जानें ईरानी एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को किस वजह से मिला नोबेल
जेल में बंद ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। नरगिस उस ईरान की जेल में बंद हैं जहाँ हिजाब नहीं पहनने पर भी मोरलिटी पुलिस यानी 'नैतिकता बघारने वाली पुलिस' सजा दे देती है! ऐसी सजा जिसमें महिलाओं की मौत तक हो गई है। इसी ईरान में महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाली नरगिस मोहम्मदी जेल में बंद हैं। उन्होंने उत्पीड़न से तंग आकर देश नहीं छोड़ा। जेल में भी वह अपना वही काम करना जारी रखे हुए हैं।
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा है कि यह पुरस्कार मध्य पूर्वी देश में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को उजागर करेगा। संगठन के अनुसार, 2023 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 351 उम्मीदवार थे। इनमें से नरगिस मोहम्मदी को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023
The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2023 #NobelPeacePrize to Narges Mohammadi for her fight against the oppression of women in Iran and her fight to promote human rights and freedom for all.#NobelPrize pic.twitter.com/2fyzoYkHyf
नरगिस मोहम्मदी उस ईरान में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं जहाँ महिलाओं पर जुल्म की ख़बरें लगातार आती रही हैं। दो दिन पहले ही 16 साल की एक लड़की के साथ कथित तौर पर जानलेवा पिटाई का मामला आया है। ईरान के एक्टिविस्टों ने ईरान की मोरलिटी पुलिस पर आरोप लगाया है कि हिजाब न पहनने पर 16 साल की अर्मिता गेरावंद की पिटाई की गई। उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट की है जिसमें कथित तौर पर लड़की को कोमा में दिखाया गया है। रविवार को तेहरान मेट्रो ट्रेन में चढ़ने के बाद 16 साल की अर्मिता गेरावंद बेहोश हो गई। एक मानवाधिकार समूह ने आरोप लगाया कि नैतिकता पुलिस अधिकारियों द्वारा उन पर गंभीर शारीरिक हमला किया गया था। उसका इलाज किया जा रहा है और उसके परिवार के सभी सदस्यों के फोन जब्त कर लिए गए हैं।
महसा अमिनी की हत्या!
ऐसा ही मामला एक साल पहले भी आया था। एक 22 साल की लड़की महसा अमिनी की मौत हो गई थी। आरोप लगा कि हिरासत में उनके साथ मारपीट के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें ईरान की मोरलिटी पुलिस यानी हिंदी में कहें तो 'नैतिकता बघारने वाली पुलिस' ने हिरासत में रखा था। महसा अमिनी का गुनाह इतना था कि उन्होंने कथित तौर पर ग़लत तरीक़े से हिजाब पहना था। उन्होंने अपने बालों को पूरी तरह से ढका नहीं था। यानी पुलिस के ही अनुसार उन्होंने हिजाब तो पहना था, लेकिन पहनने का तरीक़ा 'गड़बड़' था। इसी वजह से उनकी जान चली गई।
तब अमिनी के साथ हुई इस घटना के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। इसमें ईरानी महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से अपने हिजाब को हटाकर जलाया। सोशल मीडिया पर महिलाओं ने विरोध में अपने बाल काटे। खूब विरोध-प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शन के दौरान वायरल वीडियो के बाद बिना हिजाब वाली एक महिला की हत्या कर दी गई थी। विरोध करने वाले लोगों पर काफ़ी ज़्यादा सख़्ती की गई। महसा अमिनी की मौत के बाद से शुरू हुए प्रदर्शन में क़रीब दो महीने के अंदर 200 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी ईरान में हालात सुधरे नहीं हैं। महिला सुधारों की बात करने या उनके अधिकारों के लिए काम करने वाले जेल में डाल दिए जाते हैं।
महसा अमिनी की मौत की बरसी पर नरगिस मोहम्मदी ने एल्विन जेल के अंदर से विरोध प्रदर्शन किया। उनके सोशल मीडिया पेज पर एक पोस्ट के अनुसार, उन्होंने और तीन अन्य महिलाओं ने अपने हेडस्कार्फ़ जला दिए।
नरगिस मोहम्मदी भी उन्हीं महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वालों में से एक हैं। उन्होंने अपने दशकों लंबे करियर की शुरुआत नागरिक समाज और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए की। अब वह जेल से ही वही काम करती हैं। उनपर प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाया गया है। 51 वर्षीय नरगिस तेहरान की कुख्यात एल्विन जेल में 10 साल की सजा काट रही हैं। इसमें 154 कोड़े मारने की सजा भी शामिल है।
वह जेल में ही उत्पीड़न, यातना, एकान्त कारावास का मुद्दा भी उठाती रही हैं। पिछले साल मोहम्मदी ने ईरान द्वारा अपने और साथी कैदियों के खिलाफ एकान्त कारावास और यातनाओं के इस्तेमाल पर 'व्हाइट टॉर्चर' पुस्तक प्रकाशित की थी। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने लिखा, "'व्हाइट टॉर्चर' का उद्देश्य किसी व्यक्ति के शरीर और दिमाग के बीच संबंध को स्थायी रूप से तोड़ना है ताकि व्यक्ति को अपनी नैतिकता और कार्यों को त्यागने के लिए मजबूर किया जा सके।"
मोहम्मदी ने पिछले साल चिकित्सा वजहों से जेल से थोड़ी छुट्टी मिलने के दौरान किताब की प्रस्तावना लिखी थी। उन्होंने प्रस्तावना के आख़िर में लिखा, 'वे मुझे फिर से सलाखों के पीछे डाल देंगे, लेकिन मैं तब तक अभियान बंद नहीं करूंगी जब तक कि मेरे देश में मानवाधिकार और न्याय कायम नहीं हो जाता।' नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद नरगिस के ट्विटर खाते से भी उनकी लड़ाई की बात कही गई है।
A Historic and Profound Moment for Iran's Fight for Freedom: The Distinguished 2023 Nobel Peace Prize awarded to Narges Mohammadi, Iranian human rights activist, for her unwavering dedication to fighting for human rights and women's rights over the past three decades. pic.twitter.com/bMFEdRZRZl
— Narges Mohamadi (@freenargesmhmd) October 6, 2023
द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार एक साथी ईरानी कार्यकर्ता और पूर्व सहयोगी ने सुरक्षा चिंताओं के कारण नाम न छापने की शर्त पर कहा, कारावास के बावजूद काम करना जारी रखने का मोहम्मदी का दृढ़ संकल्प एक मज़बूत संदेश देता है।
उन्होंने कहा, 'नरगिस मोहम्मदी उन चंद लोगों में से एक हैं जो न केवल ईरान में रुकी हैं, बल्कि सक्रिय भी हैं, चाहे वह जेल के बाहर हों या अंदर। उनकी मिसाल एक्टिविस्ट समुदाय और युवाओं के बीच एक प्रेरणा है। इसी वजह से वे देश के नेतृत्व द्वारा असहमति को कुचलने के प्रयासों का सामना करना जारी रखती हैं।'
बता दें कि ईरान असहमति को दबाने और सामाजिक प्रतिबंधों को कड़ा करने के प्रयास में एक्टिविस्टों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को निशाना बना रहा है और उनकी गिरफ्तारियां कर रहा है। पिछले साल महसा अमिनी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद ईरानी अधिकारियों ने लगभग 20,000 लोगों को गिरफ्तार किया था। ऐसी सख्ती बदस्तूर जारी है।