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भारत में बनी शॉर्ट फ़िल्म 'पीरियड. द एंड ऑफ सेंटेंस' को मिला ऑस्कर

भारत में बनी शॉर्ट फ़िल्म 'पीरियड. द एंड ऑफ सेंटेंस' को मिला ऑस्कर

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी के वक़्त होने वाली तकलीफ़ों और सैनेटरी पैड की अनुपलब्धता के कारण महिलाओं के होने वाली परेशानियों के बारे में है।

भारत की पृष्ठभूमि पर बनी शॉर्ट फ़िल्म 'पीरियड. द एंड ऑफ सेंटेंस' को ‘बेस्ट शॉर्ट फ़िल्म कैटेगरी’ में ऑस्कर पुरस्कार  मिला है। फ़िल्म का डायरेक्शन ईरानी-अमेरिकी मूल की रेका ज़ेताबची ने किया है। वहीं 'मसान' और 'लंचबॉक्स' जैसी शानदार फ़िल्मों की निर्माता रह चुकीं गुनीत मोंगा की ‘सिखिया एंटरटेनमेंट’ ने इसे को-प्रोड्यूस किया है। यह फ़िल्म भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी के वक़्त होने वाली तकलीफ़ों और सैनेटरी पैड की अनुपलब्धता स्के कारण महिलाओं के होने वाली परेशानियों के बारे में है। फ़िल्म बनाने वाले तो विदेशी हैं, लेकिन इसमें काम करने वाले कलाकार भारत के हैं।

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‘द पैड प्रोजेक्ट’ के तहत बनी डॉक्यूमेंट्री

25 मिनट की शॉर्ट फ़िल्म दिल्ली के पास हापुड़ ज़िले की कुछ औरतों के बारे में हैं, जो सैनेटरी नैपकिन बनाती हैं। यह डॉक्यूमेंट्री ‘ऑकवुड स्कूल इन लॉस एंजिलिस’ के छात्रों और उनकी शिक्षिक मिलिसा बर्टन द्वारा शुरू किए गए ‘द पैड प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है। वहीं भारतीय सह निर्माता ने अवॉर्ड जीतने के बाद ख़ुशी जताते हुए ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है - हम जीत गए...इस धरती की हर लड़की के लिए...आप सब जान लो कि आप एक देवी हैं

एक दशक के बाद भारत को ऑस्कर

डॉक्यूमेंट्री की डायरेक्टर को जब अवॉर्ड मिला, उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने कहा कि ‘ मैं इसलिए नहीं रो रही हूँ कि मेरी माहवारी चल रही है, बल्कि मुझे भरोसा नहीं हो रहा है कि माहवारी को लेकर बनी कोई फ़िल्म ऑस्कर जीत सकती है।' वहीं बर्टन ने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि लॉस एंजिलिस और भारत के लोग बदलाव लाना चाहते थे।बता दें कि इससे पहले 2009 में ए आर रहमान और रसूल पोकिट्टी को ‘ स्लमडॉग मिलेनियर के लिए ’ ऑस्कर अवार्ड मिला था। अब एक दशक के सूखे के बाद एक बार फिर भारत के खाते में यह अकादमी अवॉर्ड आया है।

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