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इसरो का आदित्य एल1 मिशन लॉन्च, मिलेंगी सूर्य की अहम जानकारियां 

इसरो का आदित्य एल1 मिशन लॉन्च, मिलेंगी सूर्य की अहम जानकारियां 

इसरो ने शनिवार की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च  कर दिया है।

इसरो ने शनिवार की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च  कर दिया है। यह भारत का पहला सूर्य मिशन है जिसे चंद्रयान-3 की कामयाबी के 10 दिन बाद अंतरिक्ष में भेजा गया है। सूर्य मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इसे सूर्य के करीब पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा। यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। रॉकेट ने उपग्रह को ठीक उसकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है। यह मिशन सूर्य और पृथ्वी के एल 1 बिंदु तक जाएगा। 

आदित्य एल1 मिशन विद्युत चुंबकीय कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके सूर्य के वायुमंडल, प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड को कक्षा में ले जाएगा। आदित्य एल 1 मिशन सूर्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र करेगा। यह सौर ज्वालाओं या पृथ्वी की ओर आने वाली सौर हवाएं जो मौसम पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है का भी अध्ययन करेगा। 

इसरो ने कहा है कि आदित्य-एल1 मिशन सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर  दूर लैग्रेंजियन पॉइंट एल - 1 के आसपास स्थित एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जायेगा। आदित्य-एल1मिशन का उपग्रह और पेलोड एक ही सापेक्ष स्थिति में सूर्य के चारों ओर घूमेंगा। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष के मौसम पर उनके प्रभाव का निरीक्षण करने में मदद मिलेगी। 

सूर्य के लिए पहली बार भारत भेज रहा मिशन 

सूर्य से जुड़ी जानकारियों के लिए भारत ने पहली बार अपना मिशन अंतरिक्ष में भेजा है। सूर्य का दूसरा नाम आदित्य भी होता है। इसरो की ओर भेजे जा रहे इस मिशन को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 प्वाइंट पर स्थापित किया जाएगा। यही कारण है कि इस मिशन का नाम आदित्य एल 1 है। एल - 1 एक ऐसा प्वाइंट है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बलों का संतुलन होने के चलते वस्तुएं यहां पर ठहर सकती हैं। इससे ईंधन का खपत भी कम होती है। इसरो का यह मिशन अगर कामयाब होता है तो सूर्य की कई अहम जानकारियां सामने आएंगी। माना जा रहा है कि इस मिशन से मिलने वाली जानकारियां सौर उर्जा को लेकर भविष्य की रिसर्च का रास्ता भी साफ होगा। 

चंद्रयान - 3 मिशन लगातार दे रहा है डेटा

वहीं इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन में सब कुछ ठीक तरह से चल रहा है। चंद्रयान - 3 सारा डेटा बहुत अच्छे से भेज रहा है। हमें उम्मीद है कि इसके लक्ष्य के मुताबिक 14 दिन के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा। तब तक चांद से जुड़ी कई नई जानकारियां हमें मिलेंगी। 

बीते दिनों चांद पर सल्फर समेत कई अन्य धातुएं पाई गई थी। इसको लेकर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा है कि चंद्रयान - 3 मिशन के कारण चांद पर इस बार सल्फर बहुत प्रमुखता से दिखाई दिया है। उन्होंने कहा है कि  इससे पहले भी चंद्रमा की सतह पर सल्फर पाया गया था लेकिन इतनी प्रमुखता से नहीं मिला था। यह एक अच्छा संकेत है कि सल्फर उपलब्ध है। इसके अलावा, ऑक्सीजन के निशान भी मिले हैं। चंद्रयान अब हाइड्रोजन की उपलब्धता की भी तलाश कर रहा है। उन्होंने कहा है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों को एक साथ रखने के बाद हम भविष्य में पानी पैदा करने के बारे में सोच सकते हैं। 

प्रज्ञान रोवर ने खींची थी विक्रम लैंडर की तस्वीरें

 इसरो द्वारा चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने बीते बुधवार को विक्रम लैंडर की तस्वीरें खींची थी। प्रज्ञान के नेविगेशन कैमरे ने विक्रम की ये तस्वीरें क्लिक की है। इसरो ने इसकी खींची हुई दो अलग-अलग समय की तस्वीरें सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर जारी किया था। इसरो ने बुधवार की सुबह 7.35 बजे की पहली तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा था कि स्माइल प्लीज।

इसरो ने इस तस्वीर को मिशन की तस्वीर कहा था। इसके बाद इसरो ने उसी दिन सुबह 11 बजे ली हुई दूसरी तस्वीर भी जारी की थी। इसे एक्स पर पोस्ट करते हुए इसरो ने लिखा था कि, एक बार फिर, सहयात्री प्रज्ञान ने विक्रम को एक झटके में पकड़ लिया! इसरो ने कहा है कि यह तस्वीर 15 मीटर से ली गई थी।

रोवर में लगे इन नेविगेशन कैमरों को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला ने विकसित किया है। यह पहला मौका था जब रोवर प्रज्ञान ने उसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले लैंडर विक्रम की फुल व्यू तस्वीर ली थी। इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन से जितनी भी तस्वीरें और वीडियो प्राप्त हुए थे वह सभी लैंडर विक्रम ने खींचे थे। 

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश है भारत 

23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा था। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के नाम यह उपलब्धि थी। इस मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत की इस कामयाबी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की सतह से चांद के एक दिन यानि धरती के 14 दिन तक लगातार डाटा भेजने की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों के लिए चांद से मिलने वाली ये जानकारियां बेहद अहम हैं। इससे चांद को और बेहतर तरीके से जाना और समझा जा सकता है। 

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