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ईरान: क्या सोशल मीडिया पर पाबंदी से रुक जाएगा विरोध? 

ईरान: क्या सोशल मीडिया पर पाबंदी से रुक जाएगा विरोध? 

ईरान में 22 साल की लड़की महसा अमिनी की कुछ दिन पहले ही मौत हो गई है। इसके बाद से हिजाब के विरोध में पूरे ईरान में प्रदर्शन में कम से कम 31 लोगों की मौत हो चुकी है। जानिए अब सोशल मीडिया पर पाबंदी क्यों। 

हिजाब के ख़िलाफ़ पूरे ईरान में हो रहे प्रदर्शन के बीच वहाँ की सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक लोगों की पहुँच को रोक दिया है। यह फ़ैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि हिजाब के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का मुद्दा ईरान में तो छाया हुआ ही है, सोशल मीडिया पर आ रही प्रदर्शन की तसवीरों और वीडियो से दुनिया भर में यह ख़बर सुर्खियों में है।

इस्लामी क़ानून के तहत जहाँ महिलाओं को हिजाब में रहना ज़रूरी किया गया है वहाँ वे खुलेआम सड़कों पर आ रही हैं, हिजाब उतार फेंक रही हैं, उसे जला रही हैं, और एक तरह से आज़ादी का जश्न मनाने के अंदाज में सड़कों पर शासन के ख़िलाफ़ नारे लगा रही हैं। इसमें पुरुषों का भी जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि महिलाएँ नृत्य करती हुईं हिजाब को जला रही हैं। एक वीडियो में देखा जा सकता है कि महिलाएँ बाल कटवा रही हैं।

जब प्रदर्शनकारियों को सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई और दिवंगत रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर कासिम सुलेमानी की तसवीरों को विकृत या जलाते हुए देखा गया तो अधिकारियों ने इंटरनेट फोन नेटवर्क और सोशल मीडिया तक पहुँच को बंद कर दिया। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि ईरान में वाट्सऐप पर लोग सिर्फ़ टेक्स्ट मैसेज भेज पा रहे हैं, तसवीरें और वीडियो नहीं भेज पा रहे हैं। 

इसी सोशल मीडिया पर वहाँ की सरकार ने पाबंदी लगा दी है। हालाँकि, इस बीच वाट्सऐप ने एक बयान में कहा है कि कंपनी यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि ईरान में यूज़र जुड़े रहें। वाट्सऐप ने कहा, 'हम अपने ईरानी दोस्तों को जोड़े रखने के लिए काम कर रहे हैं और अपनी सेवा को चालू रखने के लिए अपनी तकनीकी क्षमता के भीतर कुछ भी करेंगे।' 

कंपनी ने कहा है कि वे निजी तौर पर दुनिया को जोड़ने के लिए मौजूद हैं। बयान में कहा गया है, 'हम लोगों के निजी संदेश भेजने के अधिकारों के साथ खड़े हैं। हम ईरानी नंबरों को ब्लॉक नहीं कर रहे हैं।'

ईरान में 22 साल की लड़की महसा अमिनी की मौत के बाद बवाल खड़ा हुआ है। आरोप है कि हिरासत में महसा के साथ मारपीट के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें ईरान की मोरलिटी पुलिस यानी हिंदी में कहें तो 'नैतिकता बघारने वाली पुलिस' ने हिरासत में रखा था।

महसा अमिनी का गुनाह इतना था कि उन्होंने कथित तौर पर ग़लत तरीक़े से हिजाब पहना था। उन्होंने अपने बालों को पूरी तरह से ढका नहीं था।

यानी पुलिस के ही अनुसार उन्होंने हिजाब तो पहना था, लेकिन पहनने का तरीक़ा 'गड़बड़' था। अब अमिनी के साथ हुई इस घटना के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इसमें ईरानी महिलाएँ सार्वजनिक रूप से अपने हिजाब को हटाकर जला रही हैं। सोशल मीडिया पर महिलाएँ विरोध में अपने बाल काट रही हैं।

यह ख़बर ईरान के कट्टर माने जाने वाले राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर कार्रवाई का आदेश देने और देश के अनिवार्य ड्रेस कोड को सख्ती से लागू करने का आह्वान करने के हफ्तों बाद आई है। देश में सभी महिलाओं को 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ही हिजाब पहनना ज़रूरी किया गया है। 

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