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कर्नल वैभव की मौत के लिए इजराइल की निन्दा सरकार ने जरूरी नहीं समझी

कर्नल वैभव की मौत के लिए इजराइल की निन्दा सरकार ने जरूरी नहीं समझी

भारतीय सेना से रिटायर कर्नल वैभव अनिल काले ग़ज़ा के राफा इलाके में सोमवार को इजराइली हमले में मारे गए। वो यूएन की तरफ से यूएन के वाहन में राफा गए थे, ताकि वहां फिलिस्तीनी लोगों की मदद की जा सके। भारत सरकार ने कर्नल काले की मौत पर शोक तो जताया, पार्थिव शरीर भारत लाने में मदद की बात भी कही लेकिन मोदी सरकार ने इजराइल की निन्दा नहीं की। राफा में इजराइल की बमबारी से अब तक काफी तबाही हो चुकी है। ग़ज़ा को तबाह करने के बाद इजराइल अब राफा को तबाह कर रहा है। जानिए पूरा मामला।

कर्नल (रिटायर्ड) वैभव अनिल काले, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा और सुरक्षा विभाग (डीएसएस) के लिए काम कर रहे थे, की सोमवार को उस समय मौत हो गई जब उनके वाहन पर राफा में हमला किया गया। राफा में इज़राइल सैन्य अभियान चला रहा है। ग़ज़ा के बाद राफा में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।

यूएन ने उस अज्ञात मिसाइल की जांच शुरू की, जिसने 13 मई को कर्नल काले के यूएन वाहन पर हमला कर उसकी जान ले ली थी।


जून 2022 में भारतीय सेना से समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले 46 साल के कर्नल वैभव अनिल काले तीन सप्ताह पहले संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी में शामिल हुए थे। वह सोमवार सुबह ग़ज़ा के युद्धग्रस्त राफा में मारे गए। कर्नल काले वो पहले शख्स हैं जो इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद यूएन के पहले 'पहली अंतरराष्ट्रीय कैजुएल्टी' हैं।

46 साल के काले आतंकवाद विरोधी एक्सपर्ट थे। भारतीय सेना से रिटायरमेंट से पहले उन्होंने यूएन पीस कीपर्स (शांति रक्षक) के रूप में भी काम किया था।

भारत ने निन्दा क्यों नहीं कीः कर्नल काले की राफा में मौत पर भारत सरकार ने एक बार भी इजराइल की निन्दा नहीं की। तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है। टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले ने कहा- "यह चौंकाने वाली बात है कि इजराइल ने ग़ज़ा में भारतीय सेना के एक रिटायर्ड कर्नल की हत्या कर दी और बेशर्म मोदी सरकार ने एक भी शब्द नहीं बोला।"

गोखले ने कहा कि "जब पूर्व सैन्य अधिकारी की हत्या की गई तो वह यूएन के वाहन में यात्रा कर रहे थे। रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि कर्नल काले की मौत तब हुई जब उनके काफिले पर इज़राइल रक्षा बलों (आईडीएफ) द्वारा हमला किया गया था। एक अच्छी तरह से स्थापित अंतरराष्ट्रीय कानून है जो संघर्ष क्षेत्र में यूएन कर्मियों पर सैन्य हमले को प्रतिबंधित करता है। इसके बावजूद यूएन के वाहन को इजराइल ने निशाना बनाया।" 

विदेश मंत्री को लिखे अपने पत्र में साकेत गोखले ने कहा- "यह बहुत चिंता और सदमे की बात है कि भारत सरकार ने न तो इजराइली बलों द्वारा किए गए इस जघन्य कृत्य की निंदा की है और न ही इजराइली दूतावास पर अकारण और अवैध हमले के संबंध में कोई डिमार्श (चेतावनी) जारी किया है।'' उन्होंने कहा- "कर्नल काले भारत के एक बहादुर बेटे थे, जो भारतीय सेना में अपने कौशल का उपयोग करके युद्ध क्षेत्र में निस्वार्थ कार्य कर रहे थे। एक भारतीय अनुभवी पर इजराइली सशस्त्र बलों द्वारा हमला अस्वीकार्य है, खासकर जब कर्नल काले एक गैर-लड़ाकू स्टाफर थे। संयुक्त राष्ट्र के कर्मियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त है। लेकिन फिर हमला हुआ।" 

उन्होंने कहा कि यह घटना, 'कम से कम, भारत सरकार की ओर से कड़ी निंदा' की हकदार है, और मंत्री से 'कड़ी से कड़ी निंदा' का बयान जारी करने का अनुरोध किया।

भारत ने दुख जतायाः भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिक कर्नल वैभव अनिल काले की राफा में मौत पर बुधवार को शोक जताया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के साथ-साथ तेल अवीव और रामल्लाह में इसके मिशन वैभव अनिल काले के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने में सभी सहायता दे रहे हैं।

विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ''13 मई 2024 को ग़ज़ा में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा और सुरक्षा विभाग (डीएसएस) में सुरक्षा समन्वय अधिकारी कर्नल वैभव अनिल काले (रिटायर्ड) की मौत से हमें गहरा दुख हुआ है। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना।”

काले की मौत के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने घटना पर गहरा दुख जताया। यूएन महासचिव ने कहा- उन्हें "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा और सुरक्षा विभाग (डीएसएस) के एक कर्मचारी की मौत और एक अन्य डीएसएस कर्मचारी के घायल होने की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ है।" महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक के एक बयान में कहा गया कि गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर सभी हमलों की निंदा की और पूरी जांच की मांग की। हक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मानना ​​है कि गोलीबारी इलाके में एक टैंक से हुई है। बता दें कि वहां सिर्फ इजराइल के टैंक ही मौजूद हैं।

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