कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सरकार को सलाह दी है कि वह नए संसद भवन समेत दिल्ली को सुंदर बनाने की पूरी योजना रद्द कर दे और इस पर खर्च होने वाले 20 हज़ार करोड़ रुपए का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में करे।
सभी सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती के सरकार के आदेश के एक दिन बाद ही कांग्रेस नेता ने यह सुझाव दिया है।
फ़िजूलखर्च रोकने की सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक चिट्ठी में सोनिया गाँधी ने फ़िजूलखर्च रोकने और पैसे बचा कर उसे कोरोना रोकथाम व इलाज में लगाने की सलाह दी है।
सोनिया गाँधी ने 20 हज़ार करोड़ रुपए की दिल्ली केंद्रित इस योजना के बारे में कहा कि ‘मौजूदा समय में इस तरह की योजना को आत्म-मुग्ध होना ही कहा जा सकता है। यह ऐसा कोई ज़रूरी खर्च नहीं है, जिसे इस संकट के ख़त्म होने तक नहीं टाला जा सकता है।’
सोनिया गाँधी ने कहा कि इस पैसे से जाँच और अस्पताल की नई सुविधाएं बनाई जा सकती हैं और स्वास्थ्य कर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जैसे ज़रूरी उपकरण दिए जा सकते हैं।
विज्ञापन पर रोक लगे
उन्होंने अपनी चिट्ठी में यह भी कहा है कि अगले दो साल तक के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले टेलीविज़न, प्रिंट और ऑनलाइन विज्ञापनों पर रोक लगा दी जाए। कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारियों को अपवाद बनाया जा सकता है।कांग्रेस की इस नेता ने कहा कि ‘केंद्र सरकार फ़िलहाल 1,250 करोड़ रुपए का खर्च विज्ञापनों पर करती है, इसके अलावा सरकारी कंपनियाँ भी लगभग इतनी ही रकम इस मद में खर्च करती है। यदि इन विज्ञापनों पर रोक लगा दी जाए तो बहुत पैसा बच जाएगा जिसे कोरोना से लड़ने में लगाया जा सकता है।’
खर्च कम करो
सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री को यह सलाह भी दी कि सरकार अपने खर्च में भी 30 प्रतिशत की कटौती करे। इससे बचने वाले सालाना 2.50 लाख करोड़ रुपए का बेहतर इस्तेमाल दिहाड़ी मज़दूरों, असगंठित क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने और लघु, सूक्ष्म व मझोले उद्यमों की मदद करने में किया जा सकता है।
कांग्रेस नेता ने यह सलाह भी दी है कि प्रधानमंत्री समेत तमाम सरकारी कर्मचारियों की विदेश यात्रा पर रोक लगा दी जाए। इससे बचने वाले 393 करोड़ रुपए का इस्तेमाल कोरोना से लड़ाई में किया जा सकता है।
सोनिया ने यह भी कहा है कि पीएम केअर्स कोष के सारे पैसे प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर दिए जाएं ताकि पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ सके।
उन्होंने यह भी कहा है कि एक ही काम के लिए दो अलग-अलग कोष चलाने का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा यह भी सच है कि पीएम राहत कोष में पहले से ही 3,800 करोड़ रुपए हैं।