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इंडोनेशिया: लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं, जनसंख्या बेतहाशा बढ़ेगी

इंडोनेशिया: लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं, जनसंख्या बेतहाशा बढ़ेगी

इंडोनेशिया में आधिकारिक तौर पर इसके लिए चिंता जताई गई है कि जब कोरोना वायरस महामारी ख़त्म होगी तो बड़ी संख्या में बच्चे जन्मेंगे और जनसंख्या को नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा। 

'लॉकडाउन से कपल घरों में बंद हैं तो जनसंख्या विस्फोट होगा!' ऐसे मैसेज भारत में कुछ लोग भले ही सोशल मीडिया पर मज़ाक़ में शेयर कर रहे थे, लेकिन इंडोनेशिया और फिलीपींस में वास्तव में ऐसा होता दिख रहा है। दोनों देशों में यह बहुत बड़ी चिंता उभरकर सामने आई है। दोनों देशों में तो आधिकारिक तौर पर इसके लिए चिंता जताई गई है कि जब कोरोना वायरस महामारी ख़त्म होगी तो बड़ी संख्या में बच्चे जन्मेंगे और जनसंख्या को नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा। 

कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अप्रैल महीने में पूरे इंडोनेशिया में लोग घरों में रहे। वहाँ की राष्ट्रीय जनसंख्या और परिवार नियोजन एजेंसी के अनुसार, इस दौरान क़रीब 1 करोड़ विवाहित जोड़ों ने गर्भनिरोधक का उपयोग करना बंद कर दिया। यह एजेंसी इंडोनेशिया में बर्थ कंट्रोल यानी जन्म नियंत्रित करने वाले उपायों को वितरित करने वाले क्लीनिकों और अस्पतालों से आँकड़ों को इकट्ठा करती है। 

सरकार की चिंता का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि मई महीने में लाउडस्पीकर लगे सरकारी वाहन इंडोनेशियाई शहरों में लोगों को संदेश दे रहे थे- 'आप संबंध बना सकते हैं। आप शादी कर सकते हैं। लेकिन गर्भवती नहीं बनें। ...डैड, कृपया अपने आप को नियंत्रित करें। जब तक आप गर्भनिरोधक का उपयोग करते हैं तब तक आप संबंध बना सकते हैं।' इसके अलावा सरकार कोशिश कर रही है कि महामारी के दौरान आपात भोजन के साथ-साथ गर्भ निरोधक लोगों के घर पर पहुँचाए जाएँ। सोशल मीडिया रेडियो और अन्य माध्यमों से लोगों को कहा जा रहा है कि वे कोरोना महामारी तक गर्भधारण न करें। 

रिपोर्टों में कहा गया है कि कई महिलाएँ गर्भ निरोधकों तक नहीं पहुँच सकीं क्योंकि उनको हेल्थ केयर की सेवा देने वाली शॉप बंद थीं। अन्य लोग वायरस की चपेट में आने के डर से बाहर निकल नहीं पाए। 

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, जकार्ता के एक उपनगर में 36 वर्षीय एक विवाहित महिला लाना मुटीसारी ने कहा, 'हम घर से बाहर जाने से घबराते हैं, ख़ासकर अस्पताल जाने से तो और भी ज़्यादा जो सभी बीमारियों का स्रोत है। वहाँ तमाम तरह के वायरस हैं।'

जकार्ता में एक विदेशी ट्रेडिंग कंपनी की सचिव 28 वर्षीय नोविता सपुत्री की शादी को 18 महीने हो चुके हैं। वह एक बच्चा पैदा करना चाहती हैं, लेकिन महामारी समाप्त होने तक नहीं। वह कहती हैं, 'अगर मैं अस्पताल जाती हूँ तो वायरस होने का ख़तरा अधिक होता है।' 

लेकिन वह वजन बढ़ने की आशंका से गर्भनिरोधक गोलियाँ या इंजेक्शन का उपयोग नहीं करना चाहती हैं। इसके बजाय वह और उनके पति कभी-कभी कंडोम का इस्तेमाल कर रहे हैं और अक्सर कम ही संबंध बनाते हैं।

'न्यूयॉर्क टाइम्स' के अनुसार, परिवार नियोजन एजेंसी के मुखिया और एक प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ हेस्टो वार्डोयो ने अनुमान लगाया है कि अगले साल की शुरुआत में 370,000 से 500,000 अतिरिक्त बच्चे जन्म ले सकते हैं, यह उस देश में है जहाँ पूरे साल में क़रीब 48 लाख बच्चे जन्म लेते हैं।

इंडोनेशिया की तरह ही फिलीपींस भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लेकर चिंतित है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, जनसंख्या विकास आयोग के काम में सहयोग कर रहे बायर फिलीपींस इंक ने आयोग के प्रमुख जुआन एंटोनियो पेरेज़ का बयान जारी किया है। बयान के अनुसार पेरेज़ ने कहा है, 'हमने अतीत में देखा है, हमारे माता-पिता या दादा-दादी के जीवनकाल के दौरान, एक बड़ी प्रतिकूल घटना के बाद जन्म दर में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यही कारण है कि कोरोनो वायरस संकट के बीच परिवार नियोजन और भी महत्वपूर्ण है।' फिलीपींस की जनसंख्या क़रीब 108.7 मिलियन है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।

इन देशों के अधिकारियों के सामने एक बड़ी समस्या परिवार नियोजन की है क्योंकि अगले साल उनके सामने एक अनियोजित जन्म की लहर आने वाली है।

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