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औद्योगिक उत्पादन दर शून्य से नीचे, ज़बरदस्त मंदी का सबूत

औद्योगिक उत्पादन दर शून्य से नीचे, ज़बरदस्त मंदी का सबूत

औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर शून्य से नीचे चला गया है, अगस्त में यह -1.1 प्रतिशत तक पहुँच गया। 

सरकार लगातार दावे करती रही है कि देश की अर्थव्यवस्था में कोई ख़ास दिक्क़त नहीं है और देश मंदी में नहीं है, जबकि अब तक एक के बाद एक तमाम इन्डीकेटर बता रहे हैं कि देश ज़बरदस्त मंदी के दौर में दाखिल हो चुका है। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़, अगस्त में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर शून्य से नीचे चली गई है। यह -1.1 प्रतिशत हो गई है। 

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़, कारखाना उत्पादन अगस्त में घट कर -1.1 प्रतिशत हो गया, यानी यह शून्य से नीचे चला गया। इसका मतलब यह है कि कारखाना उत्पादन दर में कोई वृद्धि तो नहीं ही हुई, पहले से भी कम उत्पादन हुआ। जानकारों का कहना है कि यह बहुत ही चिंता की बात इसलिए है कि इस तरह के आँकड़े इस बात के पक्के सबूत हैं कि अर्थव्यवस्था मंदी में है। यह बात दीगर है कि सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है। मंदी की बात करने वालों को सरकार 'प्रोफ़ेशनल पेसीमिस्ट' कह सकती है, आँकड़ों का क्या करे! 

पिछले साल इसी दौरान औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत थी। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान यह 2.4 प्रतिशत थी। यह भी गनीमत की बात इसलिए थी कि वृद्धि भले ही बहुत ही धीमी रफ़्तार से हो रही थी, कम से कम हो तो रही थी। पर अब यह साफ़ हो गया है कि उत्पादन पहले से कम हो रहा है। 

सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने कहा है, 'इस साल अगस्त में मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर के 23 में से 15 उद्योग समूहों में उत्पादन वृद्धि दर पिछले साल की तुलना में शून्य से कम है।'

मूडीज़ ने घटाया अनुमानित जीडीपी दर

एक दिन पहले यानी गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने साल 2019-2020 के लिए भारत के सकल घरेल उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटा कर 5.8 प्रतिशत कर दी था। पहले यह 6.2 प्रतिशत थी। इसकी वजहें निवेश और माँग में कमी, ग्रामीण इलाक़ों में मंदी और रोज़गार के मौके बनाने में नाकामी हैं। 

भारत सरकार ने ख़ुद यह माना है कि जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जून में गिरकर पाँच फ़ीसदी पर पहुँच गई है। यह छह साल में सबसे निचला स्तर है।

प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भारत 10 स्थान फिसला

विश्व आर्थिक फ़ोरम द्वारा तैयार अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भारत 10 स्थान फिसल कर 68वें स्थान पर आ गया। इस सूची में 141 देश हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन जी-20, ब्रिक्स और दक्षिण एशिया के देशों की तुलना में ख़राब रहा है। जी-20 देशों में भारत काफ़ी नीचे है। यह सिर्फ़ ब्राजील और अर्जेंटीना के ऊपर हैं, जो सूची में क्रमश: 71वें और 83वें स्थान पर हैं। इसी तरह ब्रिक्स देशों में भारत सिर्फ़ ब्राजील के ऊपर है। 

सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के द्वारा शुक्रवार को जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2019 में घरेलू कारों की बिक्री 33.4 प्रतिशत घटकर इनकी संख्या 1,31,284 रह गई, जो सितंबर 2018 में 1,97,124 थी। सितंबर में ही मोटरसाइकिल की बिक्री 23.29 प्रतिशत घटकर 10,43,624 रह गई जबकि एक साल पहले 13,60,415 थी। 

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