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आईपीएस रविंद्रनाथ ने फिर दिया इस्तीफा, उत्पीड़न का लगाया आरोप

आईपीएस रविंद्रनाथ ने फिर दिया इस्तीफा, उत्पीड़न का लगाया आरोप

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में कार्रवाई करने की वजह से क्या रविंद्रनाथ का तबादला किया गया था?

कर्नाटक के आईपीएस अफसर पी. रविंद्रनाथ ने एक बार फिर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह उत्पीड़न को बताया है। यह चौथी बार है जब रविंद्रनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। 

रविंद्रनाथ कुछ वक्त पहले डीजीपी (डायरेक्टरेट ऑफ़ सिविल राइट्स एनफोर्समेंट) के पद पर थे और वहां से उनका तबादला डीजीपी (ट्रेनिंग) में कर दिया गया था। 

रविंद्रनाथ का कहना है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के गोरखधंधे में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। 

रविंद्रनाथ ने राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि जब उन्होंने उनसे (मुख्य सचिव से) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 1995 के नियम 8 के अंतर्गत एक प्रोटेक्शन सेल स्थापित करने के लिए सरकारी आदेश जारी करने का अनुरोध किया तो इस मामले में मुख्य सचिव रवि कुमार के द्वारा दिखाई गई निष्ठुरता के कारण वह दुखी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें परेशान करने के लिए ही उनका तबादला किया गया है।

रविंद्रनाथ सोमवार को डीजीपी प्रवीण सूद से मिले और इस्तीफा देने से पहले उन्हें अपनी परेशानी बताई। रविंद्रनाथ 2008 और 2014 में भी अलग-अलग वजहों से अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। 

पिछले साल भी रविंद्रनाथ ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और यह आरोप लगाया था कि उन्हें डीजीपी की रैंक पर प्रमोशन नहीं दिया गया जबकि उनके जूनियर्स को प्रमोट कर दिया गया। लेकिन जब उन्हें डीजीपी के पद पर प्रोन्नत किया गया था तो उन्होंने इस्तीफ़ा वापस ले लिया था। 

फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला 

रविंद्रनाथ ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वह विधायक रेणुकाचार्य की बेटी और एक एमएलसी के परिवार के सदस्यों से जुड़े फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि कई सवर्ण परिवारों ने फर्जी एससी-एसटी सर्टिफिकेट बना लिए हैं और इस मामले में उन्होंने अफसरों से कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा था।

ऐसा माना जा रहा है कि शायद इसी वजह से रविंद्रनाथ का तबादला कर दिया गया और यह तबादला उन नियमों का उल्लंघन है जिनके मुताबिक किसी भी अफसर का 2 साल से पहले तबादला नहीं किया जा सकता।

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