ईरान-इजराइल आमने-सामने, यूएस बेचैन, जानिए नेतन्याहू की रणनीति क्या है?
इजराइल ने दो दिन पहले सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर बम बरसाकर उसे तबाह कर दिया। इस हमले में कई ईरानी अधिकारी और कमांडर (ईरान रिवल्यूशनरी गार्ड कॉर्प IRGC) मारे गए। ईरान ने शुक्रवार को इन लोगों के लिए नमाज-ए-जनाजा का आयोजन किया। ईरान ने अपने खास कुद्स बल के वरिष्ठ कमांडरों और अन्य अधिकारियों की हत्या का बदला लेने की कसम खाई। ईरान की चेतावनी के बाद इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका और बढ़ गई है। ईरान ने अमेरिका को इजराइल के साथ संघर्ष में दूर रहने की चेतावनी दी है। इजराइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) में सभी की छुट्टियां कैंसल कर दी गई हैं। अमेरिका में बाइडेन प्रशासन बैठकें पर बैठकें कर रहा है। उसे यह चिन्ता है कि कहीं ईरान इसके ठिकानों पर हमले न कर दे। क्योंकि खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका के ढेरों ठिकाने हैं। जिन पर ईरान पहले भी हमले कर चुका है।
अमेरिका और इजराइल की चिन्ता अकेले ईरान को लेकर नहीं है। ईरान समर्थक सैन्य संगठन हिजबुल्लाह ने भी चेतावनी दी है कि ईरान से जो प्रतिक्रिया आएगी वो आएगी ही लेकिन हिजबुल्लाह भी इसका जवाब देगा। हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने शुक्रवार को कहा कि ईरान की प्रतिक्रिया में उनका समूह "हस्तक्षेप नहीं करेगा। लेकिन उसके बाद यह क्षेत्र एक नए चरण में प्रवेश करेगा।" नसरल्लाह ने कहा, हिजबुल्लाह इजराइल के साथ किसी भी युद्ध के लिए "पूरी तरह से तैयार और तैयार" है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उसी दिन इजराइली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ फोन पर ईरान से खतरे पर चर्चा की थी। बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारी टीमें तब से नियमित और निरंतर संपर्क में हैं। अमेरिका ईरान से खतरों के खिलाफ इजराइल की रक्षा का पूरा समर्थन करता है।"
फिलिस्तीन में इजराइल और हमास के बीच युद्ध का शनिवार को 183वां दिन है। इजराइल डिफेंस फोर्स ने गजा में भारी तबाही मचाई और उसे तहस नहस कर दिया। इजराइल का आरोप है कि हमास और फिलिस्तानी के अन्य लड़ाकू संगठनों को ईरान और हिजबुल्लाह की मदद मिलती है। इस वजह से वो ईरान को भी अपने निशाने पर रखेगा। लेकिन यही वजह हमले की नहीं है। अमेरिका लंबे समय से इजराइल का फिलिस्तीन के मुद्दे पर समर्थन कर रहा है। लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं और अमेरिका में इजराइल विरोधी प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई है। यही वजह है कि इधर अमेरिका ने इजराइल को धमकाना भी शुरू कर दिया है। यहां तक संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पर तो यूएस ने इजराइल विरोधी रुख अपनाया।
सीरिया में ईरानी दूतावास पर उसकी कार्रवाई पूरी तरह रणनीतिक है। वो उससे दूर जा रहे अमेरिका को वापस अपने साथ जोड़ने और इस्लाम विरोधी मुहिम की रणनीति पर काम कर रहा है। इजराइल संयुक्त राज्य अमेरिका को दो तरीकों से इजरायली-ईरानी संघर्ष में घसीट सकता है। पहला तो यूएसए के भीतर यह राजनीतिक मांग उठे कि वाशिंगटन ईरान के हमले के दौरान "सहयोगी इज़राइल" की रक्षा के लिए अधिक सीधे हस्तक्षेप करे। दूसरा तरीका यह है कि इजराइल के खिलाफ ईरानी प्रतिशोध को अमेरिकी टारगेट तक भी बढ़ाया जाए। जैसा कि हमास के अक्टूबर में इज़राइल पर हमले के साथ हुआ था। अमेरिका ने उसके बाद कई स्थानों पर ईरानी टारगेट पर हमले किए थे। इजराइल उस स्थिति को बनाए रखना चाहता है। इसीलिए उसने सीरिया में ईरानी दूतावास को निशाना बनाया। लेकिन अमेरिका कभी भी ईरान के साथ सीधा युद्ध नहीं चाहता है। इराक में अमेरिका जिस तरह फंसा, उन गलतियों को अब बाइडेन और उनके अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया है। लेकिन इजराइल चाहता है कि अमेरिका इस यु्द्ध में सीधे कूद जाए।
पॉल आर पिलर ने रिस्पांसबल स्टेट क्राफ्ट में अपने कॉलम में लिखा है- ईरान के साथ युद्ध कई कारणों से अमेरिकी हितों के लिए अत्यधिक हानिकारक होगा। जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर अमेरिकी सैनिक निशाना बनेंगे, सैन्य खर्चा बढ़ेगा, अमेरिकियों को प्रभावित करने वाली आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है, अतिरिक्त हिंसक प्रतिशोध के लिए विदेशी आक्रोश बढ़ सकता।
पॉल पिलर ने लिखा है- ईरान और इज़राइल के बीच "छाया युद्ध" की स्थिति हर समय रहती है। इज़राइल द्वारा अधिकांश हिंसा शुरू करने और ईरान द्वारा ज्यादातर प्रतिक्रिया देने का एक पैटर्न पहले से ही मौजूद है। यूएसए के लिए इस पैटर्न से खुद को दूर रखना न केवल अमेरिकी हित में होगा बल्कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के हित में भी होगा।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक हालाँकि 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से मध्य पूर्व में इसके प्रॉक्सी मिलिशिया ने इज़राइल पर कई हमले किए हैं। ईरान ने सीधे संघर्ष से बचने का ध्यान रखा है जिससे पूरा युद्ध हो सकता था। पिछले कुछ महीनों में, इज़राइल ने ईरान की कुद्स फोर्स के कम से कम 18 सदस्यों को मार डाला है, उनमें से चार वरिष्ठ कमांडर थे जो मध्य पूर्व युद्धों के अनुभवी थे। लेकिन दमिश्क में हवाई हमला सामान्य से बहुत अलग है, एक साथ इतने सारे वरिष्ठ लोगों की हत्या और एक राजनयिक इमारत पर हमला ईरान को उत्तेजित तो करेगा ही। आम तौर पर दूसरे देशों में दूसरे देश के दूतावास को निशाना नहीं बनाया जाता है। लेकिन इज़राइली अधिकारियों के अपने तर्क हैं कि सीरिया में दूतावास बिल्डिंग रिवोल्यूशनरी गार्ड्स बेस के रूप में काम कर रही थी और इसलिए यह एक वैध लक्ष्य था। इजराइल ने कुछ ऐसे ही तर्क फिलिस्तीन में अस्पतालों को निशाना बनाते हुए दिए हैं। जिसमें उसने कहा था कि हमास की गतिविधियों का केंद्र होने के कारण निशाना बनाया गया। लेकिन गजा में ऐसे दर्जनों अस्पताल इसी तर्क के नाम पर बम से उड़ा दिए गए। जिनमें काबिल डॉक्टर, नर्स और मरीज मारे जा चुके हैं।