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फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल की मौजूदगी गैरकानूनीः इंटरनेशनल कोर्ट

फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल की मौजूदगी गैरकानूनीः इंटरनेशनल कोर्ट

अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का कहना है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल की नीतियां कब्जा करने वाली हैं, जो नामंजूर है। हालांकि इजरायल ने अभी तक किसी भी देश या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की चेतावनियों की परवाह नहीं की है। उसने गजा में कत्ल-ए-आम जारी रखा हुआ है। इजरायल की अमानवीयता का शिकार फिलिस्तीन के बच्चे, महिलाएं सबसे ज्यादा हुए हैं। गजा में बच्चों के अनगिनत स्कूल, अस्पताल, अनाथालय बम बरसा कर खत्म कर दिए गए। 

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने फैसला सुनाया है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल की निरंतर उपस्थिति गैरकानूनी है और इसे "जितनी जल्दी संभव हो" समाप्त किया जाना चाहिए। हेग में आईसीजे के अध्यक्ष नवाफ सलाम ने शुक्रवार को फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल के कब्जे पर 15 जजों के पैनल द्वारा जारी गैर-बाध्यकारी सलाहकार राय पढ़ी। यानी .आईसीजे की यह राय इजरायल माने या न माने, उस पर निर्भर करता है। हालांकि आईसीजे की यह राय या फैसला पहली बार इस तरह का आया है, जो असाधारण है।

जजों ने इशारा किया  कि वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इजरायली बस्तियों का निर्माण और विस्तार, क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल, भूमि पर कब्जा और स्थायी नियंत्रण लागू करना गैरकानूनी है। फिलिस्तीनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि इजरायल को इन क्षेत्रों की संप्रभुता का कोई अधिकार नहीं है। वह बलपूर्वक क्षेत्र हासिल करने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है और फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार में बाधा डाल रहा है।

इसमें कहा गया है कि अन्य राष्ट्र इस क्षेत्र में इज़रायल की मौजूदगी को "बनाए रखने में सहायता प्रदान करने" के लिए बाध्य नहीं हैं। सलाम द्वारा पढ़े गए 80 पेज से अधिक की राय के सारांश के अनुसार, इसमें कहा गया है कि इज़रायल को अपनी कार्रवाई फौरन बंद करना चाहिए और अपनी मौजूदा गैरकानूनी सेटलमेंट्स (बस्तियां) को हटा देना चाहिए।

अदालत ने कहा, इजरायल का "कब्जा करने वाली पावर के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग" कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में उसकी मौजूदगी को गैरकानूनी बनाता है। अदालत ने कहा, "वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में इजरायली बस्तियां और उनसे जुड़े शासन ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए स्थापित किया है और उन्हें बनाए रखा जा रहा है।"

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2022 के अधिवेशन में आईसीजे से यह राय मांगी गई थी। ICJ को विश्व न्यायालय के रूप में भी जाना जाता है। देशों के बीच विवादों की सुनवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र की यह सर्वोच्च संस्था है।

इज़रायल ने 1967 के युद्ध में वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और पूर्वी येरुशलम जो ऐतिहासिक फ़िलिस्तीन के क्षेत्र हैं, पर कब्ज़ा कर लिया। तब से इसने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में बस्तियाँ बनाईं और उनका लगातार विस्तार किया। 2005 की वापसी से पहले गजा में भी इसकी बस्तियाँ थीं। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विशाल बहुमत फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल का जबरन कब्जा मानता है।

आईसीजे की राय का स्वागत करते हुए फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद मलिकी ने हेग में पत्रकारों से कहा कि यह फैसला "फिलिस्तीन के लिए, न्याय के लिए और अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण" का संकेत है। मलिकी ने कहा- “आईसीजे ने इस ऐतिहासिक फैसले के साथ अपने कानूनी और नैतिक कर्तव्यों को पूरा किया। सभी राज्यों को अब अपने स्पष्ट दायित्वों का पालन करना चाहिए। इजरायल को किसी देश द्वारा कोई सहायता नहीं, कोई मिलीभगत नहीं, कोई पैसा नहीं, कोई हथियार नहीं, कोई व्यापार नहीं, कुछ नहीं जैसा बर्ताव करना चाहिए। इज़रायल के अवैध कब्जे का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।”

संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने कहा कि यह फैसला कब्जे को खत्म करने और फिलिस्तीनी लोगों के अपरिहार्य अधिकारों को प्राप्त करने की दिशा में एक "महत्वपूर्ण कदम" है, जिसमें आत्मनिर्णय का अधिकार, राज्य का दर्जा और वापसी का अधिकार शामिल है। .

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