सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पाकिस्तानी कलाकारों के लिए भारतीय वीजा पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। इसकी मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को इतनी संकीर्ण सोच नहीं रखना चाहिए। याचिकाकर्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
याचिकाकर्ता फ़ैज़ अनवर क़ुरैशी ने शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था। इसने पिछले महीने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। अपनी याचिका में कुरैशी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पाकिस्तानी कलाकारों को काम देने वाले भारतीय नागरिकों या उनसे जुड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित आदेश देने का निर्देश देने की मांग की थी।
कुरैशी की अपील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ के सामने आई। पीठ ने मंगलवार को उनसे याचिका पर दबाव न डालने के लिए कहा। पीठ ने कहा कि वह बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। हाई कोर्ट ने कलाकार होने का दावा करने वाले फैज़ अनवर कुरैशी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
क़ुरैशी के वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियों का हवाला दिया लेकिन न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'क्षमा करें, ऐसा न करें। यह आपके लिए एक अच्छा सबक है। इतना संकीर्ण नहीं बनें'।
याचिका में राहत की मांग करते हुए कहा गया था कि पाकिस्तानी फ़िल्म उद्योग में काम करने के इच्छुक भारतीय कलाकारों को भारत में काम करने वाले पाकिस्तानी कलाकारों जैसा अनुकूल माहौल नहीं मिलता है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की याचिका भी खारिज कर दी।
याचिका में अदालत से केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह भारतीय नागरिकों, कंपनियों, फर्मों और संघों पर किसी भी पाकिस्तानी को रोजगार देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह जो राहत चाहता है वह सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में एक उलटा कदम होगा और इसमें कोई योग्यता नहीं है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा था, 'यह समझना चाहिए कि देशभक्त होने के लिए किसी को विदेश, खासकर पड़ोसी देश के लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने की ज़रूरत नहीं है।' इसने आगे कहा, 'एक सच्चा देशभक्त वह व्यक्ति है जो निस्वार्थ है, जो अपने देश के लिए समर्पित है, जो वह तब तक नहीं हो सकता जब तक वह दिल का अच्छा व्यक्ति न हो। जो व्यक्ति दिल का अच्छा है वह अपने देश में किसी भी गतिविधि का स्वागत करेगा जो देश के भीतर और सीमा पार शांति, सद्भाव और शांति को बढ़ावा देता हो।'
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कला, संगीत, खेल, संस्कृति, नृत्य आदि ऐसी गतिविधियाँ हैं जो राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों और राष्ट्रों से ऊपर उठती हैं और वास्तव में राष्ट्र और राष्ट्रों के बीच शांति, एकता और सद्भाव लाती हैं।