मप्र: कमलनाथ का पलटवार, कहा - स्पीकर के काम में दख़ल राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं
मध्य प्रदेश में चल रहे जोरदार राजनीतिक ड्रामे के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल की चिट्ठी का जवाब दिया है। राज्यपाल को सोमवार को लिखी चिट्ठी में कमलनाथ ने कहा, ‘13 मार्च को मैंने आपको अवगत कराया था कि बीजेपी द्वारा कांग्रेस के विधायकों को बंदी बनाकर उन्हें कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखा गया है और ऐसे में फ़्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं है।’ इस बीच, भारी शोरगुल और हंगामे के बीच सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसका कारण कोरोना वायरस का संक्रमण बताया गया है।
संविधान में निहित शक्तियों का उल्लेख करते हुए चिट्ठी में आगे लिखा गया है, ‘विधानसभा अध्यक्ष के कार्य में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता और राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शक या परामर्शदाता नहीं हैं। राज्यपाल अध्यक्ष से यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि अध्यक्ष उस तरीक़े से सदन में कार्य करें जो राज्यपाल संवैधानिक दृष्टि से उचित समझते हैं। राज्यपाल तथा अध्यक्ष, दोनों की अपनी-अपनी स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं।’ चिट्ठी में लिखा है कि राज्यपाल द्वारा जारी किये गये ऐसे संदेश उनको प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप नहीं हैं।
इससे पहले महामहिम राज्यपाल ने रविवार की रात क़रीब 12 बजे मुख्यमंत्री को तलब किया था और सोमवार को ही फ्लोर टेस्ट कराये जाने का निर्देश दिया था। तब कमलनाथ ने कहा था कि ‘सदन में वोटिंग किस तरह से और कब होगी, यह सब स्पीकर तय करेंगे और मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं।’ उन्होंने कहा था कि जब तक बेंगलुरू से बंधक विधायक लौटकर नहीं आयेंगे, फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकेगा।’
महामहिम राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गये दूसरे पत्र में निर्देश दिये गये थे कि सरकार बहुमत साबित करने के लिए विधायकों के हाथ उठवाये। राज्यपाल ने कहा था कि विधानसभा का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पूरी तरह से दुरुस्त नहीं है और ऐसे में निष्पक्ष और स्वतंत्र मतदान की प्रक्रिया विधायकों के हाथ उठवाकर ही पूरी कराई जाये।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे दूसरे ख़त में फ्लोर टेस्ट कराने और इस टेस्ट में सरकार किस तरह की प्रक्रिया अपनाये, इस बारे में तमाम निर्देश दिये थे। लेकिन अब जब विधानसभा को 26 मार्च के लिये स्थगित कर दिया गया है तो इससे राजभवन, सरकार और विधानसभा स्पीकर के बीच टकराव के हालात बन गये हैं। राज्यपाल टंडन और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच पिछले दो दिनों में जिस तरह से संवाद हुआ है, उससे लगता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है।