विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कोरोना संक्रमण रोकने के उपायों पर भारत की आलोचना करते हुए कहा है कि कहीं कहीं से किसी आदमी कै सैंपल लेने (रैंडम सैंपलिंग) से पूरे समुदाय में फैलने वाले संक्रमण का पता नहीं चल सकेगा।
यह भारत सरकार की मौजूदा नीति के एकदम उल्टा है। भारत ने इसके पहले कहा है कि फ़िलहाल हर किसी की जाँच की ज़रूरत नहीं है।
डब्लूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने टेलीविज़न चैनल एनडीटीवी से कहा :
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'समुदाय में फैलने वाले संक्रमण को सिर्फ रैंडम सैंपलिंग से नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए एक समग्र रणनीति की ज़रूरत है। जाँच बढ़ाई जानी चाहिए। सांस से जुड़े दूसरे कई मामलों की भी जाँच होनी चाहिए।'
पूनम खेत्रपाल सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, डब्लूएचओ
उन्होंने कहा, 'हमने अपनी पिछली चिट्ठी में लिखा था कि भारत को निजी प्रयोगशालाओं को भी जाँच में शामिल करना चाहिए। वे अब 51 निजी प्रयोगशालाओं को इसमें जोड़ने की बात कह रहे हैं। और प्रयोगशालाओं को जोड़ा जाए तो बेहतर है।'
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि ज्यादा से ज़्यादा जाँच होनी चाहिए। भारत ने समुदाय में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए 52 प्रयोगशालाओं से 1,000 सैंपल लिए। इसमें उन लोगों के सैंपल भी हैं, जो कभी विदेश नहीं गए या विदेश गए किसी आदमी के संपर्क में नहीं आए। पर इन लोगों में सांस से जुड़ी समस्याएं मसलन न्यूमोनिया और इनफ्लुएन्ज़ा के लक्षण पाए गए।
इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च ने 500 सैंपल को निगेटिव पाया यानी उनमें संक्रमण के लक्षण नहीं थे। पर बाकी के 500 सैंपल के नतीजे अभी नहीं आए हैं।