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नौसेना को मिला पहला स्वदेशी 'महाबली' आईएनएस विक्रांत

नौसेना को मिला पहला स्वदेशी 'महाबली' आईएनएस विक्रांत

जानिए, आईएनएस विक्रांत में क्या खास है और इसके आने से कैसे समुद्र में भारत की ताकत बढ़ेगी?

भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत शुक्रवार को भारतीय नौसेना को मिल गया है। 45000 टन के वजन वाले इस युद्धपोत को 20000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में इसे नौसेना को सौंपा। इस युद्धपोत को समंदर में भारत का महाबली माना जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नौसेना के नए ध्वज का अनावरण भी किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार भी मौजूद रहे। 

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यह भारी-भरकम युद्धपोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। यह अब तक भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है। इस पर एक बार में 30 विमान खड़े हो सकते हैं और इन विमानों में मिग-29, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। इस युद्धपोत पर पिछले 1 दशक से अधिक समय से काम चल रहा था। 

पिछले साल 21 अगस्त से आईएनएस विक्रांत को समुद्र में होने वाले कई तरह के परीक्षणों से होकर गुजरना पड़ा है। 

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भारतीय नौसेना का नया ध्वज।

  1. इस युद्धपोत को बराक और ब्रह्मेस जैसी मिसाइलों से तैनात किया गया है। ऐसे में यह युद्ध में अहम भूमिका निभा सकेगा। यह युद्धपोत समुद्र में 52 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। 
  2. आईएनएस विक्रांत के निर्माण के साथ ही भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के एक उस समूह में शामिल हो गया है, जिसमें शामिल देशों के पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और विमान वाहक बनाने की विशिष्ट क्षमता है।
  3. इस युद्धपोत का निर्माण भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है।
  4. भारतीय नौसेना के संगठन युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा इसे डिज़ाइन किया गया है और इसे  सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। 
  5. आईएनएस विक्रांत का नाम भारत के पहले युद्धपोत विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है। पहले युद्धपोत विक्रांत ने पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  6. इस विशालकाय युद्धपोत के निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में पूरा हुआ था। 

नौसेना ने कहा है कि यह युद्धपोत दो फुटबॉल के मैदानों जितना बड़ा है और 18 मंजिल लंबा है। 

आईएनएस विक्रांत में एक साथ चालक दल के 1,600 सदस्य रह सकते हैं। यह युद्धपोत ऐसी मशीनों से लैस है जो एक घंटे में 3,000 रोटियां बना सकती हैं। इसमें एक 16-बेड का अस्पताल है। ईंधन के 250 टैंकर हैं और 2,400 कम्पार्टमेंट हैं। 

ताकतवर हुई भारतीय नौसेना 

निश्चित रूप से इस युद्धपोत के भारतीय नौसेना में आने से इसकी मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने की प्रतीक्षा नौ सैनिकों को भी थी और इसे लेकर वह बेहद जोश में भी हैं। निश्चित रूप से भारतीय नौसेना इसके आने से कहीं ज्यादा ताकतवर हुई है। 

नौसेना की ओर से कहा गया है कि आईएनएस विक्रांत के निर्माण में भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बने हुए उपकरण लगे हैं और इसके बनने में पूरे देश के प्रयास शामिल हैं। 

वर्तमान में भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है, जिसे रूस ने बनाया था। भारतीय रक्षा बलों ने कुल तीन युद्धपोत की मांग की है। उन्हें हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के अलावा एक अन्य युद्धपोत भी चाहिए। 

दूसरी ओर, चीन भी आक्रामक ढंग से समुद्र में अपनी ताकत बढ़ा रहा है। एनडीटीवी के मुताबिक, हाल ही में सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि अफ्रीका के जिबूती में चीन का नौसैनिक बेस पूरी तरह से शुरू हो गया है। 

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