नागरिकता क़ानून के समर्थन और विरोध में हुए प्रदर्शनों ने दिल्ली को दहला दिया। 13 लोगों की जान जाने के बाद दिल्ली पुलिस चेती और मंगलवार रात को उसने जाफ़राबाद और मौजपुर इलाक़े से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया और उपद्रवियों को खदेड़ दिया। देश की राजधानी में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा को किसने अंजाम दिया, यह एक बड़ा सवाल है। पीएफ़आई (पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया) और भीम आर्मी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद ख़ुफिया एजेंसियों के रडार पर हैं।
पीएफ़आई एक इसलामिक संगठन है और देश के कई राज्यों में इस संगठन का अच्छा-ख़ासा नेटवर्क है। उत्तर प्रदेश में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए हिंसक प्रदर्शनों में पीएफ़आई का नाम प्रमुखता से सामने आया था और पुलिस ने बड़ी संख्या में इसके कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूंस दिया था। दूसरी ओर भीम आर्मी बाबा साहेब अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने का दावा करती है।
न्यूज़ वेबसाइट स्वराज्य के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश के ख़ुफिया विभाग की रिपोर्ट में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि दिल्ली में दो दिन तक हुई आगजनी की घटनाओं के तार अलीगढ़ में इसी दौरान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों से जुड़ रहे हैं। ऐसा कुछ मोबाइल फ़ोन नंबर्स की कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक़, रविवार (23 फ़रवरी) को भीम आर्मी से जुड़े लोग अलीगढ़ में पीएफ़आई के कार्यकर्ताओं से मिले थे और इससे पहले भीम आर्मी ने अलीगढ़ के अंबेडकर पार्क में धरना भी दिया था।
धार्मिक स्थल में लगे चित्र हटाये
स्वराज्य के मुताबिक़, इसके बाद अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के कुछ छात्र भीम आर्मी और पीएफ़आई के नेताओं से मिले थे। रिपोर्ट कहती है कि इसके बाद भीम आर्मी के नेतृत्व में बहुत सारे लोग अलीगढ़ के एक धार्मिक स्थल में पहुंचे और वहां लगे चित्रों को हटाना शुरू कर दिया और सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया। रिपोर्ट कहती है कि इसके बाद अलीगढ़ के ऊपरकोट और जमालपुर इलाक़े में भी हिंसा शुरू हो गई। इन दोनों ही जगहों पर पहले से ही नागरिकता क़ानून के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे थे।
स्वराज्य के मुताबिक़, अलीगढ़ पुलिस के एक सर्किल अफ़सर ने फ़ोन पर बताया, ‘इसके बाद एक ही साथ कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये। ऐसा लगता है कि पत्थरबाज़ी की यह घटनाएं पूर्व नियोजित थीं और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी हुई थीं।’ पुलिस अफ़सर ने कहा कि हम लोग कुछ बेहद अहम फ़ोन कॉल की जांच कर रहे हैं।
समय और तरीक़ा एक जैसा
पुलिस अफ़सर ने कहा कि अलीगढ़ और दिल्ली में नागरिकता क़ानून के विरोध में हुई हिंसा का समय और तरीक़ा लगभग एक जैसा है। दोनों ही जगहों पर हिंसा पत्थरबाज़ी से ही शुरू हुई। जैसे ही भीड़ बढ़ी, दंगाइयों ने आगजनी और दुकानों में लूटपाट शुरू कर दी। इनमें से कई के पास हथियार भी थे। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ में खैर रोड इलाक़े में दुकानों को लूटा गया जबकि दिल्ली में जाफ़राबाद इलाक़े में एक पेट्रोल पंप में आग लगा दी गई और कुछ दुकानों में लूटपाट की गई।
दिल्ली में हुए हिंसक प्रदर्शनों में हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई और डीसीपी अमित शर्मा बुरी तरह घायल हो गये। जबकि अलीगढ़ में इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार सिंह और कई अन्य पुलिसकर्मियों पर भीड़ ने हमला कर दिया। अलीगढ़ में इसी भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति में और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की।
पीएफ़आई ने ट्रांसफ़र किये पैसे
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गृह मंत्रालय को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पीएफ़आई ने नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कई लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफ़र किये थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही ऐसे 73 बैंक खातों की पहचान की गई है। ईडी की रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली में पीएफ़आई के मुख्य खाते से बड़े लेन-देन किये गये हैं। पीएफ़आई का मुख्य कार्यालय शाहीन बाग़ में है।
ईडी के द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि पीएफ़आई और भीम आर्मी के नेताओं के बीच आपस में संबंध हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएफ़आई की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मुहम्मद परवेज़ अहमद की शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन में बड़ी भूमिका है। परवेज़ भीम आर्मी से जुड़े कई वॉट्सऐप ग्रुप में भी शामिल है।
मिश्रा के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज
एक ओर ख़ुफिया एजेंसियां दिल्ली हिंसा में पीएफ़आई और भीम आर्मी के शामिल होने की बात कह रही हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ भी दो शिकायत दर्ज की गई हैं। इसमें एक शिकायत आम आदमी पार्टी की पार्षद रेशमा नदीम और दूसरी हसीब उल हसन ने दर्ज कराई है। इन शिकायतों में कहा गया है कि नागरिकता क़ानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के दौरान मिश्रा ने भड़काऊ बयान दिये जिससे हालात बिगड़े।
जबकि दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच रिपोर्ट के मुताबिक़ चांदबाग मज़ार के पास पुलिस पर फ़ायरिंग करने वालों और हिंसा में शामिल होने वालों का संबंध पीएफ़आई से है। इस रिपोर्ट में शाहीन बाग़ में रहने वाले एक शख़्स का नाम भी शामिल है और यह पीएफ़आई का वरिष्ठ पदाधिकारी है।