+
कोरोना से तबाह यूरोपीय, अमेरिकी अर्थव्यवस्था, बदतर होगा भारत का हाल?

कोरोना से तबाह यूरोपीय, अमेरिकी अर्थव्यवस्था, बदतर होगा भारत का हाल?

यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्था कोरोना की चपेट में आकर बदहाल हो चुके हैं। पहले से सुस्त चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था का क्या होगा हाल?

अमेरिका और यूरोप से भारत के लिये बुरी खबर है। भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दो साल से संकट में है और यह संकट 2019 के दूसरे हिस्से में बिल्कुल साफ़ दिख रहा था। लेकिन कोरोना रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से तो इसकी कमर ही टूट गई है। यह अधिक चिंता की बात इसलिए भी है कि कोरोना की चपेट में आने के बाद यूरोप और अमेरिका की अर्थव्यवस्था बुरी स्थिति में है। इससे साफ़ संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर जो अनुमान लगाया जा रहा है, अंतिम स्थिति उससे बदतर होगी।

यूरोपीय संघ के आँकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। यूरोपी संघ की एजेन्सी यूरोस्टैट के अनुसार, अप्रैल से जून की तिमाही में कारोबार में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह 1995 से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। 

स्पेन का सबसे बुरा हाल

दक्षिण यूरोप के देशों की स्थिति बदतर है। इसमें सबसे ज़्यादा बुरा हाल स्पेन का है, जहां की अर्थव्यवस्था 18.5 प्रतिशत सिकुड़ी है। गुरुवार को जर्मनी ने कहा कि उसके कारोबार में पिछली तिमाही की तुलना में इस तिमाही में 10.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।

फ्रांस

फ्रांस की अर्थव्यवस्था में 13.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन वहाँ लॉकडाउन ख़त्म होने और लोगों के क्वरेन्टाइन से बाहर निकलने के बाद आर्थिक गतिविधियाँ थोड़ा-बहुत शुरू हुई हैं। सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। 

इसकी बड़ी वजह अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार का हस्तक्षेप है। फ्रांसीसी सरकार ने 100 अरब यूरो यानी लगभग 118 अरब डॉलर की रकम उद्योग-व्यापार जगत को दी, ताकि वह अपने कर्मचारियों को नौकरी से न निकाले, उन्हें वेतन वगैरह देता रहे। सरकार ने टैक्स चुकाने की मियाद बढ़ा दी, बैंकों से कहा कि वे क़र्ज़ वापसी पर अभी ज़ोर न दें। इसके अलावा सरकार ने 300 अरब यूरो की रकम बैंकों को दी है, ताकि वे ज़रूरतमंद औद्योगिक ईकाइयों को क़र्ज़ दे सकें। 

इटली

लॉकडाउन की वजह से इटली के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 12.4 प्रतिशत का कमी हो चुकी है। हालांकि सरकारी हस्तक्षेप और मदद से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है, पर पर्यटन, सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता खर्च में तेज़ी अभी भी नहीं आई है। 

अमेरिकी अर्थव्यवस्था 32 प्रतिशत सिकुड़ी

अमेरिका की स्थिति तो और बदतर है। वहां 1940 में आई महा मंदी के बाद से अब तक की सबसे बुरी आर्थिक स्थिति है। वाणिज्यिक विभाग ने गुरुवार को कहा कि पिछली तिमाही के दौरान जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की कमी आई। 

दूसरी छमाही के अमेरिकी कारोबार में 32.9 प्रतिशत की कमी मानी जाएगी। यह 1947 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। उस समय जीडीपी में 34.5 प्रतिशत की कमी हुई थी, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए रिकॉर्ड है।

कोरोना का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इतना व्यापक असर पड़ा है कि पूरी अर्थव्यस्था चौपट हो चुकी है। रोज़गार मंत्रालय के आँकड़ों के हिसाब से एक करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी जा चुकी है। 

भारत पर असर

भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, इसे इससे समझा जा सकता है कि देश के सबसे अहम 8 कोर सेक्टर की दुर्गति हो चुकी है। मशहूर व्यावसायिक पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' ने कहा है कि अप्रैल-जून की तिमाही में भारत के इन 8 कोर सेक्टर के कारोबार में 24.6 प्रतिशत की कमी हुई। इसी दौरान पिछले साल कोर सेक्टर में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई थी। 

स्टील की माँग में 33 प्रतिशत, सीमेंट में 7.5 प्रतिशत, कच्चे तेल की मांग में 9 प्रतिशत, बिजली में 9 प्रतिशत की कमी देखी गई है। हालांकि लॉकडाउन में रियायत के बाद से थोड़ी बहुत मांग निकलने लगी है, पर यह बहुत ही कम है।

'द इकोनॉमिस्ट' ने यह उम्मीद जताई है कि जल्द ही अर्थव्यस्था पटरी पर लौटेगी और स्थिति में सुधार होगा, इसके लक्षण दिखने लगे हैं। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद से कुछ सेक्टर में मांग निकलने लगी है। 

जिस तरह फ्रांस और दूसरी यूरोपीय सरकारों ने हस्तक्षेप किया और उद्योग जगत को कई तरह की रियायतें दीं और पैसे दिए, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है, क्या भारत में वैसा कुछ होगा। यह सवाल लाजिमी है, पर इसका उत्तर बहुत सकारात्मक नहीं है।

 भारत सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का एलान किया, उससे मांग निकलेगी, यह उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस पैसे का बड़ा हिस्सा कर्ज की गारंटी के रूप में है। लेकिन वह तब इस्तेमाल होगा जब लोग कर्ज लेने जाएंगे। उसकी ज़रूरत तब होगी जब मांग निकलेगी। 

इसलिए भारत की अर्थव्यवस्था भले ही सुधार के शुरुआती ट्रेंड दिखाने लगे होंगे, इसके सुधरने की फिलहाल उम्मीद करना ज़्यादती होगी। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें