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भारत फिर से बना दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश

भारत फिर से बना दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश

आर्थिक मोर्चे पर लंबे समय से ख़राब हालत होने के बावजूद भारत 2019 में फिर से दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है।

आर्थिक मोर्चे पर लंबे समय से ख़राब हालत होने के बावजूद भारत 2019 में फिर से दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। इसने इंग्लैंड और फ्रांस को पीछे छोड़ दिया। अमेरिका के थिंक टैंक वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट में यह कहा गया है। बड़ी अर्थव्यवस्था का आकलन सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आधार पर किया गया है। जबकि वर्ल्ड बैंक की 2019 में जारी रिपोर्ट में कहा था कि 2018 में भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से दो पायदान फिसलकर सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो गया था।

वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट में जीडीपी विकास दर गिरने की संभावना भी जताई गई है। इसने कहा है कि लगातार तीसरे साल जीडीपी विकास दर 7.5 से गिरकर 5 फ़ीसदी तक पहुँच जाएगी। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने भी साल 2020 के लिए विकास की दर के अनुमान में कटौती कर दी है। मूडीज़ ने पहले कहा था कि इस साल भारत में विकास दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है, पर अब उसने कहा है कि यह 5.4 प्रतिशत तक सिमट सकती है। दूसरी कई एजेंसियों ने भी जीडीपी के कम होने की संभावना जताई है। इसका बड़ा कारण यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था हर मोर्चे पर नकारात्मक संकेत दे रही है। प्रमुख कोर सेक्टर्स की रफ़्तार नकारात्मक हो गई है। बेरोज़गारी उच्चतम स्तर पर है। महँगाई बढ़ी है। लोगों के पास उतनी आमदनी नहीं है कि वे ख़र्च कर सकें और इसलिए बाज़ार में माँग काफ़ी कम हो गई है।

हालाँकि इस ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का जीडीपी 2.94 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि इंग्लैंड का 2.83 और फ्रांस का 2.71 अमेरिकी डॉलर है। रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी की गई है कि 1990 में आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई गई, औद्योगिक सुधार किए गए, विदेशी निवेश और विदेश व्यापार के मामले में नियंत्रण को कम किया गया और सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया गया। इससे भारत को आर्थिक विकास की गति पकड़ने में सहायता मिली। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का सेवा क्षेत्र काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहा है और इसका अर्थव्यवस्था में क़रीब 60 फ़ीसदी और नौकरियों में 28 फ़ीसदी योगदान है। 

इससे पहले पिछले साल अगस्त में जारी अपनी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2018 के लिए जारी विश्व बैंक के आँकड़ों में कहा था कि जीडीपी के मामले में भारत सातवें नंबर पर रहा है। तब ब्रिटेन और फ्रांस 2.8 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी के साथ उस सूची में पाँचवें और छठे पायदान पर थे। भारत की जीडीपी उस अवधि में 2.7 ट्रिलियन डॉलर दर्ज की गई थी। 

तब अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि वित्त वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के फिसलकर सातवें स्थान पर पहुँचने का मुख्य कारण डॉलर की तुलना में रुपये का उतार-चढ़ाव और जीडीपी ग्रोथ की धीमी रफ्तार थी।

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