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कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर अस्पताल का ख़र्च बीमा के दायरे में!

कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर अस्पताल का ख़र्च बीमा के दायरे में!

कोरोना वैक्सीन लगवाने पर यदि कोई दुष्प्रभाव हुआ और अस्पताल में जाने की ज़रूरत पड़ी तो क्या बीमा कंपनियाँ इलाज का ख़र्च उठाएँगी? यदि स्वास्थ्य बीमा कराने वालों के मन में यह सवाल है तो बता दें कि यह बीमा के दायरे में आएगा। 

कोरोना वैक्सीन लगवाने पर यदि कोई दुष्प्रभाव हुआ और अस्पताल में जाने की ज़रूरत पड़ी तो क्या बीमा कंपनियाँ इलाज का ख़र्च उठाएँगी? यदि स्वास्थ्य बीमा कराने वालों के मन में यह सवाल है तो बता दें कि यह बीमा के दायरे में आएगा। जानिए यह किस तरह कवर होगा।

बीमा क्षेत्र से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि मौजूदा चिकित्सा पॉलिसी किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही दुष्परिणाम के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर मरीज बीमा के दायरे में आएँगे। 

यह काफ़ी महत्पूर्ण इसलिए है कि कोरोना वैक्सीन देश की बहुत बड़ी आबादी को लगाई जानी है। इसलिए यदि कोई इसका इसका दुष्परिणाम होता है तो इससे प्रभावित होने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है। 

देश की इस बड़ी आबादी को टीका लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालाँकि टीकाकरण 16 जनवरी को ही शुरू हो चुका है लेकिन तब यह सिर्फ़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही लगाई जा रही थी। अब इस टीकाकरण का दायरा बढ़ाया गया है। एक मार्च से शुरू हुए टीकाकरण अभियान के इस दूसरे चरण में 60 से ज़्यादा उम्र के लोगों और कोमोर्बिडिटीज वाले 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जाएगी। कहा जा रहा है कि दूसरे चरण में क़रीब 27 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। इसमें से 60 से ज़्यादा उम्र के क़रीब 10 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। 

इसका मतलब है कि दूसरे चरण में काफ़ी बड़ी आबादी कवर होगी।

इस लिहाज से कोरोना वैक्सीन का दुष्परिणाम होने पर अस्पताल का ख़र्च बीमा के दायरे में आना काफ़ी अहम है। 

'बिज़नेस लाइन' की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्वास्थ्य बीमाकर्ता ने कहा कि वैक्सीन से संबंधित उन मामलों में जिनमें अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत होगी, हेल्थ पॉलिसी के तहत कवर की जाएगी। एक सामान्य नियम के रूप में, पॉलिसी दस्तावेज़ में विशेष रूप से जिन मामलों को बाहर नहीं रखा गया है, वे इसमें शामिल हैं।'

रिपोर्ट के अनुसार, बीमाकर्ता भी दावों के लिए कमर कस रहे हैं। एक जनरल बीमाकर्ता ने कहा कि ऐसे सभी मामलों को कवर किया जाएगा। टीकाकरण के ख़र्च को शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन 24 घंटे से अधिक के लिए मरीज़ को भर्ती रखे जाने पर कवर किया जाएगा।

हालाँकि, बीमा कंपनियों के कार्यकारी अधिकारी कहते हैं कि इस तरह के मामले अब तक एक भी नहीं आए हैं। 'बिज़नेस लाइन' की रिपोर्ट के अनुसार, एक कार्यकारी अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हमें दावों के लिए ऐसा कोई दुष्परिणाम का मामला नहीं बताया गया है क्योंकि टीकाकरण कार्यक्रम शुरू में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स तक सीमित था। अब आम जनता को भी वैक्सीन मिलने के साथ, हम किसी भी दावे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण भी इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के साथ सामने आ सकता है ताकि बीमाधारकों को फिर से आश्वस्त किया जा सके।

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