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अमेरिकी अफसर ने ज़ंजीर-हथकड़ी में बंधे भारतीयों का वीडियो क्यों जारी किया?

अमेरिकी अफसर ने ज़ंजीर-हथकड़ी में बंधे भारतीयों का वीडियो क्यों जारी किया?

अमेरिकी अफसर द्वारा ज़ंजीर और हथकड़ी में बंधे भारतीयों का वीडियो जारी करने के पीछे की वजह जानें। क्या कोलंबिया की तरह नागरिकों की सम्मानजनक वापसी नहीं हो सकती थी?

क्या डोनाल्ड ट्रंप का मक़सद भारतीयों को बेइज्जत करना है? पहले तो भारतीयों को अपराधियों की तरह ज़ंजीरों व हथकड़ियों में बाँधकर अमानवीय रूप से भेजा और अब ट्रंप के बड़े अफ़सर ने इसका वीडियो बनाकर जारी किया। वीडियो जारी करते हुए इसने बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। अमेरिकी अफ़सर द्वारा जारी किए गए इस वीडियो व टिप्पणी पर भारतीयों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीयों को जिस अंदाज़ में डिपोर्ट किया गया है उसको लेकर रोष जताया है। सोशल मीडिया यूज़र अब पूछ रहे हैं कि आख़िर मोदी-ट्रंप की दोस्ती का क्या हुआ? विनोद कापड़ी ने लिखा है, 'इस वीडियो को देखकर खून खौल रहा है! कोई और ना बोले, मैं लिख रहा हूँ - शर्म आनी चाहिए तुमको घृणित प्राणी डोनाल्ड ट्रंप। नरक में सड़ो!'

सोशल मीडिया यूज़रों ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर अमेरिका ने भारत के संदर्भ में अवैध प्रवासियों पर क्या फ़ैसला किया है और अमेरिकी अधिकारी ने क्या पोस्ट लिखी है। अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर बुधवार की दोपहर अमृतसर पहुंचा। इसके साथ ही हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरों के साथ कुछ लोगों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। 

अब यूएस बोर्डर पैट्रोल के प्रमुख माइकल डब्ल्यू. बैंक्स ने वीडियो साझा करते हुए पोस्ट में लिखा है, 'यूएसबीपी और उसके सहयोगियों ने अवैध एलिएंस को सफलतापूर्वक भारत वापस भेजा। यह सैन्य परिवहन का उपयोग करके भेजी जाने वाली अब तक की सबसे लंबी डिपोर्टेशन उड़ान थी। यह मिशन इमिग्रेशन कानूनों को लागू करने और तुरंद निष्कासन सुनिश्चित करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। यदि आप अवैध रूप से सीमा पार करते हैं, तो आपको निकाल दिया जाएगा।'

पत्रकार उमाशंकर सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, 'US Border Patrol Chief ने अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों की वापसी का वीडियो जारी किया। इसमें डिपोर्ट किए जा रहे लोगों के हाथ में हथकड़ी और पैरों में ज़ंजीर बंधा देखा जा सकता है।' रणविजय सिंह ने पोस्ट किया है, 'अमेरिका ने हद कर दी है। ट्रंप के खास अधिकारी ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा...।'

एक अन्य पोस्ट में कापड़ी ने लिखा है, 'डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी एजेंसियों से जानबूझकर ये वीडियो जारी करवा कर भारत को उसकी हैसियत दिखाने और भारत को अपमानित करने की कोशिश की है। वक़्त आ गया है कि भारत को भी इस सनकी डोनाल्ड ट्रंप को इसकी औक़ात दिखानी चाहिए।'

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए लोगों की व्यथा पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक पोस्ट लिखी है और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। राहुल ने लिखा, “हरविंदर सिंह बोले- '40 घंटों तक हमें हथकड़ी लगाई गई, हमारे पैरों को जंजीरों से बांधा गया और हमें अपनी सीट से एक इंच भी हिलने नहीं दिया गया। यह नरक से भी बदतर था'। प्रधानमंत्री जी, इस आदमी का दर्द सुनिए। भारतीयों को सम्मान और मानवता मिलनी चाहिए, हथकड़ी नहीं।"

 - Satya Hindi

सोशल मीडिया पर लोग कोलंबिया और इसके राष्ट्रपति का उदाहरण दे रहे हैं जिसने ट्रंप के सैन्य विमान को अपने देश में उतरने नहीं दिया था। सैन्य विमान से प्रवासियों को वापस भेजने को लेकर ट्रंप को क़रीब हफ़्ते भर पहले ही तब झटका लगा था जब कोलंबिया ने अमेरिका के सैन्य विमान को वापस लौटा दिया था। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। 

अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फ़ैसला लिया। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को लेकर आई उड़ानों को कोलंबिया में उतरने से रोक दिया था।

कोलंबिया सरकार ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया था। पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया। इसके बाद कोलंबिया के लोगों को सम्मानजनक तरीक़े से अपने देश वापस लाया गया। 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एएनआई से कहा, 'यह सुनना अच्छा नहीं लगा कि उन्हें जबरन एक सैन्य विमान में वापस लाया गया और हथकड़ी लगाई गई और इसी तरह की अन्य चीज़ें की गईं। यह बिल्कुल अनावश्यक था। उन्हें एक वाणिज्यिक विमान या नागरिक हवाई जहाज़ पर बिठाकर वापस भेजना ही पर्याप्त होना चाहिए था। अगर आप सामूहिक निर्वासन करना चाहते हैं, तो नागरिक चार्टर में करें। ऐसा करना ज़्यादा मानवीय होता। हो सकता है कि उन्होंने आपके देश में आकर आपके कानून तोड़े हों, लेकिन कुल मिलाकर उनका कोई बुरा इरादा नहीं है, वे अपराधी नहीं हैं, वे दोषी नहीं हैं किसी और चीज़ की नहीं। वे अपने लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए वहाँ हैं, जो उन्होंने आपके क़ानूनों का उल्लंघन करके किया है, इसलिए आप उन्हें बाहर भेज सकते हैं। लेकिन उन्हें हथकड़ी लगाकर सैन्य विमान में बिठाकर इस तरह से भेजना, मुझे लगता है कि भारत को कहना चाहिए कि यह पूरी तरह से उचित नहीं है...।'

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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