'इस्कॉन गाय कसाइयों को बेचता है'- बयान पर मेनका को 100 करोड़ का नोटिस
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने बीजेपी सांसद मेनका गांधी को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। मेनका ने कहा था कि इस्कॉन नामक धार्मिक संगठन गायों को वध के लिए कसाइयों को बेचता है। इस्कॉन ने उनके आरोपों को "पूरी तरह से निराधार" बताया है और कहा है कि उसके भक्तों को टिप्पणियों से "गहरा दुख" हुआ है।
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने मीडिया को बताया कि “इस्कॉन के खिलाफ पूरी तरह से निराधार आरोप लगाने के लिए हमने आज (29 सितंबर) मेनका गांधी को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। इस्कॉन के भक्तों, समर्थकों और शुभचिंतकों का विश्वव्यापी समुदाय इन अपमानजनक, निंदनीय और दुर्भावनापूर्ण आरोपों से बहुत दुखी है। हम इस्कॉन के खिलाफ किए जा रहे भ्रामक प्रचार का जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
कुछ दिनों पहले, मेनका गांधी का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता था कि इस्कॉन "देश का सबसे बड़ा धोखेबाज संगठन है, जो अपनी गौशालाओं से गायों को कसाइयों को बेचता है।" उन्होंने इस्कॉन पर गौशालाएं स्थापित करने के नाम पर सरकार से विशाल भूमि लेकर 'असीमित लाभ' कमाने का आरोप लगाया था।
भाजपा सांसद ने आरोप लगाया था कि उन्होंने हाल ही में आंध्र प्रदेश में इस्कॉन गौशाला का दौरा किया और उन्हें वहां कोई भी सूखी गाय नहीं मिली। गौशाला में कोई बछड़ा नहीं था, इसका मतलब है कि सभी को बेच दिया गया।'' मेनका गांधी का सूखी गाय से मतलब यह है कि ऐसी गाय जो दूध देना बंद कर देती है। कुछ गौशाला वाले ऐसी गायों को कसाइयों को बेच देते हैं। होटलों में जो बीफ का मीट मिलता है, वो दरअसल गाय का ही मीट होता है। लेकिन भारत में इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता कि किस तरह की गाय कुछ गौशाला वाले चुपचाप बेच देते हैं। भारत में गाय की पूजा होती है और इसे अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। इस्कॉन को मेनका का आरोप इसलिए भारी पड़ रहा है कि गौशाला के नाम पर उसे बहुत दान मिलता है।
मेनका गांधी के आरोप गंभीर हैं। उनके तर्क ऐसे हैं, जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। उसी वायरल वीडियो में मेनका गांधी कह रही हैं- "इस्कॉन अपनी सारी गायें कसाइयों को बेच रहा है। और वे सड़कों पर 'हरे राम हरे कृष्ण' गाते हैं। फिर वे कहते हैं कि उनका पूरा जीवन दूध पर निर्भर है। शायद, किसी ने भी इतनी गाय, बछड़े कसाइयों को नहीं बेचे हैं जितने उन्होंने बेचे हैं।" इस्कॉन इतना बड़ा धार्मिक संगठन बन गया है कि इसके खिलाफ शायद ही कोई जांच होती हो। इस्कॉन के खिलाफ कोई नेगेटिव खबर शायद ही मीडिया में दिखाई दी है। हालांकि वृंदावन में उसके आश्रम या स्टे होम चर्चा में रहे हैं, जहां इस्कॉन विदेशी मेहमानों को भेजता है। क्योंकि वृंदावन कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है।
हरे कृष्ण आंदोलन से जुड़े इस्कॉन के दुनिया भर में सैकड़ों मंदिर और लाखों भक्त हैं। अमेरिका में तमाम नागरिकों ने हरे कृष्णा आंदोलन को अपनाया है। इसके अनुयायी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक पुस्तक बेचते हुए नजर आते हैं। कई बार कुछ अनुयायियों ने मेट्रो ट्रेन के अंदर भी हरे कृष्ण आंदोलन के पर्चे और किताबें बांटने की कोशिश की लेकिन मेट्रो कर्मियों ने सजगता से कदम उठाकर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
कुछ महीने पहले इस्कॉन तब सुर्खियों में आया था जब इसके एक भिक्षु ने स्वामी विवेकानन्द और रामकृष्ण परमहंस की आलोचना की थी। विवाद बढ़ने पर इस्कॉन ने भिक्षु अमोघ लीला दास पर तुरंत "प्रतिबंध" लगा दिया था। स्वामी विवेकानंद की एक अलग पहचान है और वो शिकागो में अपने भाषण के लिए आज भी याद किए जाते हैं। भारत में स्वामी विवेकानंद के लाखों प्रशंसक हैं। इसलिए उनके बारे में किसी तरह की आलोचना का कोई भी स्वागत नहीं करता। स्वामी विवेकानंद तमाम धार्मिक नेताओं की छवियों पर भारी पड़ते हैं।