क्या जरूरी है बैंक एटीएम से निकासी पर शुल्क बढ़ाना, ग्राहक अधिकारों के प्रति सजग नहीं
बहुत बड़े-बड़े वादे करके आये देश के प्राइवेट बैंक रोजाना अपना नियम बदल रहे हैं। आज 1 जनवरी से वो नियम भी लागू हो गया कि अगर आप किसी भी प्राइवेट बैंक से निकासी की तय संख्या से ज्यादा निकालेंगे तो फीस लगेगी। यानी प्राइवेट बैंक में रखा पैसा आपका है लेकिन गैर जरूरी नियम-कानून प्राइवेट बैंक तय कर रहा है। मोदी सरकार का वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक खुशी-खुशी उन्हें अनुमति भी दे रहा है। महानगरों और छोटे शहरों में भेदभावबैंकों ने अभी तक एटीएम से पैसे निकासी का नियम यह बना रखा था कि अगर आप दिल्ली-मुम्बई जैसे महानगरों में महीने पर 6 बार पैसा निकालते हैं तो आपको कोई अतिरिक्त फीस नहीं देनी पड़ेगी। लेकिन सातवीं बार निकालने पर 20 रुपये लगते थे। अब इसी को बढ़ाकर 21 रुपये हर निकासी पर कर दिए गए हैं।
ग्राहकों के साथ प्राइवेट बैंकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। ग्राहक अक्सर शिकायत करते हैं कि कई बार तो उनसे बिना पूछे ही पैसे काट लिए जाते हैं। चूंकि वो रकम बहुत कम होती है, इसलिए ज्यादातर लोग ऐतराज नहीं करते। लेकिन प्राइवेट बैंक इसी तरह ग्राहकों की मामूली रकम काट कर अपना खजाना भर रहे हैं।हाल ही में तमाम प्राइवेट बैंकों ने सुविधाओं में भी कटौती की है। तमाम शहरों में एटीएम कम कर दिए गए हैं। बैंक की शाखाओं में मैनपावर भी कम कर दी गई है। एटीएम की सुविधा कम होने पर ग्राहकों को दूर-दूर चक्कर लगाना पड़ता है। कई बार एटीएम में कैश भी नहीं होता है। बैंकों के कॉल सेंटर ज्यादातर आईवीआर पर सेट हैं और ग्राहक सेवा अधिकारी से बात करने में ग्राहक को पसीने आ जाते हैं।
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इस बारे में आरबीआई के नियम हैं लेकिन ज्यादातर लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरुक नहीं हैं, इसलिए वे शिकायत तक नहीं करते।
हालांकि शुरुआत में इन्हीं प्राइवेट बैंकों ने अपनी सुविधाओं और सेवाओं की वजह से जनता का दिल जीता था लेकिन अब उन्होंने धीरे-धीरे सुई चुभोना शुरू कर दिया है। जब तक देश में ग्राहक प्राइवेट बैंकों के प्रति अपने अधिकार को लेकर सजग नहीं होंगे, तब तक उनके शोषण का शिकार होते रहेंगे।