भारतीय उच्चायुक्त को अब स्कॉटलैंड के गुरुद्वारे में प्रवेश करने से क्यों रोका?
कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में खालिस्तानी समर्थक आख़िर इतने उग्र कैसे हो रहे हैं? हाल ही में कनाडा के कई शहरों में, लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में और सैन फ्रांसिस्को में हिंसा की ख़बरें आई थीं। अब यूनाइटेड किंगडम में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को शुक्रवार को स्कॉटलैंड के एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार दोरईस्वामी को कट्टरपंथी ब्रिटिश सिख कार्यकर्ताओं के एक समूह ने रोका, जिन्होंने उनसे कहा कि उनका 'स्वागत नहीं है'। रिपोर्ट के अनुसार एक खालिस्तान समर्थक ने कहा कि उनमें से कुछ को पता चला कि दोराईस्वामी ने अल्बर्ट ड्राइव पर ग्लासगो गुरुद्वारा की गुरुद्वारा समिति के साथ एक बैठक की योजना बनाई थी। उसने कहा, 'कुछ लोग आए और उनसे कहा कि उनका स्वागत नहीं है। थोड़ी झड़प हुई।' खालिस्तान समर्थक ने कहा, 'हम यूके-भारत की मिलीभगत से तंग आ चुके हैं। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से हालिया तनाव के कारण ब्रिटिश सिखों को निशाना बनाया जा रहा है।'
इसी साल लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानी समर्थकों ने हिंसा की थी और भारतीय तिरंगा झंडा उतारने की कोशिश की थी। इस महीने उस हिंसा में शामिल कम से कम 15 लोगों की एनआईए ने पहचान की है। इसने क़रीब दो महीने पहले ही हिंसा में कथित रूप से शामिल 45 लोगों की तस्वीरें जारी की थी।
सैन फ्रांसिस्को में 2 जुलाई को भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया गया था। इस मामले में भी कार्रवाई आगे बढ़ी है।
इस बीच कनाडा में तो खालिस्तानी समर्थक भारत के ख़िलाफ़ काफ़ी ज़्यादा सक्रिय हैं। हाल के महीनों में वहाँ उन्होंने भारत विरोधी रैलियाँ कीं। इस पर भारत लगातार आपत्ति जताता रहा है।
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के विवाद के बाद तो भारत ने बेहद कड़ी टिप्पणियाँ की हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही आरोप लगाया है कि कनाडा की छवि आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह वाली बन रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, 'यदि आप छवि के बारे में बात करें तो यदि कोई देश है जिसपर विचार करने की ज़रूरत है तो वह कनाडा है। मुझे लगता है कि कनाडा की छवि आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनागाह वाली जगह की बन रही है।'
अरिंदम बागची ने कहा था, 'कनाडा में सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराया जा रहा है, हम चाहते हैं कि कनाडाई सरकार ऐसा न करे और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जिन पर आतंकवाद के आरोप हैं या उन्हें न्याय का सामना करने के लिए यहां भेजें... हमने या तो प्रत्यर्पण अनुरोध या उससे संबंधित सहायता मांगी है।' बागची ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में हमने कम से कम 20-25 से अधिक लोगों के लिए अनुरोध किया है लेकिन प्रतिक्रिया बिल्कुल भी मददगार नहीं रही है।'
सितंबर में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में तनाव दिखा था जिसमें ट्रूडो को दरकिनार कर दिया गया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता से इनकार कर दिया गया था। शिखर सम्मेलन से इतर खालिस्तान मुद्दे पर चर्चा हुई, जिससे रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए।
इस बीच कनाडाई संसद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उनकी सरकार के पास जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को भारत सरकार के एजेंटों से जोड़ने के विश्वसनीय आरोप हैं। भारत सरकार ने इस आरोप को बेतुका और मोटिवेटेड बताकर खारिज कर दिया है। कनाडा का विवाद अब बड़ा मुद्दा बन गया है और अमेरिका भारत से सहयोग करने के लिए कह रहा है। अमेरिका यात्रा पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी खरी-खरी कह दिया है कि कनाडा चरमपंथियों को पनाह देता है। कनाडा के बिना सबूतों के भारत पर लगाए गए आरोपों के बाद भारत ने भी कड़ा रूख अपनाया है।