अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद नहीं, 16.50% सिकुड़ने के आसार

07:07 am Aug 18, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

सरकार और सत्तारूढ़ दल के तमाम दावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की फ़िलहाल कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है। कोरोना की चपेट में आई अर्थव्यवस्था में सुधार होने का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है। स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल-जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था के 16.50 प्रतिशत सिकुड़ने यानी पहले से कम कारोबार करने के आसार हैं।

देश के इस सबसे बड़े बैंक ने 'इकोरैप' नाम की रिपोर्ट में कहा है कि मई में यह अनुमान लगाया गया था कि वित्तीय वर्ष 21 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में 20 प्रतिशत कम कारोबार कर पाएगी। बैंक ने यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की।

क्या है रिपोर्ट में?

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 'डीग्रोथ' यानी विकास होने के बजाय अर्थव्यवस्था के पहले से भी ख़राब प्रदर्शन करने की संभावना बनी रहेगी। यह अधिकतम 55 प्रतिशत और न्यूनतम 25 प्रतिशत हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में यदि सुधार हुआ तो भी उससे पूरी अर्थव्यवस्था में कोई गुणात्मक बदलाव होगा, इसकी संभावना नहीं दिख रही है।

इसके पहले केंद्र सरकार ने औपचारिक तौर पर यह माना था कि इस साल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 4.50 प्रतिशत की कमी हो जाएगी।

डीईए रिपोर्ट

वित्त मामलों के विभाग यानी डीईए ने एक रिपोर्ट में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह कहा है कि कोविड-19 की वजह से आपूर्ति-माँग को लगे अभूतपूर्व झटके से जीडीपी 4.5 प्रतिशत सिकुड़ेगा।

कुछ दिन पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को तीन उपाय सुझाए थे। उनका मानना था कि आर्थिक संकट को और गहराने से रोकने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को ये उपाय तुरन्त करने चाहिए।

मनमोहन सिंह की सलाह

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने ये उपाय सुझाए थे। डॉक्टर सिंह मशहूर अर्थशास्त्री हैं, वह 1990 के दशक में भारत में बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार करने के लिए जाने जाते हैं।

डॉक्टर सिंह का यह बयान ऐसे समय आया था जब अर्थशास्त्रियों ने भारत सरकार को चेतावनी दी है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसका सकल घरेलू उत्पाद सिकुड़ेगा, यानी पहले से कम होगा और भारत 1970 के दशक के बाद की सबसे बुरी आर्थिक मंदी की स्थिति में आ जाएगा।

स्टेट बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब दुनिया के कई अर्थव्यवस्थाओं के खस्ताहाल होने की ख़बर आ रही है। सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया कि जापान की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून में ही 27.8 प्रतिशत सिकुड़ सकती है।

समाचार एजेन्सी एपी ने जापानी मीडिया के हवाले से कहा है कि यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बुरी स्थिति होगी। इसके पहले जापानी अर्थव्यवस्था की स्थिति सबसे ख़राब 2009 की पहली तिमाही में खराब हुई थी, जब उसके जीडीपी में 17.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।