अडानी समूह को मिलने वाली वैश्विक उधारी कम क्यों हुई? जानें अब कर्ज कौन दे रहा
अडानी समूह के पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अब अमेरिकी अभियोग में फँसे होने के बीच समूह को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाली उधारी पर बड़ा असर पड़ा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में वैश्विक संस्थाओं से मिलने वाली उधारी कम हो गई है, जबकि घरेलू स्तर पर उसको मिलने वाला कर्ज बढ़ा है। इसमें भी भारतीय बैंकों से मिलने वाले कर्ज में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है।
एक तरह से कहा जा सकता है कि समूह को मिलने वाली उधारी अब अंतरराष्ट्रीय से शिफ़्ट होकर घरेलू हो गई है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह में घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों का जोखिम मार्च 2024 में 70213 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2024 तक 107985 करोड़ रुपये हो गया। यानी इसमें क़रीब 53% की बढ़ोतरी हुई है।
इस दौरान ही वैश्विक संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से उधारी कम होने के कारण कुल ऋण में 13.6% की वृद्धि हुई और यह मार्च 2023 में 2,27,248 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2024 में 2,58,276 करोड़ रुपये हो गया। हालाँकि, इस दौरान समूह की संपत्ति बहुत तेजी से बढ़ी है।
समूह के वित्तीय कर्ज में घरेलू बैंकों की हिस्सेदारी मार्च 2023 में 31% से बढ़कर सितंबर 2024 तक 42% हो गई, जबकि वैश्विक संस्थानों की हिस्सेदारी 28% से थोड़ी कम होकर 27% हो गई। पूंजी बाजार उधार मार्च में 37.1% से घटकर 29% हो गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एक्सपोजर 50 फीसदी बढ़कर 31609 करोड़ रुपये से 47435 करोड़ रुपये हो गया। यह कुल कर्ज का 18 फीसदी है। निजी बैंकों और वित्त कंपनियों की हिस्सेदारी 17 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गई।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 75277 करोड़ रुपये के निवेश के बाद समूह की कुल संपत्ति बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गई। अडानी एंटरप्राइजेज ने नवी मुंबई हवाई अड्डे और सौर मॉड्यूल जैसे व्यवसायों में संपत्ति में वृद्धि देखी, जहां बिक्री 91 फीसदी बढ़कर 2,380 मेगावाट हो गई। अडानी ग्रीन एनर्जी ने 500 मेगावाट हाइड्रो पंप स्टोरेज परियोजना पर काम शुरू किया, जिससे परिचालन क्षमता 34% बढ़कर 11.2 गीगावॉट हो गई।
वैसे, अडानी समूह पिछले एक साल से ज़्यादा समय से लगातार सुर्खियों में है। पिछले महीने अमेरिका में गौतम अडानी पर आरोप लगा है कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई।
हालाँकि अडानी समूह ने आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि इस मामले को क़ानूनी रूप से निपटा जाएगा। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए। ऐसा तब हुआ जब न्यूयॉर्क में एक ग्रैंड जूरी ने बुधवार यानी 20 नवंबर को अडानी और सात अन्य लोगों पर रिश्वतखोरी की योजना के आरोप लगाए। हालाँकि, अडानी समूह ने अमेरिका के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि जो आरोप लगाए गए हैं उससे अडानी समूह का कुछ लेनादेना ही नहीं है।
इससे पहले पिछले साल 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।
हिंडनबर्ग अमेरिका आधारित निवेश रिसर्च फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एकस्पर्ट है। रिसर्च फर्म ने कहा था कि उसकी दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से 17.8 ट्रिलियन (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के स्टॉक के हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी में शामिल था। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफ़ा कमाने के लिए समूह पर ऐसे आरोप लगाए गए।
बहरहाल, इन दोनों बड़े आरोपों का कंपनी के शेयरों और निवेशकों पर बुरा असर पड़ा। इन दोनों घटनाक्रमों के दौरान अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के दाम धड़ाम गिरे। कहा गया कि इस दौरान विदेशी निवेशकों ने पैसे निकालने शुरू किए। हालाँकि, कंपनी ने निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए कई क़दम भी उठाए हैं।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)