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एमपी में चुनाव से पहले मुख्य सचिव के चुनाव पर दंगल

एमपी में चुनाव से पहले मुख्य सचिव के चुनाव पर दंगल

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सेवा विस्तार देने के मामले ने आख़िर तूल क्यों पकड़ा है? जानिए, आख़िर क्यों इस पर घमासान मचा है।

मध्यप्रदेश में नवंबर में चुनाव से पहले ही राज्य के मुख्य सचिव पद के लिए अफसरों में दंगल शुरू हो गया है। एक अफ़सर ने तो बाकायदा इसके लिए कांग्रेस के राज्यसभा सचिव विवेक तन्खा की मदद ली है। तन्खा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर धमकी दे दी है कि अगर मौजूदा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को तीसरी बार सेवा विस्तार दिया गया तो वो बैंस को बेइज्जत करा के अदालत के रास्ते हटवा देंगे। 

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस 1985 बैच के अधिकारी हैं और उनको इसी महीने की तीस तारीख को रिटायर होना है। कहा ये जा रहा है कि सरकार चाहती है कि बैंस चुनाव तक बने रहें और उनके विस्तार की फाइल दिल्ली जायेगी। इस बीच कांग्रेस चाहती है कि बैंस को हटाकर ऐसे किसी व्यक्ति को मुख्य सचिव बनाया जाये जो चुनाव में कांग्रेस की मदद करे इसलिए बड़े वकील और कांग्रेसी नेता तन्खा ने पहले ही तलवार तान ली है।

असल में मुख्य सचिव बनने के कई दावेदार दिख रहे हैं लेकिन एस एन मिश्रा का नाम सबसे जोर से चल रहा है। हालाँकि कई शिकायतों के बाद मिश्रा को हाल ही में जल संसाधन विभाग के सचिव पद से हटा दिया गया था। लेकिन मिश्रा की नजदीकियाँ हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेताओं के साथ रही हैं। इस बीच अगर इकबाल सिंह बैंस को तीसरी बार विस्तार मिल गया तो कई अफसर वंचित रह जायेंगे। जैसे कि 1987 बैच के अजय तिर्की, 1988 बैच के संजय उपाध्याय और श्रीमती राणा, 1989 बैच के आशीष उपाध्याय, राजीव रंजन और मोहम्मद सुलेमान। बैंस को विस्तार मिला तो इन सारे अफसरों के पास भी चार से छह महीने का ही समय रह जायेगा। ऐसे में उनके बाद के अफसर मिश्रा सबसे ज़्यादा जोर लगा रहे हैं। उनके पास साल भर से ज्यादा का समय होगा। इस बीच बैंस पूरी तरह से कॉन्फिडेंट दिख रहे हैं और लगातार सरकारी बैठकें कर रहे हैं। पिछली बार रिटायर होने की सीमा से पहले ही उन्होंने सामान समेटना शुरू कर दिया था लेकिन इन दिनों वो लगातार बैठकें कर रहे हैं।

सीएम शिवराज भी चाहते हैं कि उनकी घोषणाओं और योजनाओं के परिणाम दिखाने के लिए बैंस ही सचिव बने रहें लेकिन अगर मामला अदालत में गया तो सरकार की किरकिरी हो सकती है। सनद रहे कि प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को तत्काल प्रभाव से पद मुक्त किए जाने की मांग की है और इसके साथ उनकी जगह किसी अन्य अधिकारी को नियमित मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त करने की मांग की है। इस मांग को लेकर गोविंद सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखी है। 

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम लिखे पत्र में एक अखबार में प्रकाशित खबर का संदर्भ लेकर बताया है कि नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (एनजीटी) बेंच द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के पूरे सिस्टम को ही अक्षम बताया गया है और मुख्य सचिव द्वारा बिना पढ़े शासन का यह पक्ष रखने पर 5 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई गई है। साथ ही सख्त टिप्पणी की है कि 'ऐसे राज्य का भगवान ही मालिक है'।

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि निर्वाचन आयोग निष्पक्षता से चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसे मुख्य सचिव को सेवानिवृत्ति के बाद प्रदेश सरकार की अनुकंपा पर 6-6 माह के लिए सेवा वृद्धि की गई है। क्या ऐसे मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के रहते मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से संपन्न होंगे, यह यक्ष प्रश्न है? उन्होंने लिखा, 'मैंने पहले भी इकबाल सिंह बैंस की सेवा विस्तार नहीं किए जाने के लिए आपको चिट्ठी लिखी थी।'

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