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इसरो गगनयान मिशन के लिए जल्द ही करेगा मानवरहित उड़ान का परीक्षण 

इसरो गगनयान मिशन के लिए जल्द ही करेगा मानवरहित उड़ान का परीक्षण 

इसरो गगनयान मिशन को लेकर तेजी से तैयारियां कर रहा है। इसरो से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तैयारियां अंतिम चरण में हैं और इस महीने के अंत तक गगनयान का अहम हिस्सा ‘क्रू एस्केप सिस्टम' का परीक्षण किया जा सकता है। 

चंद्रयान- 3 और आदित्य एल - 1 की कामयाबी के बाद इसरो अब गगनयान मिशन को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। इसरो से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तैयारियां अंतिम चरण में हैं और जल्द ही इस मिशन के मानवरहित उड़ान का परीक्षण किया जायेगा। 

इसरो ने सात अक्टूबर सुबह 9.35 बजे एक्स पर एक ट्विट किया है जिसमें इसको लेकर जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि इसरो गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा।

फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी चल रही है, जो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को बताता है। 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) गगनयान का अहम तत्व है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महीने के अंत तक टीवी-डी1 का परीक्षण किया जाएगा, जो गगनयान कार्यक्रम के तहत चार परीक्षण मिशन में से एक है। 

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसरो इस महीने के अंत में परीक्षण के लिए विकसित गगनयान से अंतरिक्ष यात्रियों को निकालने की प्रणाली ‘क्रू एस्केप सिस्टम' का परीक्षण करने की योजना बना रहा है। 

इससे जुड़ी कुछ तस्‍वीरें इसरो ने सात अक्टूबर को एक्स पर किए गये पोस्ट में साझा की है। 

इसरो का गगनयान मिशन इसलिए भी बेहद खास है कि इसके जरिये अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की योजना है। इससे पहले के चंद्रयान-3 और आदित्य एल - 1 मिशन मानवरहित थे। अब इसरो अंतरिक्ष में इंसान को भेजना चाहता है। इस मिशन के सफल होने के बाद भारत के नाम अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि दर्ज हो जाएगी। 

गगनयान प्रणाली के सभी हिस्से श्री हरिकोटा पहुंचे 

एनडीटीवी हिंदी वेबसाइट की एक रिपोर्ट कहती है कि विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने बताया है कि तैयारियां जोरों से चल रही हैं। यान प्रणाली के सभी हिस्से (प्रक्षेपण के लिए)श्री हरिकोटा पहुंच गये हैं। 

उन्हें जोड़ने का काम जारी है। हम अक्टूबर महीने के अंत में इसे प्रक्षेपित करने के लिए तैयार हैं। अंतरिक्ष विभाग के अधीन इसरो का वीएसएससी प्रमुख केंद्र है और तिरुवनंतपुरम में स्थित है।  नायर ने बताया कि इस क्रू एस्केप सिस्टम के साथ हम उच्च दबाव और ‘ट्रांससोनिक स्थितियों' जैसी विभिन्न परिस्थितियों का परीक्षण करेंगे।

एनडीटीवी की इस रिपोर्ट के मुताबिक इसरो अधिकारी ने बताया है कि क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) गगनयान का अहम तत्व है। इस महीने परीक्षण यान टीवी-डी1 का परीक्षण किया जाएगा, जो गगनयान कार्यक्रम के तहत चार परीक्षण मिशन में से एक है।

इसके बाद दूसरे परीक्षण यान टीवी-डी2 और पहले मानव रहित गगनयान (एलवीएम3-जी1) का परीक्षण किया जाएगा। दूसरे चरण के तहत परीक्षण यान मिशन (टीवी-डी3 और डी4) और एलवीएम3-जी2 को रोबोटिक पेलोड के साथ भेजने की योजना है।  

इससे पहले गया था सूर्य मिशन आदित्य एल - वन 

इससे पहले इसरो ने अंतरिक्ष में अपना सूर्य मिशन आदित्य एल- वन को भेजा था। यह देश का पहला सूर्य मिशन है।इसरो ने बताया है कि आदित्‍य- एल वन पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी तय कर चुका है। 

इसे अंतरिक्ष में भेजने का मकसद सूर्य से जुड़ी जानकारियां एकत्र करना है। उम्मीद की जा रही है कि इसके द्वारा अंतरिक्ष से सूर्य से संबंधित कई ऐसी जानकारियां सामने आएंगी जो सूर्य को लेकर हमारी समझ को बढाएंगी। उर्जा से संबंधित कई नई खोज करने में भी इससे मदद मिल सकती है। 

अपनी मंजिल की ओर लगातार बढ़ यह मिशन करीब 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित एल - वन प्वाइंट तक जाएगा। यह ऐसा प्वाइंट है जहां से बिना किसी बाधा के सूरज को लगातार देखा जा सकता है। इसका कारण है कि यहां से सूर्य बिना किसी ग्रहण के दिखता है। 

इस स्थान से सूर्य की गतिविधियों और अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रखी जा सकती है। यह एक ऐसा प्वाइंट है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बलों का संतुलन होने के चलते वस्तुएं ठहर सकती हैं। इससे ईंधन की खपत भी कम होती है।

इसरो का यह मिशन अगर कामयाब होता है तो सूर्य की कई अहम जानकारियां सामने आएंगी। माना जा रहा है कि इस मिशन से मिलने वाली जानकारियां सौर उर्जा को लेकर भविष्य की रिसर्च का रास्ता भी साफ होगा।  यह मिशन 6 जनवरी 2024 को एल प्वाइंट तक पहुंचेगा। 

23 अगस्त को चंद्रयान -3 पहुंचा था चांद पर 

बीते 23 अगस्त को भारत का चंद्रयान -3 मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक पहुंचा था। वहीं 4 सितंबर को चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। इससे पहले प्रज्ञान रोवर को भी स्लीपिंग मोड में डाल दिया गया था। 

भारत दुनिया का चौथा देश है जिसने चांद पर अपना मिशन भेजा है। वहीं भारत दुनिया का पहला देश है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना मिशन सफलता पूर्वक लैंड कराने में सफलता पाई है। भारत की सफलता इसलिए भी खास थी कि भारत ने काफी कम खर्च में अपना चंद्रयान-3 चांद पर भेजने में कामयाबी पाई थी। चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का समय हो या इसके लैंडर और रोवर में लगे कैमरों ने जब चांद पर चहलकदमी करते हुए तस्वीरें भेजी थी तब सारे देश ने उसे बड़ी ही उत्सुकता से देखा था।  

चंद्रयान - 3 मिशन ने भेजी नई जानकारियां 

चांद पर जाने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने धरती पर वैज्ञानिकों को कई अहम डेटा भेजे हैं। इन डेटा के आधार पर चांद से जुड़ी कई जानकारियां सामने आई हैं। चांद की सतह पर  29 अगस्त को ऑक्सीजन, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम और क्रोमियमकी,  मैगनीज और सिलिकॉन की मौजूदगी का भी पता चला था। 

जबकि चांद पर हाइड्रोजन की खोज करने की कोशिश जारी है। इन खोजों का महत्व इसलिए भी है कि भविष्य में यह चांद को लेकर और अधिक अनुसंधान का रास्ता तैयार करेंगी। वहीं 28 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान को लेकर पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। इसने बताया था कि चंद्रमा की सतह और उसकी अलग-अलग गहराई में जाने पर तापमान में काफी अंतर है।

इसके द्वारा भेजी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, 80 एमएम की गहराई में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। चास्टे पेलोड में तापमान मापने के लिए 10 सेंसर लगे हैं, जो 100 एमएम की गहराई तक पहुंच सकते हैं।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर के तापमान और वहां की अन्य जानकारियों का पता चलना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद का यही वह हिस्सा है जहां भविष्य में इंसानों को बसाने की क्षमता हो सकती है। यहां सूर्य का प्रकाश काफी कम समय के लिए रहता है। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि वह चांद की मिट्टी और वहां के वातावरण को लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जुटाएं। 

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