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क्या यूक्रेन में फंस गया है रूस, कीव से 25 किलोमीटर दूर क्यों रुका है काफिला

क्या यूक्रेन में फंस गया है रूस, कीव से 25 किलोमीटर दूर क्यों रुका है काफिला

एक हफ्ते हो चुके हैं रूसी सेना अभी तक कीव के अंदर दाखिल नहीं हो पाई है। आर्थिक मोर्चे पर भी वो फंस गया है। सवाल यह उठ रहा है कि रूस यूक्रेन में जाकर क्या फंस गया है।

क्या यूक्रेन से युद्ध में रूस फंस गया है। न सिर्फ जमीनी लड़ाई में यूक्रेनी लोग उसका मुकाबला कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक नाकेबंदी ने भी रूस को दुनिया से अलग-थलग कर दिया है। उसकी व्यापारिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। इंटरनैशनल बैंकों से लेन-देन नहीं हो रहा है। उसकी मुद्रा रूबल लगातार गिर रही है। लेकिन युद्ध में यह महत्वपूर्ण होता है कि आपने एक हफ्ते बाद हासिल क्या किया है। एक हफ्ते की अब तक के युद्ध पर नजर डाला जाए तो यूक्रेनी शहर खेरासन पर कब्जे के अलावा रूस को क्या हासिल हुआ है। रूसी सैन्य काफिला राजधानी कीव के बाहर लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर रुका हुआ है। रूसी सेना का लक्ष्य कीव है।

युद्ध को आठ दिन गुजर चुके हैं और रूसी सप्लाई ट्रकों, सैनिकों और हथियारों, फ्यूल व भोजन की कमी, खराब मौसम और कीचड़ की चुनौतियों का सामना कर रही है। पश्चिमी देशों के विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेनी सैनिकों ने रूस के कुछ वाहनों पर हमला करने और उन्हें अक्षम करने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन रूसियों ने अपने काफिले को हवाई हमले से बचा लिया है। लेकिन रूसी काफिले का रुकना क्या युद्ध के नतीजे को प्रभावित नहीं करेगा? इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के विश्लेषक मेसन क्लार्क का कहना है कि रूस का काफिला भले ही फंसा है लेकिन उनकी ज्यादा संख्या यूक्रेनी रक्षकों पर भारी पड़ सकती हैं। इसी बीच यूक्रेन के प्रमुख परमाणु संयंत्र में आग ने यूक्रेन की संभावनाओं को जटिल कर दिया है। क्लार्क ने कहा, कीव को हासिल करने के लिए रूसी यूक्रेनी सेना को खत्म करने में सक्षम हैं।

रूसी काफिला प्रिबिस्क के पास 65 किलोमीटर इलाके तक फैला है। यहां से एंटोनोव हवाई अड्डे के पास से यह काफिला शुरुआत में तेजी से दक्षिण की ओर बढ़ रहा था। लेकिन अब यह जहां का तहां ठहरा हुआ है।

कीचड़ ने रोका रास्ता

एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि यूक्रेनी सैनिकों ने काफिले को जमीनी युद्ध में निशाना बनाया। पश्चिमी देशों द्वारा दी गईं टैंक-रोधी मिसाइलें खूब काम आईं। उन हमलों का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव यह रहा कि उन्होंने काफिले के सामने वाहनों को निशाना बनाया। इस गतिविधि से ही काफिला रुक गया।

वहां के कीचड़ भरे मैदान ने रूसियों के लिए अन्य वैकल्पिक मार्गों और ऑफ-रोड पर जाने से हालात बदतर हो गए। वहां से जो फोटो और वीडियो सामने आए हैं, उनमें रूसी टैंक औऱ अन्य वाहन कीचड़ में फंसे दिखाई दे रहे हैं।

पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों का आकलन है कि एक और काफिला उत्तर में काफी हद तक रुका हुआ है। लगता है कि रूसी अपनी धीमी प्रगति के कारणों का का फिर से आकलन कर रहे हैं।खोए हुए समय की भरपाई उनके लिए चुनौती बन गई है। उन्हें इस तरह की समस्याओं या यूक्रेनी प्रतिरोध की सीमा का अनुमान नहीं था।

अपेक्षाकृत खुले इलाके में सैन्य वाहनों की इतनी लंबी लाइन आमतौर पर हवाई हमले की चपेट में आ जाती है। लेकिन काफिले पर किसी भी यूक्रेनी हमले को सीमित किया जा सकता है क्योंकि अधिकारियों का मानना ​​​​है कि इसमें एयर डिफेंस सिस्टम शामिल है। यूक्रेनी सेना ने सामने से और अन्य छिटपुट स्थानों में रूसी वाहनों को निशाना बनाया है।

हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने किसी व्यापक निष्कर्ष के प्रति आगाह किया है। उनका कहना है कि काफिले पर हमले रूसियों के लिए एक कमजोर झटका भर हैं। हालांकि इसने स्पष्ट रूप से कीव पर रूसी हमले को रोक दिया है, लेकिन अभी भी इंतजार करना होगा।

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, रूसी फौजों कीव के बाहर रुकने का कारण यह भी हो सकता है कि रूसी कमांडर जानबूझकर पुनर्मूल्यांकन और खुद को रीसेट करने के लिए रुके हों। कीव पर आगे बढ़ने से पहले वे अपनी रसद सप्लाई को प्राप्त करने के लिए समय ले रहे हों।

पेंटागन में अधिकारियों का कहना है कि रूस की सेना को इस प्रकार के जमीनी युद्ध में शामिल हुए कई साल हो गए हैं। वे कहते हैं कि यह बताना मुश्किल है कि क्या यह ठीक से योजना बनाने में विफलता थी या रूसी सेना की योजना के क्रियान्वयन में मात खा गई।

रूस के रक्षा मंत्री लावरोव ने कहा है कि रूस अंत तक लड़ेगा। इसका क्या आशय है, यह कहना मुश्किल है। लेकिन जिस तरह रूस आर्थिक मोर्चे पर फंसा है, उसके हालात बदतर होते जा रहे हैं। मॉस्को में कई रूसी कंपनियों ने चीन के रूस स्थित बैंकों में खाते खोलने के लिए पूछताछ की है। इसका सीधा सा मतलब है कि रूस का व्यापार अब चीन या अन्य देशों के बैंकिंग सिस्टम पर फिलहाल निर्भर रहेगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अगर इसका पता चला तो वो उन देशों के लिए भी नियम तय कर सकता है।

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