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ईरानी परमाणु-वैज्ञानिक की हत्या से बाइडन मुश्किल में?

ईरानी परमाणु-वैज्ञानिक की हत्या से बाइडन मुश्किल में?

ईरान के परमाणु-वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीजाद की हत्या एक ऐसी घटना है, जो ईरान-इस्राइल संबंधों में तो भयंकर तनाव पैदा करेगी ही, यह बाइडन-प्रशासन के रवैए को भी प्रभावित कर सकती है। 

ईरान के परमाणु-वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीजाद की हत्या एक ऐसी घटना है, जो ईरान-इस्राइल संबंधों में तो भयंकर तनाव पैदा करेगी ही, यह बाइडन-प्रशासन के रवैए को भी प्रभावित कर सकती है। फख्रीजाद ईरान के परमाणु-बम कार्यक्रम के अग्रगण्य वैज्ञानिक थे। उनका नाम लेकर इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें काफ़ी ख़तरनाक आदमी बताया था। ईरानी सरकार का दावा है कि तेहरान के पास आबसर्द नाम के गाँव में इस वैज्ञानिक की हत्या इस्राइली जासूसों ने की है। इसके पहले इसी साल जनवरी में बगदाद में ईरान के लोकप्रिय जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या अमेरिकी फौजियों ने कर दी थी।

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनई ने कहा है कि ईरान इस हत्या का बदला लेकर रहेगा। यों भी पिछले 10 साल में ईरान के छह वैज्ञानिकों की हत्या हुई है। उसमें इस्राइल का हाथ बताया गया था। हत्या की इस ताज़ा वारदात में अमेरिका का भी हाथ बताया जा रहा है, क्योंकि ट्रंप के विदेश मंत्री माइक पोंपिओ पिछले हफ्ते ही इस्राइल गए थे और वहाँ उन्होंने सउदी सुल्तान और नेतन्याहू के साथ भेंट की थी। ईरानी सरकार को शंका है कि ट्रंप-प्रशासन अगली 20 जनवरी को सत्ता छोड़ने के पहले कुछ ऐसी तिकड़म कर देना चाहता है, जिसके कारण बाइडन-प्रशासन चाहते हुए भी ईरान के साथ तोड़े गए परमाणु समझौते को पुनर्जीवित न कर सके। 

ओबामा-प्रशासन और यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ जो परमाणु समझौता किया था, उसे ट्रंप ने भंग कर दिया था और ईरान पर से हटे प्रतिबंध को दुबारा थोप दिया था। 

अब ईरान ग़ुस्से में आकर यदि अमेरिका के किसी बड़े शहर में कोई ज़बर्दस्त हिंसा करवा देता है तो बाइडन-प्रशासन को ईरान से दूरी बनाए रखना उसकी मजबूरी होगी। यह दुविधा ईरानी नेता अच्छी तरह समझ रहे होंगे।

यह तो गनीमत है कि ट्रंप ने अपनी घोषणा के मुताबिक़ अभी तक ईरान पर बम नहीं बरसाए हैं। 

अपनी हार के बावजूद हीरो बनने के फेर में यदि ट्रंप ईरान पर जाते-जाते हमला बोल दें तो कोई आश्चर्य नहीं है। वैसे भी उन्होंने पश्चिम एशिया के ईरान-विरोधी राष्ट्रों— इस्राइल, सउदी अरब, जोर्डन, यूएई और बहरीन आदि को एक जाजम पर बिठाने में सफलता अर्जित की है। 

बाइडन-प्रशासन की दुविधा यह है कि वह इस इस्राइली हमले की खुली भर्त्सना नहीं कर सकता लेकिन वह किसी को भी दोष दिए बिना इस हत्या की निंदा तो कर ही सकता है। ईरान और बाइडन-प्रशासन को इस मुद्दे पर फूंक-फूंककर क़दम रखना होगा।

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