चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के नामकरण में विवाद नहीं: इसरो प्रमुख
चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट का नाम शिव शक्ति रखे जाने पर अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ का बयान आया है। उन्होंने रविवार को कहा कि चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट का नाम शिव शक्ति रखने में कुछ भी विवादास्पद नहीं है।
इसरो प्रमुख का यह बयान तब आया है जब कुछ लोगों ने इस नाम से नामकरण में राजनीति किए जाने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि जिस बिंदु पर चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरा, उसका नाम शिव शक्ति रखा जाएगा। पीएम ने यह भी कहा कि 2019 में असफल चंद्रयान-2 मिशन के दुर्घटना स्थल को तिरंगा बिंदु कहा जाएगा।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने टेलीविजन के साक्षात्कार में शनिवार को कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चंद्रमा की सतह का नाम रखने कोई अधिकार नहीं है। इससे सारी दुनिया हंसेगी। चंद्रमा पर सुरक्षित लैडिंग हुई, अच्छी बात है। हम चांद के मालिक नहीं हैं जो किसी जगह का खुद ही नामकरण कर लें।' इस पर बीजेपी ने भी पलटवार किया और कहा कि 2008 में चांद के जिस स्थान पर चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग हुई थी उस हिस्से का नाम यूपीए सरकार के दौरान जवाहर प्वाइंट दिया गया था।
नामकरण को लेकर उठते ऐसे ही विवादों के बीच अब इसरो प्रमुख सोमनाथ का बयान आया है। वह वेंगनूर में श्री बाला त्रिपुर सुंदरी देवी मंदिर में विशेष प्रार्थना में भाग लेने के बाद तिरुवनंतपुरम में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सोमनाथ ने कहा, 'देश को लैंडिंग साइट का नाम रखने का पूरा अधिकार है। लैंडिंग साइट का नामकरण कोई पहली घटना नहीं है। कई भारतीय नाम पहले से ही चंद्रमा पर मौजूद हैं। हमारे पास चंद्रमा पर साराभाई क्रेटर है। अन्य देशों ने भी अपनी वैज्ञानिक उपलब्धि से संबंधित स्थानों के नाम रखे हैं। छोटे-छोटे प्रयोगों से संबंधित सभी स्थानों का नामकरण किया जाता है। यह एक परंपरा है।'
इस बीच अंतरिक्ष एजेंसी को चंद्रयान -3 मिशन से दिलचस्प डेटा मिला है और आने वाले दिनों में इसकी व्याख्या की जाएगी।
अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में पहली बार चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी के तापमान का आकलन किया है। इसरो ने रविवार को सोशल मीडिया पर अपने विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड की मदद से चंद्रयान-3 द्वारा किए गए अवलोकनों के अपडेट साझा किए।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 27, 2023
Here are the first observations from the ChaSTE payload onboard Vikram Lander.
ChaSTE (Chandra's Surface Thermophysical Experiment) measures the temperature profile of the lunar topsoil around the pole, to understand the thermal behaviour of the moon's… pic.twitter.com/VZ1cjWHTnd
यह 23 अगस्त को चंद्रयान -3 की सॉफ्ट लैंडिंग के ठीक चार दिन बाद आया है। इसरो ने कहा कि अवलोकन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी का विश्लेषण देते हैं, साथ ही सतह के नीचे 10 सेमी तक तापमान में उतार-चढ़ाव भी दिखाते हैं।
सोमनाथ ने कहा, 'रोवर योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है। रोवर से हमें बेहद दिलचस्प डेटा मिल रहा है, दुनिया में पहली बार मिला डेटा। आने वाले दिनों में वैज्ञानिक इसे स्पष्ट करेंगे।'
सोमनाथ ने कहा कि बहुत कम चंद्र मिशनों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, 'चंद्रमा के उस ध्रुव में घाटियों और पहाड़ियों को देखते हुए दक्षिणी ध्रुव पर चंद्र मिशन बहुत जोखिम भरा है, और सूरज की रोशनी केवल 14 दिनों के लिए उपलब्ध है। रोवर को उतरने के लिए समतल क्षेत्र ढूंढना बहुत मुश्किल है। यही कारण है कि कई देशों ने दक्षिणी ध्रुव पर (लैंडिंग) का प्रयास नहीं किया है।'
उन्होंने कहा, 'हमने जोखिम उठाया है क्योंकि वह दक्षिणी ध्रुव अज्ञात है और उसमें विज्ञान के लिए क्षमता है। रासायनिक तत्वों और पानी की संभावना है। दक्षिणी ध्रुव में विज्ञान की बहुत रुचि है। 14 दिन की धूप के बाद रोवर और लैंडर स्लीपिंग मोड में चले जाएंगे। सूरज की रोशनी वापस आने पर सिस्टम स्वचालित रूप से लाइव मोड में बदल जाएगा। अगर ऐसा होता है तो हम भाग्यशाली होंगे कि हमें 14 दिन और मिलेंगे।'