भारत के पास टैंकर पर ड्रोन हमले के अमेरिकी दावे पर जानें ईरान ने क्या कहा
ईरान ने सोमवार को अमेरिका के इस दावे को खारिज कर दिया कि 23 दिसंबर को गुजरात तट के पास अरब सागर में एक रासायनिक टैंकर पर ईरान से हमला किया गया था। उसने अमेरिकी दावे को निराधार बताया है।
अमेरिका ने भारत के तट पर एक टैंकर को निशाना बनाकर किये गये ड्रोन हमले को 'ईरान से किया गया' हमला बताया था। पेंटागन ने खुले तौर पर तेहरान पर हमले का आरोप लगाया था।
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, 'हम इन दावों को पूरी तरह से खारिज और बेकार घोषित करते हैं। इस तरह के दावों का उद्देश्य गजा में इज़राइल के अपराधों को उजागर करने से रोकने, जनता का ध्यान भटकाने और अमेरिकी सरकार के पूर्ण समर्थन पर पर्दा डालने के लिए है।'
यह घटना शनिवार सुबह लगभग 10 बजे वेरावल से लगभग 200 समुद्री मील दक्षिण-पश्चिम में हुई और एक विस्फोट हुआ था। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन समझा जाता है कि आग से जहाज को कुछ नुकसान हुआ। रिपोर्टों के अनुसार चालक दल में 20 भारतीय शामिल थे। अमेरिका ने कहा था कि वह ड्रोन ईरान से दागा गया था और गुजरात के तट पर इज़राइल से जुड़े व्यापारिक जहाज को निशाना बनाया गया।
पेंटागन के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि ईरान से एकतरफा हमला करने वाला ड्रोन दागा गया। एमवी केम प्लूटो कच्चे तेल के साथ लगभग 20 भारतीय चालक दल के सदस्यों को ले जा रहा था, और घटना के समय कर्नाटक में एक बंदरगाह पर जा रहा था।
यह साफ़ नहीं है कि हमले के पीछे कौन या क्या था। किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन यह घटना इजराइल-हमास युद्ध के बीच अक्टूबर के बाद से लाल सागर क्षेत्र में वाणिज्यिक जहाजों, विशेष रूप से इज़राइल की ओर जाने वाले जहाजों पर यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा यूएवी और मिसाइल हमलों की एक श्रृंखला के बीच हुई।
भारतीय नौसेना ने लाइबेरिया के झंडे वाले वाणिज्यिक जहाज केम प्लूटो की सहायता के लिए एक P8I समुद्री गश्ती विमान और एक युद्धपोत भेजा था। उस जहाज के बारे में माना जा रहा है कि उसने 19 दिसंबर को सऊदी अरब के अल जुबैल से कच्चा तेल लेकर अपनी यात्रा शुरू की थी। यह न्यू मैंगलोर जा रहा था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्री सुरक्षा फर्म एंब्रे के अनुसार उस तेल टैंकर का संबंध इज़राइल से था। एक अधिकारी ने कहा, शिपिंग कंपनी द्वारा भारतीय नौसेना से सहायता मांगने के अनुरोध के बाद नौसेना ने जवाब दिया।