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इस्कॉन अपनी गाय कसाइयों को बेचता है: भाजपा सांसद मेनका गांधी

इस्कॉन अपनी गाय कसाइयों को बेचता है: भाजपा सांसद मेनका गांधी

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक समूह इस्कॉन पर अपनी गायों को कसाइयों को बेचने का आरोप लगाया है। मेनका गांधी देश में पशु क्रूरता के खिलाफ अभियान के लिए जानी जाती हैं। 

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने धार्मिक संगठन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) को "सबसे बड़ा धोखेबाज" बताया है। मेनका का आरोप है कि इस्कॉन अपनी गौशालाओं से गायों को कसाइयों को बेचता है। इस्कॉन को दुनिया में सबसे प्रभावशाली कृष्ण संप्रदाय माना जाता है। अमेरिका, भारत समेत कई देशों में इसकी शाखाएं और संपत्तियां हैं। इस्कॉन ने मेनका गांधी के आरोपों को "निरर्थक और झूठा" कहकर खारिज कर दिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पशु प्रेमी हैं। देश में उन्हें पशु अधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। पशु कल्याण के मुद्दों को लेकर वो मुखर रहती हैं। उनकी सक्रियता के कारण सरकार को कई कानून बनाने पड़े।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका एक वीडियो वायरल है, जिसमें वो कहती सुनाई दे रही हैं, "इस्कॉन देश में सबसे बड़ा धोखेबाज है। यह गौशालाओं का रखरखाव करता है और इसके नाम पर सरकार से बड़ी जमीनों का लाभ लेता है।" उसी वीडियो में फिर वो आंध्र प्रदेश में इस्कॉन की अनंतपुर गौशाला का जिक्र करती हैं, जहां वो होकर आई हैं। मेनका गांधी कहती हैं वहां उन्हें ऐसी कोई गाय नहीं मिली जो दूध न देती हो या बछड़े न देती हो। पूरी डेयरी में एक भी सूखी गाय नहीं थी। एक भी बछड़ा नहीं था। इसका मतलब है कि सभी बिक गईं थीं।" 

यहां यह बताना जरूरी है कि सूखी गाय का मतलब उन गायों से है जो दूध देना बंद कर देती हैं। जो बछड़े पैदा करना बंद कर देती हैं। तमाम गौशालाओं में ऐसी गायों को बोझ मान लिया जाता है और उन्हें कुछ गौशाला वाले कसाइयों को बेच देते हैं। देश की तमाम गौशालाओं में गायों का प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है। सरकारी सहायता के बावजूद गायों को रोग लग जाता है और वो मर भी जाती हैं। देश में हिन्दू समर्थक सरकार के बावजूद गौशालाओं के हालात नहीं सुधरे हैं। भारत में गाय के नाम पर समुदाय विशेष के लोग टारगेट किए जाते रहे हैं। समुदाय विशेष को गौपालकों की कई बार हत्याएं तक हुई हैं। हरियाणा और राजस्थान में ऐसी घटनाएं होती रही हैं।

मेनका गांधी के आरोप गंभीर हैं। उनके तर्क ऐसे हैं, जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। उसी वायरल वीडियो में मेनका गांधी कह रही हैं-  "इस्कॉन अपनी सारी गायें कसाइयों को बेच रहा है। और वे सड़कों पर 'हरे राम हरे कृष्ण' गाते हैं। फिर वे कहते हैं कि उनका पूरा जीवन दूध पर निर्भर है। शायद, किसी ने भी इतनी गाय, बछड़े कसाइयों को नहीं बेचे हैं जितने उन्होंने बेचे हैं।" इस्कॉन इतना बड़ा धार्मिक संगठन बन गया है कि इसके खिलाफ शायद ही कोई जांच होती हो। इस्कॉन के खिलाफ कोई नेगेटिव खबर शायद ही मीडिया में दिखाई दी है। हालांकि वृंदावन में उसके आश्रम या स्टे होम चर्चा में रहे हैं, जहां इस्कॉन विदेशी मेहमानों को भेजता है। क्योंकि वृंदावन कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है।

बहरहाल, इस्कॉन ने मेनका गांधी के आरोपों को खारिज कर दिया है। इस्कॉन ने कहा कि वह न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर गाय और बैल की सुरक्षा और देखभाल में सबसे आगे रहा है। इस्कॉन ने कहा, "गायों और बैलों की सेवा उनके जीवन भर की जाती है, न कि उन्हें कसाइयों को बेचा जाता है।"

हरे कृष्ण आंदोलन से जुड़े इस्कॉन के दुनिया भर में सैकड़ों मंदिर और लाखों भक्त हैं। अमेरिका में तमाम नागरिकों ने हरे कृष्णा आंदोलन को अपनाया है। इसके अनुयायी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक पुस्तक बेचते हुए नजर आते हैं। कई बार कुछ अनुयायियों ने मेट्रो ट्रेन के अंदर भी हरे कृष्ण आंदोलन के पर्चे और किताबें बांटने की कोशिश की लेकिन मेट्रो कर्मियों ने सजगता से कदम उठाकर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। 

कुछ महीने पहले इस्कॉन तब सुर्खियों में आया था जब इसके एक भिक्षु ने स्वामी विवेकानन्द और रामकृष्ण परमहंस की आलोचना की थी। विवाद बढ़ने पर इस्कॉन ने भिक्षु अमोघ लीला दास पर तुरंत "प्रतिबंध" लगा दिया था। स्वामी विवेकानंद की एक अलग पहचान है और वो शिकागो में अपने भाषण के लिए आज भी याद किए जाते हैं। भारत में स्वामी विवेकानंद के लाखों प्रशंसक हैं। इसलिए उनके बारे में किसी तरह की आलोचना का कोई भी स्वागत नहीं करता। स्वामी विवेकानंद तमाम धार्मिक नेताओं की छवियों पर भारी पड़ते हैं।

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