बोलने की आज़ादी पर 100 ख्यात लेखकों का राष्ट्रपति से आह्वान क्यों?
100 से अधिक ख्यात अंतरराष्ट्रीय लेखकों और कलाकारों ने सोमवार को भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लोकतांत्रिक आदर्शों का समर्थन करने का आह्वान किया।
102 लेखक पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए लेखकों के संगठन पेन अमेरिका और पेन इंटरनेशनल में शामिल हुए। पेन अमेरिका ने एक बयान में यह कहा है। लेखकों ने जेल में बंद लेखकों, असहमति रखने वालों और आलोचकों को रिहा किए जाने की मांग की है।
102 notable U.S. and international writers and artists joined PEN America & PEN International in signing a letter to Indian President Droupadi Murmu, raising #freeexpression concerns and calling for the release of imprisoned writers and dissident and critical voices. #IndiaAt75
— PEN America (@PENamerica) August 15, 2022
राष्ट्रपति को आह्वान करने वाले पत्र पर हस्ताक्षकर करने वालों में मरीना अब्रामोविक, पॉल ऑस्टर, जेएम कोएत्ज़ी, जेनिफर एगन, जोनाथन फ्रेंज़ेन, अजार नफीसी और ओरहान पामुक जैसे लेखक शामिल हैं।
पेन अमेरिका के 'फ्री एक्सप्रेशन ऐट रिस्क प्रोग्राम्स' के निदेशक कैरिन डियच कार्लेकर ने कहा, 'जैसा कि भारत आज़ादी के 75 साल मना रहा है, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की स्थिति गंभीर ख़तरे में है और इसका जश्न मनाए जाने के बजाय शोक किया जा रहा है।'
पेन अमेरिका और पेन इंटरनेशनल के साझे में तैयार संयुक्त पत्र में राष्ट्रपति मुर्मू से भारत में स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करने का आग्रह किया गया है।
पत्र में कहा गया है,
“
स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है। इस मूल अधिकार के कमजोर होने से अन्य सभी अधिकार ख़तरे में हैं और एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में भारत के उभरने पर किए गए वादों से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है।
पेन अमेरिका का बयान
कार्लेकर ने कहा, 'भारत की एक बड़ी ताक़त इसकी भाषाई विविधता और जीवंत साहित्यिक संस्कृति है। हम एक ऐसे समय में, जब यह ख़तरे में है, रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए उसकी 75वीं वर्षगांठ पर भारतीय लोकतंत्र की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उसमें लेखकों की महत्वपूर्ण भूमिका की तारीफ़ करते हैं।'
इसमें यह भी कहा गया है कि बढ़ते भय और आत्म-सेंसरशिप के बावजूद यह तथ्य कि इतने लेखकों ने योगदान दिया है, भारत के साहित्यिक समुदाय की जीवंतता का प्रमाण है।
बयान में कहा गया है कि एक अलग पहल में, पेन अमेरिका ने सलमान रुश्दी सहित 113 भारतीय और भारतीय डायस्पोरा के लेखकों की लेखनी का एक संग्रह 'इंडिया एट 75' यानी '75 का भारत' निकाला था। इसको 12 अगस्त को सलमान रुश्दी पर हमले से पहले साझा किया गया था। जिन लेखक को इसमें जगह दी गई है उसमें झुम्पा लाहिरी, अब्राहम वर्गीज, शोभा डे, राजमोहन गांधी, रोमिला थापर, आकार पटेल, अनीता देसाई, गीतांजलि श्री, पेरुमल मुरुगन, पी. साईनाथ, किरण देसाई, सुकेतु मेहता और जिया जाफरी शामिल हैं।
पेन अमेरिका ने बयान में कहा है कि हाल के वर्षों में भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अकादमिक स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकारों के खिलाफ खतरे तेज हो गए हैं।