देश में जो विकास हो रहा है, उसे सबसे अमीर 1% हड़प ले रहे हैं: रिपोर्ट
क्या आपको पता है कि देश में जो तरक्की हो रही है, वह किसके पास जा रही है? क्या विकास रिस कर भी ग़रीबों के पास पहुँच रहा है? आर्थिक असमानता पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में से एक थॉमस पिकेटी ने कहा है कि भारत में विकास का अधिकांश लाभ सबसे अमीर 1% लोग हड़प रहे हैं।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे ही नहीं आई है। दरअसल, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब द्वारा प्रकाशित एक वर्किंग पेपर के अनुसार, कुल आय और संपत्ति में शीर्ष 1% भारतीयों की हिस्सेदारी 2022-23 में सर्वाधिक है। इस पेपर के सह-लेखकों में थॉमस पिकेटी भी शामिल हैं। इन्हें आर्थिक असमानता पर सबसे आधिकारिक आवाज़ों में से एक माना जाता है। वह कहते हैं कि इससे पता चलता है कि सबसे ज़्यादा अमीर भारत के अधिकांश विकास के लाभ को हड़प रहे हैं।
अर्थशास्त्र के चार शोधकर्ताओं- नितिन कुमार भारती, लुकास चांसल, थॉमस पिकेटी और अनमोल सोमांची- के वर्किंग पेपर ने भारत में आय और धन की असमानता पर डेटा तैयार किया है। असमानता पर यह डेटा आय के लिए 1922 और धन के लिए 1961 तक का है। इससे पता चलता है कि 2022-23 में शीर्ष 1% के पास 22.6% आय और धन 40.1% है। यह अब तक का सबसे ज़्यादा हिस्सा एक फीसदी लोगों के पास है। पेपर में कहा गया है कि भारत की शीर्ष 1% लोगों की आय हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है, यहाँ तक कि दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है।
पेपर की रिपोर्ट इस समस्या के समाधान के लिए कर के मोर्चे पर और सामाजिक क्षेत्र में अधिक ख़र्च में सक्रिय सरकारी हस्तक्षेप की वकालत करती है। इसके साथ ही वह इस तथ्य पर भी जोर देती है कि भारत को आर्थिक असमानता को समझने के लिए बेहतर डेटा की ज़रूरत है।
यह पेपर भारत में असमानता की समस्या के समाधान के लिए कई नीतिगत उपायों की सिफारिश करता है। इनमें आय और धन दोनों को ध्यान में रखते हुए कर कोड का पुनर्गठन, और स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में सार्वजनिक निवेश जैसे उपाय शामिल हैं।
पेपर के निष्कर्षों का उपयोग कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करने के लिए किया है। जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों ने अरबपतियों की संपत्ति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि असमानता में वृद्धि विशेष रूप से 2014 और 2023 के बीच साफ़ तौर पर हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार 2021 की जनगणना करने में विफल रही और जीडीपी आंकड़ों में "हेरफेर" करते हुए 2011 की सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना को प्रकाशित करने से इनकार कर दिया।
Our statement on the report titled “Income and Wealth Inequality in India, 1922-2023: The Rise of the Billionaire Raj,” which was published by leading global economists, including Thomas Piketty, on the 18th of March
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 20, 2024
The report can be accessed here: https://t.co/my7DaN7EAX pic.twitter.com/Mb6LVeG95T
इस पर भाजपा ने कहा कि केंद्र में उसकी सरकार ने गरीबी उन्मूलन और समाज के हाशिये पर पड़े वर्ग की आय बढ़ाने और सुगमता की दिशा में अथक प्रयास किया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा कि भारत में गरीबी एक गहरी जड़ वाली समस्या है, लेकिन पिछले 10 वर्षों में मोदी के नेतृत्व में सरकार ने गरीबी उन्मूलन और हाशिए पर रहने वाले वर्ग के लिए आय बढ़ाने और जीवनयापन को आसान बनाने की दिशा में अथक प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारत के लगभग 250 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं और धीरे-धीरे निम्न मध्यम वर्ग का हिस्सा बन रहे हैं।