महंगाई सभी भारतीयों पर एक तरह का टैक्स हैः राहुल
Inflation is a TAX on ALL Indians.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 19, 2022
Record price rise had crushed the poor & middle class even before Ukraine war began.
It will increase further as:
- Crude > $100/barrel
- Food prices expected to rise 22%
- COVID disrupts Global Supply Chain
GOI must act NOW. Protect people. pic.twitter.com/yR2Pk7Asaf
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर महंगाई को लेकर फिर हमला बोला है। 10 मार्च को कांग्रेस के लिए आये विपरीत चुनाव नतीजों के बावजूद राहुल ने मोदी सरकार की आलोचना छोड़ी नहीं है।राहुल ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, मुद्रास्फीति (महंगाई) सभी भारतीयों पर एक टैक्स है। रिकॉर्ड मूल्य वृद्धि ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले ही गरीबों और मध्यम वर्ग को कुचल दिया था। यह और बढ़ेगा: - क्रूड (ऑयल)> 100 डॉलर / बैरल - खाद्य कीमतों में 22 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद, कोविड ग्लोबल सप्लाई चेन को बाधित करेगा। भारत सरकार को अब कार्रवाई करनी चाहिए। लोगों की रक्षा करें।
इससे पहले मंगलवार को, उन्होंने भविष्य निधि (पीएफ) दर में कटौती को लेकर भी राहुल ने केंद्र पर निशाना साधा था। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे कई विपक्षी नेताओं ने उठाया है। राहुल ने उस समय कहा था कि सरकार की ग़लत नीतियों का परिणाम आम नागरिक झेल रहा है: एफडी 5.1% पीपीएफ 7.1% और ईपीएफ 8.1% । खुदरा महंगाई दर 6.07%। थोक महंगाई दर 13.11% । जनता को राहत देने की ज़िम्मेदारी क्या सरकार की नहीं है?
बहरहाल, कुल मिलाकर महंगाई के मोर्चे पर हालात ठीक नहीं हैं। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। यह कीमत जून, 2014 के बाद से सबसे ज्यादा है।
निश्चित रूप से जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आता है तो उससे भारत में भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं।
भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल का उपभोक्ता देश है। भारत दुनिया के 40 देशों से अपनी जरूरत का 85 फीसद तेल मंगाता है।
आर्थिक मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि भारत की विकास दर 8 से 8.5 फीसद रहने का अनुमान इस आधार पर था कि तेल की कीमतें 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल पर रहेंगी। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें 68 से 70 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा होना हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरी खबर है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एक आकलन है कि अगर यूक्रेन संकट आगे भी जारी रहता है तो भारत के खजाने पर एक लाख करोड़ रुपए का भार पड़ सकता है। निश्चित रूप से कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की मार झेल चुके भारत को अब रूस यूक्रेन युद्ध की मार झेलने के लिए भी तैयार रहना होगा।
एसबीआई के एक नोट में कहा गया है कि यदि यूक्रेन संकट के बीच कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल पर भी बरकरार रहती है तो महंगाई 52 से 65 बेसिस प्वाइंट बढ़ जाएगी। मतलब आम लोगों का जीना और मुश्किल हो जाएगा। लेकिन यहां तो कच्चे तेल की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।केंद्र सरकार भी जानती है कि अगर एक साथ पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफा कर दिया गया तो जनाक्रोश फूट जाएगा। भारत में लोग कई महीनों तक 100 रुपए से ज्यादा महंगा पेट्रोल और इस भाव के आसपास डीजल अपने वाहनों में डलवा चुके हैं।