वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए उम्मीद जताई है कि अगले वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.50 प्रतिशत हो सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की। शुक्रवार को बजट सत्र शुरू होते ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सदन की संयुक्त बैठक में अपना अभिभाषण रखा। उन्होंने अभिभाषण में भी आर्थिक मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा। उसके बाद वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण सदन के पटल पर रखा।
आर्थिक सर्वे की मुख्य बातें :
- सर्वे में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2017-18 के बीच 2.62 करोड़ नौकरियों के मौके बनाए गए।
- 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नेटवर्क उत्पादों के निर्यात पर ज़ोर देना होगा।
- आर्थिक विकास को बल देने के लिए सरकार खर्च बढ़ाने पर ज़ोर दे सकती है।
- सरकार विकास की प्राथमिकता तय कर उस हिसाब से खर्च कर सकती है।
- 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लिए सरकार को ‘प्रो-बिज़नेस’ नीतियाँ अपनानी होंगी, प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने पर ज़ोर देना होगा।
- सरकार को ‘प्रो-क्रोनी’ नीतियाँ यानी अपने लोगों को फ़ायदा पहुँचाने की नीति छोड़नी होगी।
आर्थिक सुधार पर ज़ोर
- सर्वे में कहा गया है कि सरकार को आर्थिक सुधार पर ज़ोर देना चाहिए, तुरन्त शुरू कर देना चाहिए।
- सरकार को सार्वजनिक बैंकों के गवर्नेंस पर ध्यान देना चाहिए, इसके डिक्लरेशन को दुरुस्त करना चाहिए ताकि लोगों का विश्वास बढ़े।
- प्याज जैसे उत्पादों की कीमत रोकने में सरकारी हस्तक्षेप कारगर साबित नहीं हुआ।
- सर्वे में 10 नए विचार सुझाए गए, जिससे बाज़ार और अर्थव्यवस्था दोनों को ही फ़ायदा मिले।
2008 के बाद न्यनूतम विकास दर
- जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 के लिए 5 प्रतिशत हो सकती है। यह वत्तीय वर्ष 2008-2009 से अब तक की सबसे कम वृद्धि दर है।
- अगले वित्तीय वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6-6.5 प्रतिशत हो सकती है।
- वित्तीय घाटा मौजूदा 3.30 प्रतिशत से बढ़ा कर 3.80 प्रतिशत किया जा सकता है।
- डॉलर के मुक़ाबले रुपया 17 पैसे बढ़ कर 71.41 पर पँहुच गया।
सरकार ने 6 प्रतिशत से 6.50 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर की उम्मीद ऐसे समय की है, जब इसने कुछ दिन पहले ही अनुमान लगाया था कि जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहेगी। चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में कुल मिला कर सकल घरेलू उत्पाद 49.64 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत की वृद्धि दर 6.8% रही थी जबकि 2017-18 में यह 7.2% थी। हालांकि विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि भारत 2021 में 6.9% और 2022 में 7.2% की विकास दर हासिल कर सकता है।
इसके पहले विश्व बैंक ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में बांग्लादेश और नेपाल भारत से ज़्यादा तेज़ी से विकास करेंगे। चालू वित्त वर्ष में बांग्लादेश की विकास दर 8.1% और नेपाल की विकास दर 7.1% रहने का अनुमान लगया गया है। जबकि पाकिस्तान की वृद्धि दर और ज़्यादा गिरकर 2.4% रहने का अनुमान जताया गया है। दक्षिण एशिया की वृद्धि दर में अप्रैल के मुक़ाबले 1.1% की गिरावट के साथ 5.9% रहने का अनुमान है।