ज़ोमैटो जैसी कंपनियाँ खाना घर पहुँचाएंगी, नहीं देंगी डिस्काउंट!

04:02 pm Aug 20, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

घर परिवार के बीच, दोस्तों के बीच कहीं भी, कभी भी आपको भूख लगी या कुछ मजेदार खाने का मन किया तो आपने मोबाइल फ़ोन निकाला, ऑर्डर कर दिया और कुछ ही देर में मनपसंद रेस्तरां का मनपसंद खाना आपके घर पहुँच जाता है। इसके ऊपर से आपको मिलता है डिस्काउंट, यानी रेस्तरां से कम पैसे में घर बैठे खाना। पर यह सुविधा शायद अब आपको न मिले। 

हम आपको बताते हैं पूरा मामला। ज़ोमैटो और स्विगी जैसी फ़ूड एग्रीगेटर कंपनियां ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहकों को अपनी ओर लुभाने के लिए तरह तरह के स्कीम चलाती हैं, डिस्काउंट देती हैं। इनके कई तरीके होते हैें। एक तो यह कि रेस्तरां में जो क़ीमतें होती हैं, उनसे कम कीमतों पर ये फ़ूड एग्रीगेटर आपको खाना दे देते हैं। दूसरे, वे आपको कंप्लीमेंट्री डिश देते हैं, यानी आपने एक डिश ऑडर किया तो दूसरा डिश आपको उसके साथ मुफ़्त दे देते हैं। इसके अलावा उनकी कैश बैक स्कीम भी होती है, यानी आपने जितने का खाना लिया, उसका एक हिस्सा आपको बाद में वापस कर देते हैं, यानी आप उतने पैसे का कोई दूसरा खाना ऑर्डर कर सकते हैं। 

इससे रेस्तरां वालों का कारोबार प्रभावित होने लगा है। अब जब आपको घर बैठे रेस्तरां से कम पैसे में खाना मिल रहा हो तो आप रेस्तरां क्यों जाएंगे इससे परेशान रेस्तरां वालों ने ज़ोमैटो के ख़िलाफ़ आंदोलन चला दिया, यह कहा गया कि वे उसका बॉयकॉट करें। इसके बाद रेस्तरां वालों के संगठन ने हस्तक्षेप किया। फ़ेडरेशन ऑफ़ होटल्स एंड रेस्तरां एसोशिएसन ऑफ़ इंडिया (एफ़एचआरएआई) ने फ़ूड एग्रीगेटर्स यानी जो कंपनियाँ रेस्तरां से घर-घर खाना पहुँचाने का काम करती हैं, उन्हें कहा है कि वे तुरन्त हर तरह का डिस्काउंट और स्कीम बंद कर दें। ऐसा उन्होंने नहीं किया तो उनके ख़िलाफ़ पूरे देश में आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। एफ़एचआरएआई ने ज़ोमैटो, स्विगी, नियरबाई, डाइनआउट प्रायस हाइट्स, इज़ीडाइनर, मैजिकपिन को यह चेतावनी दी है। 

एफ़एचआरएआई का तर्क है कि यह एक तरह का अनफ़ेयर ट्रेड प्रैक्टिस यानी अनुचित व्यापार का तरीका है। इससे स्टार्ट अप कंपनियों को बराबरी का मौका नहीं मिलता है और वे ऐसे में कभी आगे नहीं बढ़ पाएँगे।

 एफ़एचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबक्शीस सिंह कोहली ने  कहा, 'फ़ूड एग्रीगेटर के ख़िलाफ़ शिकायत यह है कि उनके क़रार एकतरफा होते हैं, ये पूरे उद्योग में एक समान नहीं होते और स्टार्ट अप के ख़िलाफ़ अनफ़ेयर ट्रेड प्रैक्टिस होते हैं।' उन्होंने कहा है कि इस तरह का व्यापार होना चाहिए जिससे सबको लाभ हो। 

एफएचआरएआई ने यह भी कहा कि एक स्कीम के ख़त्म होते ही दूसरा शुरू हो जाता है और यह क्रम साल भर चलता रहता है। 

इसकी शुरुआत ज़ोमैटो से हुई। उस पर यह आरोप लगाया गया कि वह अव्यवहारिक डिस्काउंट देता है, जो कभी किसी रूप में उचित नहीं है। इसके बाद उसके ख़िलाफ ट्विटर पर #LogOutCampaign चला। देखते ही देखते 1,200 से अधिक रेस्तरां ने ज़ोमैटो का बॉयकॉट कर दिया। 

ज़ोमैटो के संस्थापक दीपेंदर गोयल ने इसके बाद मामला संभालने की कोशिश की और कहा कि वह हर तरह की डिस्काउंट बंद करने पर राजी हैं।

ज़ोमैटो संस्थापक ने कहा, 'मैं इस पर दुखी हूँ कि रेस्तरां उद्योग के मुझ जैसे ही लोग इतने दबाव में हैं कि उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ अभियान छेड़ दिया है। हम ऐसी कंपनी बनाना चाहते हैं जो उपभोक्ताओं ही नहीं, उद्योग को भी फ़ायदा पहुँचाए।'

दरअसल, यह देश में फ़ूड एग्रीगेटर के बीच चल रही जंग का नतीजा है। इससे उपभोक्ताओं को तो फ़िलहाल फ़ायदा है, पर छोटी कंपनियाँ इस तरह की 'छापामार मार्केंटिग' के आगे विवश हैं, वे इस प्रतिस्पर्द्धा में टिक नहीं सकती। इससे छोटी और स्टार्ट अप फ़ूड एग्रीगेटर को तो नुक़सान होता ही है, रेस्तरां को भी नुक़सान होता है। इससे बाहर निकलने का यही रास्ता है कि इस होड़ को रोका जाए।