औद्योगिक क्षेत्र का उत्पादन गिरा 4.3%, उत्पादन क्षेत्र में मंदी गहराई
उत्पादन क्षेत्र यानी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ़्तार सुस्त होने की वजह से औद्योगिक क्षेत्र मंदी की चपेट में आ गया है। सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 4.3 प्रतिशत सिकुड़ गया, यानी इस क्षेत्र में उत्पादन पहले से भी कम हुआ है। यह ऐसे समय हो रहा है जब देश-विदेश के संस्थान, रेटिंग एजेन्सी, बैंक, वित्तीय संस्थान व दूसरे लोग भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता जता रहे हैं। लेकिन सरकार तमाम बातों को खारिज करते हुए इस बात पर अड़ी है कि सबकुछ ठीकठाक है।
मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन सितंबर महीने में 3.9 प्रतिशत कम हुआ, जबकि बीते साल इसी दौरान इसने 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।
सितंबर महीने में बिजली क्षेत्र में भी उत्पादन 2.6 प्रतिशत गिरा। बीते साल इसी दौरान इस क्षेत्र में उत्पादन 8.2 प्रतिशत बढ़ा था। खनन क्षेत्र में भी कामकाज पहले की तुलना में 8.5 प्रतिशत कम हुआ।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी फ़िच के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ निदेशक देवेंद्र कुमार पंत ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'साल 2012 के बाद यह पहली बार हुआ है कि तीन मुख्य क्षेत्रों में उत्पादन पहले से कम हुआ है।'
इसके पहले इस महीने के शुरू में यह ख़बर आई थी कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर यानी उत्पादन क्षेत्र दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुका है। आईएचएस मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इनडेक्स अक्टूबर में 50.6 पर जा पहुँचा। यह दो साल का न्यूनतम स्तर है। इसके एक महीने पहले पीएमआई 51.4 पर था।
बता दें कि पीएमआई का आकलन 400 बड़ी कंपनियों की खरीद के आधार पर तय किया जाता है। इसके मोटे तौर पर 8 वर्ग होते हैं। ये हैं-बुनियादी धातु, रसायन व प्लास्टिक, बिजली के सामान, खाने-पीने की चीजें, इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा व तैयार कपड़े, लकड़ी, काग़ज़ और परिवहन।
पहले के आँकड़ों के मुताबिक़, सितंबर में कोर सेक्टर उत्पादन 5.2 प्रतिशत गिरा। यह 14 साल का न्यूनतम प्रदर्शन है। अगस्त में कोर सेक्टर का कारोबार 1.1 प्रतिशत कम हो गया था।
सितंबर के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली थी। आंकड़ों के मुताबिक़, यह 19 महीने में सबसे बड़ी गिरावट है। सितंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 91,916 करोड़ रुपये रहा है। जबकि अगस्त के महीने में यह 98,202 करोड़ रुपये था। पिछले साल सितंबर में जीएसटी संग्रह 94,442 करोड़ रुपये था।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष कर उगाही राजस्व में 17.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी और कुल 13.35 लाख करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था लेकिन अप्रैल से 15 सितंबर तक सिर्फ़ 4.40 लाख करोड़ रुपये की कर उगाही हो सकी।