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क्या भारत पहुँच चुका है इसलामिक स्टेट?

क्या भारत पहुँच चुका है इसलामिक स्टेट?

इसलामिक स्टेट ने दावा किया है कि उसने भारत में अपने नए प्रांत की स्थापना कर ली है। श्रीलंका में ईस्टर रविवार हमलों के बाद एनआईए ने कोच्ची से दो लोगों को गिरफ़्तार कर कहा था कि वे आईएस के लोग हैं। 

क्या मध्य-पूर्व में तबाही का तांडव करने के बाद आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट भारत में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो चुका है श्रीलंका में हुए हमले और भारत से जुड़े उसके तार उजागर होने के बाद  कश्मीर में इसके संकेत मिलने लगे हैं। इसलामिक स्टेट ने अपनी समाचार एजेन्सी ‘अमक़’ में दावा किया है कि उसने हिन्दुस्तान में अपना नया प्रांत स्थापित किया है, इसका नाम है ‘विलाया-ए-हिन्द’। इस संगठन ने यह भी दावा किया है कि कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया आतंकवादी इशफ़ाक अहमद सोफ़ी उसका सदस्य है। शोपियाँ में शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में सोफ़ी मारा गया था।

इसलामिक स्टेट ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।

खत़्म हो चुका है कश्मीर आईएस

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन दावों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। पुलिस महानिदेशक दिलबीर सिंह ने कहा है कि इसलामिक स्टेट जम्मू-कश्मीर का पूरी तरह सफ़ाया हो चुका है। आईएस की मौजूदगी का दावा बकवास है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि राज्य में इसलामिक स्टेट के सिर्फ़ दो सदस्य थे। उसमें एक आईएस छोड़ कर हिज़बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया, दूसरा सोफी था, जो मारा गया।

आईएस ने सोफ़ी को अबू नादिर कह कर अपना आदमी बताया था। फ़रवरी में सोशल मीडिया पर ‘अल रिसाला’ नामक एक पत्रिका में सोफ़ी का कथित इंटरव्यू छापा गया था। सोफ़ी ने उसमें ख़ुद को कश्मीर के बारामुला का निवासी बताया था।

उसका चेहरा एक बंदूक से ढंका हुआ था। पुलिस का यह भी कहना है कि सोफ़ी को हिज़बुल मुजाहिदीन के एक सदस्य के साथ 2016 में गिरफ़्तार किया गया था। उसे साल 2018 में छोड़ा गया, उसके बाद वह आईएस से जुड़ गया था। 

बीते साल श्रीनगर में एहतिशाम बिलाल ने ख़ुद को आईएस का कार्यकर्ता बताया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही उसने आत्मसमर्पण कर दिया था।

इसके पहले एक बार शुक्रवार की नमाज़ के बाद श्रीनगर की जामा मसजिद पर किसी ने इसलामिक स्टेट का झंडा लगा दिया था। स्थानीय मुसलिम उलेमाओं ने इस पर चिंता जताते हुए इसे ग़ैर-इसलामिक क़रार दिया था।

युनाइटेड जिहाद काउंसिल और हिज़बुल मुजाहिदीन ने कहा था कि राज्य में आईएस की विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है।

श्रीलंका के आईएस हमले के तार भारत से जुड़े

श्रीलंका में ईस्टर रविवार को चर्चों और होटलों पर हुए हमलों के बाद इसलामिक स्टेट ने दावा किया था कि ये हमले उसने करवाए हैं। उसके तुरत बाद केरल और तमिलनाडु में मौजूद आईएस कार्यकर्ताओं की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेन्सी (एनआईए) ने  रियाज़ अबू बक़र को आईएस से जुड़े होने के आरोप में केरल के कोच्ची से गिरफ़्तार किया तो लोगों का चौंकना स्वाभाविक था। केरल के पलक्काड ज़िले के कमब्रथचाला गाँव के रहने वाले रियाज़ के पिता बेटे की कारस्तानी और उस पर लगे आरोपों से बुरी तरह हिले गए थे। 

 - Satya Hindi

श्रीलंका में ईस्टर रविवार को चर्च में हुए धमाके।

तौहीद और आईएस

लेकिन मामला सिर्फ़ एक रियाज़ अबू बक़र का नहीं है। इसलामिक स्टेट के तार दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों से भी जुड़े हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के अनुसार, श्रीलंका के दो मुसलिम प्रचारक कुछ साल पहले श्रीलंका गए थे।  

तौहीद प्रचारकों ने श्रीलंका में इसलाम के कट्टर और पुरानपंथी स्वरूप पर भाषण देने और उसका प्रचार करने की कोशिशें कीं तो स्थानीय लोगों ने ज़बरदस्त विरोध किया था। उनका कहना था कि इससे समुदायों के बीच मतभेद बढ़ेगा। उन प्रचारकों को वापस लौटना पड़ा।

आईएस मोड्यूल का भंडाफोड़

इसके पहले 25 दिसंबर, 2018 को नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट से जुड़े मोड्यूल का भंडाफोड़ करने और इस सिलसिले में 10 लोगों को हिरासत में लेने का दावा किया था। एजेंसी का यह कहना भी था कि हिरासत में लिए गए लोग उत्तर भारत और ख़ास कर दिल्ली में विस्फोट करने की योजना पर काम कर रहे थे। एनआईए का कहना था कि उसके अफ़सरों ने दिल्ली और उत्तर  प्रदेश के अलग अलग ठिकानों पर छापा मार कर जिन लोगों को हिरासत में लिया है, वे हरकत-उल-हर्ब-ए-इसलाम मोड्यूल से जुड़े हुए थे। यह मोड्यूल आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट से प्रभावित है। एजेंसी ने उत्तर प्रदेश आतंक निरोधी जस्ते (यूपी एटीएस) के साथ साझा कार्रवाई कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले से पाँच लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा पाँच लोगों को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के साथ मिल कर पकड़ा गया है।

'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ख़ुरासान'

'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ख़ुरासान' बनाने के बग़दादी के सपने को पूरा करने के लिए इस आतंकी संगठन ने हिंदुस्तान में भी पैर जमाने की कोशिश की थी। बग़दादी के ‘खुरासान प्लान’ में हिंदुस्तान के कई इलाक़ों का नाम शामिल था।

2017 में मध्य प्रदेश के शाजापुर के पास एक पैसेंजर ट्रेन में आईएस के हिंदुस्तान मॉड्यूल ने पहला धमाका किया था तो सुरक्षा एजेंसियों ने धरपकड़ शुरू की थी और लखनऊ में इससे जुड़े आतंकी सैफ़ुल्लाह को मार गिराया था। सुरक्षा एजेंसियों ने मध्य प्रदेश और कानपुर से 7 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था।

यह कहना जल्दबाजी होगी कि इसलामिक स्टेट भारत पहुँच चुका है, क्योंकि इसके मूल स्थान पर ही इसकी कमर तोड़ दी गई है। ज़ाहिर है, भारत पहुँच कर संगठन बनाने की कूवत उसकी अब नहीं रही। पर पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीते कुछ सालों से भारत में जिस तरह मुसलमानों के ख़िलाफ़ एक माहौल बना है और उन्हें निशाने पर लेने की वारदात बीच-बीच में हुई है, उससे आईएस को यहाँ अपनी ज़मीन तलाशने में सहूलियत हो सकती है। वह इसका बेज़ा फ़ायदा उठाते हुए यह दुष्प्रचार कर सकता है कि भारत के मुसलमान असुरक्षित हैं, उनके साथ अन्याय हो रहा है। यह भी सच है कि भारत के मुसलमानों का बहुत बड़ा तबका इन चालों को समझता है और पूरी तरह राष्ट्रवादी है। पर आईएस फ़ायदा उठाने की कोशिश कर सकता है।

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