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सुधा मूर्ति की तसवीरों से लोगों को पुरानी राजशाही क्यों याद आई?

सुधा मूर्ति की तसवीरों से लोगों को पुरानी राजशाही क्यों याद आई?

लेखिका, शिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता, परोपकारी उद्यमी सुधा मूर्ति की पुरानी तसवीरें अब क्यों सोशल मीडिया पर साझा की जा रही हैं? जानिए वजह। 

सुधा मूर्ति बड़ा नाम है। इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन और परोपकारी हैं। बड़ी उपलब्धि वाली हैं और धनाढ्यों में गिनी जाती हैं। लेकिन उनकी कुछ पुरानी तसवीरों के बाद से सोशल मीडिया पर एक नयी बहस छिड़ गई है। बहस यह छिड़ी है कि इस जमाने में भी राजशाही को सम्मान देने का वही पुराना तरीक़ा कायम है? क्या अकूत संपत्ति वाले और बड़ी उपलब्धि वाले लोगों का सम्मान देने का यह अपना तरीक़ा है या सामंतवादी सोच वाले समाज या जमाने की एक झलक?

दरअसल, अभी जो तसवीरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं उसमें सुधा मूर्ति मैसूरु शाही परिवार की सदस्य प्रमोदा देवी वाडियार के सामने झुकती हुई दिखाई दे रही हैं। हालाँकि, बड़ी संख्या में लोग अब उस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, लेकिन वह तसवीर है पुरानी। कम से कम उस तसवीर को 2019 में तो ट्विटर पर ही पोस्ट किया गया था। रिपोर्ट है कि सुधा मूर्ति को तब मैसूर राज्य के अंतिम शासक जयचमराजा वाडियार के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। प्रमोदा देवी वाडियार श्रीकांतदत्त नरसिम्हाराजा वाडियार की पत्नी हैं।

बहरहाल, अब उन तसवीरों पर जो प्रतिक्रिया आ रही है उसमें कई सोशल मीडिया यूजर्स ने आज के जमाने में राजघरानों के सामने झुकने की प्रथा की आलोचना की है। हालाँकि कुछ ने यह भी कहा है कि यह सम्मान दिखाने का सिर्फ एक तरीक़ा था।

ट्विटर पर मिनी नायर नाम की यूज़र ने उस तसवीर को पोस्ट करते हुए लिखा है, 'किसी राजघराने का धन और ताक़त सुधा मूर्ति को ऐसा करवा सकती है! लेकिन, हम आम कामगार वर्ग कभी राजशाही के आगे नहीं झुकेंगे!'

कामरान नाम के यूज़र ने पूछा है, 'सुधा मूर्ति मैसूर शाही परिवार के एक सदस्य के सामने झुकती हैं। उन्हें एक रोल मॉडल माना जाता है। क्या यह अभी भी भारत में शाही परिवार के सदस्यों को अभिवादन करने की परंपरा है? या यह श्रद्धा या सम्मान देने का तरीक़ा?'

एक यूज़र ने लिखा है, 'हे भगवान ‍️... क्या वह सुधा मूर्ति हैं? रॉयल्टी के आगे झुकना? हमारे खून में यह मानसिकता है, कोई भी धन और उपलब्धियाँ हमारे व्यवहार से इसे दूर नहीं कर सकती हैं…।'

हालाँकि कई लोगों ने सुधा मूर्ति के शानदार काम की तारीफ़ की है। एक यूज़र ने कहा, 'श्रीमती सुधा मूर्ति के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। उनकी किताबों ने कई महिलाओं को आगे देखने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। राजशाही के प्रति उनका समर्पण एक भावनात्मक अभिव्यक्ति है और वह मैसूर शाही परिवार की तुलना में अधिक शाही हैं।'

बता दें कि सुधा मूर्ति ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था। उन्होंने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एम.ई. किया था और वह प्रथम स्थान पर रही थीं। वह लेखिका, शिक्षिका रही हैं। वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता रही हैं। सामाजिक कार्य के लिए भी वह काफी सराही जाती रही हैं। उन्हें प्रेरणास्रोत माना जाता है।

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