देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने क़ुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग की थी। अदालत ने रिज़वी पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
रिज़वी ने याचिका में कहा था कि क़ुरान में 26 आयतें ऐसी हैं जिनसे इंसान को दूसरों से अलग होने की शिक्षा मिलती है और ये आयतें हिंसा को बढ़ावा देती हैं।
रिज़वी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही हैं। रिज़वी के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में मुसलिम समुदाय सड़कों पर उतरा था और उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की मांग की थी। रिज़वी का कहना था कि उन्होंने इस बारे में 57 मुसलिम संगठनों को पत्र भी लिखा था कि वे इन 26 आयतों के बारे में अपने विचार दें।
‘बीजेपी बदलाव के ख़िलाफ़’
रिज़वी के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बिहार सरकार में मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने कहा था कि बीजेपी ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ है जो किसी भी धर्मग्रंथ का अपमान करते हैं।
उन्होंने कहा था कि बीजेपी क़ुरान या किसी भी धर्मग्रंथ में किसी भी तरह के बदलाव के ख़िलाफ़ है। हुसैन ने कहा था कि रिज़वी को कोई हक़ नहीं है कि वे किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएं।
मुसलिम इदारों ने की थी निंदा
वहाबी मुसलमानों के बड़े इसलामिक इदारे दारूल उलूम देवबंद, बरेलवी मुसलमानों के इदारे दरगाह आला हज़रत की ओर से रिज़वी के इस बयान की मज़म्मत की गई थी। शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने मांग की थी कि वसीम रिज़वी को तुरंत गिरफ़्तार किया जाए। मुसलिम संगठन शियाने हैदर ए कर्रार ने भी रिज़वी के बयान की निंदा की थी।
वसीम रिज़वी के छोटे भाई ने कहा था कि परिवार का उनसे बीते तीन साल से कोई ताल्लुक नहीं है और रिज़वी को इसलाम की कोई जानकारी नहीं है इसलिए वह इस तरह की बेहूदगी भरी बातें कर रहे हैं।