टाटा संस के प्रमुख नटराजन चंद्रशेखरन ही अब एयर इंडिया के अध्यक्ष होंगे। हाल ही में तुर्की के इल्कर आयची के यह पद ठुकराने के बाद चंद्रशेखरन की यह नियुक्ति की गई है। यह वही टाटा समूह है जिसने इसी साल जनवरी में 69 साल बाद एयर इंडिया पर अपना नियंत्रण वापस पा लिया है।
चंद्रशेखरन को फरवरी महीने में ही और पांच साल के लिए टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में फिर से नियुक्त किया गया है। वह अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के बाहर होने के बाद जनवरी 2017 में चंद्रशेखरन को पहली बार अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सहित कई समूह संचालन कंपनियों के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। वह 2009-17 तक टीसीएस के मुख्य कार्यकारी थे।
इसी टाटा समूह को भारत सरकार एयर इंडिया का स्वामित्व 27 जनवरी को सौंप चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में टाटा समूह ने एयर इंडिया के 100% हिस्सेदारी के लिए बोली जीती थी।
इसके बाद टाटा संस के बोर्ड ने 14 फरवरी को तुर्की के इल्कर आयची को एयर इंडिया का सीईओ और एमडी नियुक्त किया था। आयची साल 2015 से 2022 तक तुर्की एयरलाइंस के चेयरमैन रहे थे। लेकिन इसी बीच आयची ने टाटा के एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनने से इनकार कर दिया।
आयची ने अपने बयान में कहा था, 'मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस तरह के नैरेटिव के साये में पद को स्वीकार करना संभव या सम्मानजनक निर्णय नहीं होगा।'
आयची ने आगे कहा था, 'जब से मेरी नियुक्ति की घोषणा हुई है, तब से ही मैं देख रहा था भारतीय मीडिया का एक धड़ा मेरी नियुक्ति को जबरदस्ती कोई और रंग देने में लगा हुआ था। एक बिजनेस लीडर के नाते मैंने हमेशा पेशेवर रवैये को अपनाया है और इससे भी महत्वपूर्ण कि मुझे अपने परिवार की खुशियों व भलाई की फिक्र है। इन सब बातों को देखते हुए मैंने निर्णय लिया कि पेशकश को स्वीकार करना सम्मानजनक नहीं है।'
बता दें कि उनकी नियुक्ति गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी मिलने के अधीन थी और उनके 1 अप्रैल को या उससे पहले ज़िम्मेदारी संभालने की उम्मीद थी।
लेकिन कुछ दिनों पहले भारत में इस नियुक्ति पर विवाद शुरू हो गया था। आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने आयची की नियुक्ति पर एतराज़ जताया था।
स्वदेशी जागरण मंच ने आयची और तुर्की के मौजूदा राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के बीच क़रीबी संबंध होने का आरोप लगाया था और इस आधार पर आयची को एयर इंडिया का एमडी और सीईओ बनाए जाने का विरोध किया था।