओरेकल इंडिया ने काम पाने के बदले भारत में रिश्वत दीः यूएस रेगुलेटर

इज ऑफ डुइंग बिजनेस और भ्रष्टाचार खत्म करने के मोदी सरकार के दावों के बीच ऐसी खबर आ रही है, जो इन दावों को गलत ठहराती है। एक यूएस रेगुलेटर ने ओरेकल कंपनी के संबंध में रिपोर्ट दी है कि उसने भारत में काम पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी। यह आरोप ओरेकल की भारतीय यूनिट पर है। इसके अलावा तुर्की और यूएई में भी ओरेकल ने रिश्वत दी थी।

यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने कहा है कि प्रमुख आईटी कंपनी ओरेकल ने भारत सहित कई देशों में ऑर्डर (काम) पाने के लिए वहां के अधिकारियों को मोटी रकम दी है। ये रिश्वत भारत में 2016 से लेकर 2019 के बीच दी गई थी। एसईसी ने ओरेकल पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उस पर दो करोड़ तीस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

अमेरिकी रेगुलेटर का कहना है कि स्लश फंड का इस्तेमाल रिश्वत देने के लिए किया गया। भारत के अलावा तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भी ओरेकल की इकाइयों ने स्लश फंड का इस्तेमाल किया। स्लश फंड का इस्तेमाल अनुचित तरीके से अवैध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

एसईसी के आदेश के अनुसार, ओरेकल इंडिया के सेल्स कर्मचारियों ने "अत्यधिक छूट योजना" का इस्तेमाल किया जो एक परिवहन कंपनी के साथ लेनदेन से संबंधित था, जिसका मालिक रेल मंत्रालय है। ओरेकल के सेल्स कर्मचारियों ने अन्य कंपनियों से मुकाबले का हवाला दिया और कथित तौर पर कहा कि अगर डील में सॉफ्टवेयर पर 70 फीसदी छूट नहीं दी गई तो डील हाथ से निकल जाएगी। 

ओरेकल इंडिया की इस डील को फ्रांस में बैठे उसके अधिकारी को अनुमोदित किया जाना था, लेकिन उसने पाया कि इस अनुरोध को मंजूर करने के लिए कोई दस्तावेजी समर्थन नहीं लगाया गया था। हालाँकि, जिस कंपनी को उसने छूट दी थी, वह भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। जांच से पता चला कि ओरेकल इंडिया को इस डील को पाने के लिए किसी मुकाबले का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि रेलवे ने उस प्रोजेक्ट के लिए ओरेकल सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया था।

एसईसी के आदेश के अनुसार, ओरेकल इंडिया के कर्मचारियों में से एक ने एक स्प्रेडशीट बनाई थी जिसमें संकेत दिया गया था कि भारतीय रेलवे को संभावित रूप से भुगतान करने के लिए $ 67,000 की बफर रकम चाहिए थी। 

आदेश में कहा गया है, एसओई अधिकारियों को सेल्स कर्मचारियों द्वारा सरकारी यूनिट को 62,000 डॉलर का भुगतान किया गया था। कंपनी के कर्मचारियों ने स्लश फंडों को छूट योजनाओं और नकली मार्केटिंग के लिए भुगतान का इस्तेमाल किया। इन फंडों का इस्तेमाल विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने या इन अधिकारियों को दुनिया भर में तकनीकी सम्मेलनों में भाग लेने के लिए भुगतान करने जैसे लाभ प्रदान करने के लिए किया गया था, जो कंपनी की नीतियों का उल्लंघन था। 

इसी तरह, तुर्की और यूएई में कंपनी की सहायक कंपनियों ने विदेशी अधिकारियों को तकनीकी सम्मेलनों में भाग लेने के लिए भुगतान करने के लिए स्लश फंड का इस्तेमाल किया और कुछ मामलों में, इनमें से कुछ फंड का उपयोग अधिकारियों के परिवारों के लिए या तो उनके साथ या साइड ट्रिप लेने के लिए किया गया था।

यह दूसरी बार है जब ओरेकल को इस तरह के आरोप का सामना करना पड़ा है। पिछली बार जब मामला सामने आया था, तब ओरेकल इंडिया फंसी थी। 

अमेरिकी रेगुलेटर ने जो हर्जाना तय किया है कि उसमें टैक्स को निपटाने के लिए 8 मिलियन डॉलर है, जबकि शेष 15 मिलियन डॉलर जुर्माना है। Oracle ने इन आरोपों, निष्कर्षों की पुष्टि या खंडन नहीं किया है। एसईसी के एक बयान के अनुसार, ओरेकल प्रावधानों के उल्लंघन को रोकने के लिए सहमत हो गया है।

एसईसी के एफसीपीए यूनिट के प्रमुख चार्ल्स कैन ने कहा, ऑफ-बुक स्लश फंड में स्वाभाविक रूप से जोखिम होता है। उन फंडों का अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। ओरेकल के तुर्की, यूएई और भारत की सहायक कंपनियों में ठीक यही हुआ है। ओरेकल के प्रवक्ता माइकल एगबर्ट ने एक बयान में कहा, एसईसी रिपोर्ट हमारे मूल्यों और स्पष्ट नीतियों के विपरीत है। हम इस तरह के मामलों में उचित कार्रवाई करेंगे।

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