
USAID और मोदी सरकार के नीति आयोग से संबंध क्या छिप सकेंगे?
यूएसएड की फंडिग रोकने की घोषणा के साथ ही बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोपों की बौछार कर दी है। उसने जॉर्ज सोरोस के एनजीओ का लिंक यूएसएड से जोड़कर राहुल गांधी और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया। लेकिन अब जब इसकी पड़ताल की जा रही है तो बीजेपी से जुड़े नेताओं, पूर्व मंत्रियों, नीति आयोग के लिंक यूएसएड से मिल रहे हैं। सरकार ने अभी तक इस बात का जवाब नहीं दिया है कि यूएसएड और नीति आयोग की स्कीमों में क्या संबंध है।
प्रधानमंत्री मोदी 13 फरवरी को अमेरिका में यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिले। 14 फरवरी को उनकी मुलाकात एलन मस्क से हुई। एलन मस्क अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी डीओजीई (DOGE) के प्रमुख हैं। लेकिन मस्क और ट्रम्प प्रशासन के अगले कदम की जानकारी किसी को नहीं थी। हालांकि मोदी के पहुंचने के मौके पर ट्रम्प टैरिफ की घोषणा कर ही चुके थे।
US taxpayer dollars were going to be spent on the following items, all which have been cancelled:
— Department of Government Efficiency (@DOGE) February 15, 2025
- $10M for "Mozambique voluntary medical male circumcision"
- $9.7M for UC Berkeley to develop "a cohort of Cambodian youth with enterprise driven skills"
- $2.3M for "strengthening…
मस्क के नेतृत्व वाले इस विभाग ने भारत को दिये जा रहे 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपये) की मदद 15 फरवरी को रद्द करने की घोषणा की। अमेरिका यह मदद यूएसएड एजेंसी के जरिये भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दे रहा था। यूएसएड का नाम यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट है। इसक गठन अमेरिकी संसद ने 3 नवंबर 1961 को किया गया था।
इसके फौरन बाद बीजेपी, उसका आईटी सेल, सरकार समर्थक मीडिया ने कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने डीओजीई का हवाला देते हुए कहा कि यह फंडिंग भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप के बराबर है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होता? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं!' मालवीय ने यहां तक कहा- 'एक बार फिर कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के जाने-माने सहयोगी जॉर्ज सोरोस ही हैं, जिनकी छाया हमारी चुनावी प्रक्रिया पर मंडरा रही है। 2012 में एस.वाई. कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के साथ समझौता किया था। यह संगठन जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है, जिसे मुख्य रूप से यूएसएआईडी द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।'
हैरानी की बात है कि 2012 में जब यूएसएड ने कोई मदद भारत में की होगी तो उस समय कांग्रेस की सरकार थी। क्या कोई सरकार अपने ही खिलाफ इस पैसे का इस्तेमाल करेगी। कम से कम बीजेपी का तो यही आरोप है। लेकिन हमारा मुद्दा ये नहीं है। पड़ताल से पता चला है कि अमेरिकी सरकार की एजेंसी यूएसएड ने न सिर्फ मोदी सरकार के मंत्रियों, उद्योगपतियों की स्कीमों की फंडिंग की थी, बल्कि यह एजेंसी नीति आयोग के कई कार्यक्रमों में सहयोगी रही है।
- नीति आयोग द्वारा जारी इस पेपर को पढ़िये। दरअसल यूएसएड और नीति आयोग के बीच 10 अगस्त 2016 को कॉर्बन और एनर्जी को लेकर एक समझौता हुआ था। इस पर नीति आयोग के ऊर्जा सलाहकार अनिल कुमार जैन और यूएसएड के इंडिया मिशन डायरेक्टर जोनाथन एडल्टन के हस्ताक्षर हैं। आप यहां क्लिक करके उसे पढ़ सकते हैं।
During the consultation, City Mayor Premananda Shetty, @mangalurucorp Commissioner Akshy Sridhar, and @SmartMangaluru Managing Director Prashant K. Mishra shed light on the current urban health systems, and also emphasised the need to empower #ULBs, to further improve services. pic.twitter.com/naDM9Uadn3
— NITI Aayog (@NITIAayog) May 17, 2022
अब 8 फरवरी 2022 की द हिन्दू की रिपोर्ट पढ़िये। खबर के मुताबिक अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग और अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) ने हेल्थ सेक्टर में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। जिसका मकसद द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कमजोर आबादी के लिए किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार करना है।
इस बैठक का फोटो आईपीई ग्लोबल ने उस समय जारी किया था।
द हिन्दू अखबार ने उसी खबर में नीति आयोग की एक विज्ञप्ति का हवाला भी दिया है। जिसमें कहा गया है कि 2020 में, यूएसएआईडी, आईपीई ग्लोबल और भारत सरकार, शिक्षा जगत और निजी क्षेत्र के स्टेकहोल्डर्स ने हेल्थ केयर में काम करने का बीड़ा उठाया।
एक्स पर यूजर आदित्य ओझा के इस ट्वीट से भी नीति आयोग और यूएसएड के संबंधों का पता चल रहा है। आदित्य ओझा ने नीति आयोग के एक ट्वीट को अपनी पोस्ट के साथ लगाया भी है। नीचे ट्वीट देखिये-
‼️USAID-THE FINAL CHAPTER‼️
— Aditya Ojha (@thispodcastguy) February 18, 2025
Prime Minister NARENDRA MODI is the CHAIRPERSON of @NITIAayog.
Over the years since 2016, NITI Aayog and USAID have not only discussed but have even collaborated a lot of times.
So isn’t it right to say that it’s the Prime Minister of was always on… pic.twitter.com/bmBQ2MJTZq
स्मृति ईरानी और यूएसएड
बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी यूएसएड से जुड़ी रही हैं। कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियंक खड़गे का ट्वीट इस मामले में मदद कर रहा है। खड़गे ने केंद्र सरकार की एक वेबसाइट का लिंक भी एक्स पर दिया है। सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्मृति ईरानी के बायोडेटा में लिखा है कि उन्होंने भारत में यूएसएआईडी की “सद्भावना राजदूत” के रूप में काम किया है। प्रियंक ने सवाल किया है कि क्या इसका मतलब यह है कि भाजपा के नेता जॉर्ज सोरोस के असली एजेंट हैं? प्रियंक खड़गे का ट्वीट देखिये-Interesting.
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) February 18, 2025
According to the Government’s official website, Ms. Smriti Irani’s bio states that she has served as the USAID “Goodwill Ambassador” to India.https://t.co/oWwuKT8Cfb
Does this imply that BJP politicians are the real agents of George Soros? pic.twitter.com/NtklA5Ixdj
यह सवाल बीजेपी से कौन पूछेगा कि ईरानी के अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी समय-समय पर यूएसएड का समर्थन करते रहे हैं। कांग्रेस को यह सवाल भाजपा से पूछना चाहिए कि उसे यूएसएड से कितना फंड मिला।
हकीकत ये है कि यूएसएड जैसी एजेंसियां तमाम देशों में इस तरह की फंडिंग और योजनाओं के जरिये हस्तक्षेप करती हैं। यूएसएड ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान तक में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों से संपर्क साधा है। ऊपरी तौर पर तमाम अमेरिकी एजेंसियों के काम परोपकार के दिखाई देते हैं। लेकिन अगर बीजेपी कांग्रेस पार्टी को इसके लिए घेर रही है तो वो उससे ज्यादा जिम्मेदार है। क्योंकि नीति आयोग की तमाम स्कीमों में यूएसएड की भूमिका रही है।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)